Spanish Flu बीमारी क्या थी? | Spanish Flu explanation in hindi
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आज तक दुनिया में कई ऐसी महामारियां हुई है, जिन्होंने पूरी मानव जाति के ऊपर अपना कहर ढाया है। इन खतरनाक बीमारियों के कारण लाखों-करोड़ो लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पढ़ा है। आज हम इतिहास में हुई एक ऐसी ही महामारी के बारे में जानने वाले है, जिनसे सिर्फ दो साल के अंदर दुनिया की लगभग एक-तिहाई आबादी को अपने चपेट में ले लिया था।
इसका नाम रखा गया था “Spanish flu”, और इसे अब तक की सबसे खतरनाक महामारियों में से एक माना जाता है । इस बीमारी ने पूरी मानव जाति के अंदर एक डर का माहौल उत्पन कर दिया था, और इसके कारण पूरी स्वास्थ्य प्रणाली चरमरा सी गयी थी।
रोग | इन्फ्लूएंजा (Influenza) |
फैलने का स्थान | दुनिया भर में |
वायरस स्ट्रेन | A/H1N1 का स्ट्रेन |
तारीख | February 1918 – April 1920 |
कुल मामले | 500 मिलियन (अनुमान) |
कुल मौतें | 17-20 मिलियन (अनुमान) |
कमजोर और कम आधुनिक सेवाओ के कारण उस समय डॉक्टरों को भी इस महामारी से लड़ने में काफी ज्यादा मशक्कत करनी पड़ी, और इस बीमारी ने इस दुनिया को भी काफी ज्यादा बदल कर रख दिया । तो आइए आज हम जानते है इस महामारी से जुड़े कुछ ऐसी बाते, जिनके बारे में शायद ही आपको मालूम हो।
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कैसे हुई Spanish flu की शुरुआत? (How spanish flu starts)
सोमवार, 11 मार्च 1918 में अमेरिका के “Kansas” में स्थित “Fort Riley” नामक सैन्य प्रशिक्षण केंद्र जहां लगभग 26 हज़ार सैनिक अपने प्रशिक्षण के लिए मौजूद थे, वहां खाना बनाने वाले एक बाबर्ची “Albert Gitchell” की तबियत अचानक बिगड़ गयी।
उन्हें काफी तेज़ बुखार था, साथ ही गले में सुजन और पूरे शरीर में दर्द की शिकायत थी । जब वह अपना इलाज करवाने के लिए नर्स के पास पहुचे, तब उनका बदन बुरी तरह तप रहा था, और उन्हें लगभग 103 डिग्री का बुखार था।
Gitchell के जाने के कुछ देर बाद ही वहा corporal “Lee Drake” पहुचे, जिनके अंदर भी कुछ ऐसे ही लक्षण पाए गए । अगली बारी sergeant “Adolph Hurby” की थी, और इसके बाद लोगों का आना बढ़ता ही गया, जो ख़त्म होने का नाम ही नही ले रहा था।
मगर क्या Gitchell इस महामारी के पहले मरीज़ थे? इस बात पर आज भी कोई सहमति नहीं है। खैर, जैसे-जैसे यह बीमारी फैल रही थी, इसने अलग-अलग कैम्पस में कई सारे अमेरिकी सैनिकों को अपनी चपेट में ले लिए।
विश्व युद्ध के कारण धीरे-धीरे यह सारे अमेरिकी सैनिक युद्ध के लिए यूरोप के अलग-अलग युद्ध भूमि में पहुंचने लगे, और इस कारण यह बीमारी सैनिक कैम्पस के निकलकर पूरे यूरोप में भी बुरी तरह से फैल गयी। फलस्वरूप इस खतरनाक महामारी ने लाखों लोगों को अपनी चपेट में ले लिया।
Spanish flu ही क्यों पड़ा नाम? (Why it had named spanish flu)
यदि आप लोग यह सोच रहे होंगे की अमेरिका के Kansas में उत्पन्न हुए इस बीमारी का नाम “Spanish flu” क्यों रखा गया, तो इसके कई कारण है। इस फ्लू की उत्पत्ति कहां हुई है, यह जानने के लिए शोधकर्ताओं द्वारा काफी लम्बे समय तक कई शोध किए गए।
साल 1916 से लेकर 1917 के दौरान फ्रांस के एक अस्पताल में लगे शिविर से हजारों की संख्या में सैनिक गुजरे थे, जहां मौजूद सैनिक डॉक्टरों ने फ्लू जैसी एक बीमारी को पकड़ा था, जिसमे लोगों की मरने की दर काफी ज्यादा थी। इन सब कारण से यह भी संभव था की यह बीमारी इसी जगह से उत्पन्न हुई हो।
साथ ही इसकी एक और theory है, जिसमे यह माना जाता है की यह बीमारी कैंप में मौजूद पोल्ट्री फार्म से फैली, जहां से यह पहले सुअरों पर और फिर इंसानों में फैल गई । कई अन्य शोधकर्ताओं का मानना है कि, यह बीमारी पहले “Austria” या “China” या पूर्व एशिया के किसी हिस्से से या फिर “America” से ही फैली थी। यह बीमारी यूरोप से निकली, या कही बाहर से यूरोप में पहुँची, इस बात पर आज भी बहस जारी है।
इस बीमारी को “Spanish flu” कहे जाने का एक बड़ा कारण स्पेन की मीडिया थी । वहां के अखबारों में युद्ध के दौरान इस बीमारी के बारे में इतना बढ़ा-चढ़ा कर लिखा जाता था, जिससे यह प्रतीत होता था की यही देश इस महामारी से सबसे ज्यादा प्रभावित है, जो की बिलकुल सच नही था । इसी कारण पूरी दुनिया में यह नाम फ़ैल गया, और इस बीमारी का नाम Spain के नाम पर रख दिया गया।
कैसा था Spanish flu का प्रकोप? (How was the spanish flu outbreak?)
