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NASA ने मंगल की सतह पर उतारा Perseverance रोवर, जिसमे एक helicopter भी है शामिल

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नासा ने गुरुवार को मंगल ग्रह पर एक नया रोबोटिक रोवर उतारा, काफी समय बाद लाल ग्रह पर जीवन का सीधा अध्ययन करने के लिए NASA का यह एक और सबसे महत्वाकांक्षी प्रयास है।

हालांकि NASA ने मंगल पर अन्य मिशनों को उतारा है, पर 2.7 मिलियन डॉलर का रोबोट खोजकर्ता जिसका नाम “Perseverance” है, उसपर वैज्ञानिक उपकरणों का एक उन्नत क्षमताओं वाला परिष्कृत सेट है, जो हमारे ग्रह से परे जीवन की खोज में मदद करेगा।

यह रोवर तकनीकी रूप से सबसे उन्नत रोबोट है, जिसे नासा ने मंगल पर भेजा है। यह रोवर मंगल गृह पर लगभग दो साल बिताएगा, जिसमे इसका लक्ष्य गृह के बारे में जानकारी इक्कठा करना होगा। नासा ने Perseverance mission को बनाने और लांच करने के लिए 2.4 बिलियन डॉलर खर्च किए है, मंगल ग्रह की सतह पर रोवर को उतारने और उसके संचालन के लिए अनुमानित लागत 300 मिलियन डॉलर है।

perseverance rover in lab

Perseverance रोवर का निर्माण कैलिफोर्निया में NASA के JPL (Jet Propulsion Laboratory) द्वारा किया गया था। कई कंपनियों ने अंतरिक्ष यान के कुछ हिस्सों में योगदान दिया, जैसे Lockheed Martin-निर्मित हीट शील्ड, Aerojet Rocketdyne-निर्मित रॉकेट थ्रस्टर्स और Maxar Technologies द्वारा निर्मित रोबोटिक आर्म।

रोवर का वजन लगभग 1 टन है और यह एक छोटी कार के आकार का है। यह 10 फीट लंबा, 9 फीट चौड़ा और 7 फीट ऊंचा है। इसमें एक रोबोटिक बांह है जो लगभग 7 फीट तक पहुँच सकती है, जिसके अंत में एक रोबोट “हाथ” है जिसमें एक कैमरा, एक रासायनिक विश्लेषक और एक रॉक ड्रिल लगा है। Perseverance परमाणु ऊर्जा द्वारा संचालित है, जिसमें एक प्लूटोनियम जनरेटर है, जिसे U.S. Department of Energy द्वारा रोवर पर लगे लिथियम-आयन बैटरी को चार्ज करने के लिए लगाया गया है।

Perseverance Ingenuity नामक एक छोटा helicopter ले जा रही है, जिसे नासा ने किसी अन्य ग्रह पर पहली उड़ान का प्रयास करने के लिए उपयोग करने की योजना बनाई है। इस helicopter का वजन लगभग दो किलोग्राम है।

ingenuity helicopter on mars

लैंडिंग के लगभग दो महीने बाद, helicopter Perseverance से बाहर निकाला जाएगा और इससे लगभग पांच परीक्षण उड़ानों की एक श्रृंखला का प्रयास किया जाएगा।

30 जुलाई को United Launch Alliance Atlas V रॉकेट पर लॉन्च होने के बाद Perseverance ने मंगल पर पहुंचने के लिए 293 मिलियन मील से और छह महीने से अधिक समय की यात्रा की हैं।

Perseverance का mission?

रोवर वैज्ञानिक उपकरणों से भरे हुआ है, जिससे ग्रह के भूविज्ञान को मापा जा सके और नमूने एकत्र किया जा सके जिसे वापस पृथ्वी पर लाया जा सकें।

नासा ने मंगल गृह पर Perseverance रोवर को एक मंगल वर्ष के लिए ड्राइव करने की योजना बनाई है, जो पृथ्वी पर 687 दिनों के बराबर है।

इसमें विभिन्न प्रकार के उद्देश्यों के लिए सात प्रमुख उपकरण हैं:

  • the Mastcam-Z; the Mars Environmental Dynamics Analyzer, या MEDA;
  • the Mars Oxygen In-Situ Resource Utilization Experiment, या MOXIE;
  • the Planetary Instrument for X-ray Lithochemistry, या PIXL;
  • the Radar Imager for Mars’ Subsurface Experiment, या RIMFAX;
  • the Scanning Habitable Environments with Raman & Luminescence for Organics & Chemicals, या SHERLOC,
  • the SuperCam.

रोवर में एक नमूना कैशिंग प्रणाली भी है, जिसमें नौ अलग-अलग ड्रिल बिट्स और मंगल की सतह के टुकड़ों को पकड़ने के लिए कई नमूना संग्रह ट्यूब हैं।

NASA भविष्य में European Space Agency के साथ साझेदारी में एक अभियान के हिस्से के रूप में नमूने को वापस लाने कि उम्मीद में है।

flying heli

रोवर को पहले मंगल पर भेजे गए किसी भी अन्य रोवर की तुलना में अधिक जमीन को कवर करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। NASA ने Perseverance को प्रति मिनट औसतन 650 फीट ड्राइव करने के लिए डिजाइन किया है, जो कि NASA के Opportunity रोवर द्वारा 702 फीट पर एक दिन में पूरी की गई सबसे लंबी ड्राइव के करीब है।

वर्तमान में मंगल का अध्ययन करने वाले अन्य अंतरिक्ष यान क्या हैं?

नए रोवर के अलावा, छह और satellites वर्तमान में अंतरिक्ष से मंगल ग्रह का अध्ययन कर रही हैं। तीन को नासा द्वारा वहां भेजा गया था: मार्स ओडिसी, 2001 में लॉन्च किया गया, मार्स रिकॉनिंस ऑर्बिटर, 2005 में लॉन्च किया गया, और एमएवीएन, जिसे 2013 में लॉन्च किया गया था।

यूरोप की दो अंतरिक्ष यान कक्षा में हैं। इसका मार्स एक्सप्रेस ऑर्बिटर 2003 में लॉन्च किया गया था, और एक्सोमार्स ट्रेस गैस ऑर्बिटर को 2016 में रूस की अंतरिक्ष प्रोग्राम के साथ लॉन्च गया।

छठे अंतरिक्ष यान मार्स ऑर्बिटर मिशन(Mars Orbiter Mission) को भारत संचालित करता है, जिसे मंगलयान भी कहा जाता है, जिसे 2013 में श्रीहरिकोटा से लॉन्च किया गया था।

वर्तमान में दो अमेरिकी मिशन मंगल पर oprate कर रहे हैं। 2012 से Curiosity रोवर वहां घूम रही है, और InSight जो 2018 से लाल ग्रह के मार्सक्वेक्स और अन्य आंतरिक गुणों का अध्ययन कर रहा है। एक अन्य अमेरिकी मिशन, Opportunity रोवर, 2019 में धूल की आंधी में समाप्त हो गया।

आशा करता हूं कि आज आपलोंगों को कुछ नया सीखने को ज़रूर मिला होगा। अगर आज आपने कुछ नया सीखा तो हमारे बाकी के आर्टिकल्स को भी ज़रूर पढ़ें ताकि आपको ऱोज कुछ न कुछ नया सीखने को मिले, और इस articleको अपने दोस्तों और जान पहचान वालो के साथ ज़रूर share करे जिन्हें इसकी जरूरत हो। धन्यवाद।  


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