यह जानलेवा फ्लू काफी ज्यादा तेज़ी से फ़ैल रही थी । ऐसा अनुमान लगाया गया था की इस फ्लू ने उस समय दुनिया की लगभग 27% आबादी को अपनी चपेट में ले लिए था। ज्यादा आधुनिक सुविधाए ना होने के कारण यह आकरे कभी साफ़ नही हो सके । मगर इस महामारी ने उस वक़्त लगभग 50 million से लेकर 100 million लोगों की जान ले ली थी, और यह संख्या विश्व युद्ध में मरने वालों से कई ज्यादा थी।
सिर्फ अमेरिका में इस बीमारी से लगभग 5 लाख लोगों की जान जा चुकी थी, और मरने वालों में सबसे ज्यादा जवान लोग थे जिनकी उम्र 20 से लेकर 40 वर्ष थी । साल 1917 में एक अमेरिकी की औसत उम्र 51 वर्ष थी, जो विश्व युद्ध और इस फ्लू के कारण घटकर साल 1918 में सिर्फ 39 वर्ष रह गयी थी । क्यों यह फ्लू कम उम्र के लोगों को ज्यादा निशाना बना रही थी, जिनकी immune system बाकी लोगों की तुलना में अच्छी होती है?
तो इसका एक कारण कुछ दशक पहले हुए एक फ्लू को माना जाता है । यह फ्लू ज्यादा जानलेवा तो नहीं था, मगर शायद इसके कारण कई लोगों के शरीर में एक immune system तैयार हो गया, जिसने उन्हें इस स्पेनिश फ्लू से बचने में मदद की । इसी कारण कम उम्र के लोग जो उस फ्लू के समय मौजूद नहीं थे, इस spanish flu महामारी की ज्यादा चपेट में आ रहे थे।
Spanish flu का पूरी दुनिया में फैलाव? (Spread of Spanish flu)
यह महामारी लगभग पूरी दुनिया में फैल चुकी थी, और इसने करोड़ो लोगों को अपनी चपेट में ले लिया था। आइए नज़र डालते है इसके कुछ आंकड़ों पर –
- सिर्फ भारत में इस बीमारी के कारण लगभग 17 million लोगों की जान जा चुकी थी, जो उस वक़्त देश की कुल आबादी का 5% था।
- Dutch East Indies में लगभग 1.5 million लोगों की जान इस फ्लू से जा चुकी थी।
- लगभग 3 लाख 90 हज़ार जापानी लोगों ने इस जान लेवा बीमारी के सामने घुटने टेक दिए।
- ब्रिटेन में इस महामारी ने लगभग 2 लाख 50 हज़ार लोगों की जान ले ली।
- फ्रांस में लोगों की मौत का यह आकड़ा 4 लाख के पार चला गया था।
- ईरान में इस महामारी ने काफी तबाही मचाई, और 9 लाख से लेकर लगभग 24 लाख लोगों की जान ले ली। इत्यादि।
मृत्यु अनुपात के मामले में छोटे ग्रामीण समुदायों को सबसे ज्यादा नुकसान झेलना पड़ा । ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि वे लोग एक-दूसरे के काफी कबीर रहते थे, जिस कारण उनमे यह जानलेवा फ्लू काफी तेज़ी से फ़ैल गया ।
उदाहरण के लिए जर्मनी के एक संरक्षित राज्य “German Samoa” की लगभग 90% आबादी इस फ्लू के चपेट में आ गयी, जिसमे 30% वयस्क पुरुषों, लगभग 22% वयस्क औरतों और लगभग 10% बच्चों की जान चली गयी।
दुनिया में सिर्फ कुछ ही ऐसे हिस्से थे, जो इस जानलेवा फ्लू की चपेट से बचे हुए थे, और ऐसा इनके बाकी दुनिया से कटे होने के कारण था । उदाहरण के लिए दक्षिण प्रशांत में मौजूद Fiji के द्वीपों “Lau” और “Yasawa” में इस फ्लू का कोई केस मौजूद नहीं था।
ठीक ऐसा ही ब्राज़ील के अमेजन डेल्टा में मौजूद “Marajo” द्वीप का था, जहां इस महामारी से कोई भी प्रभावित नहीं था। साथ ही Alaska के कुछ हिस्से भी इस फ्लू से बचे हुए थे । ऐसा सिर्फ इन जगहों के बाकी दुनिया से अलग-थलग रहने के कारण हुआ, जिस कारण ये जानलेवा फ्लू यहां पहुंच ही नही सका।
Spanish flu क्यों फैला इतनी तेज़ी से? (Why did the Spanish flu spread so quickly?)
अब तक जैसा की हमने देखा, यह महामारी दुनिया के हर कोने तक फैली हुई थी, और यह अनगिनत लोगों की जान ले चुकी थी। मगर इसके इतने तेज़ी से फैलने का कारण क्या था, और इसे सही समय पर रोका क्यों नही जा सका? तो इसका एक कारण था उस समय पर चलने वाला युद्ध।
यह कोई आम युद्ध नहीं बल्कि विश्व युद्ध था, जिसमे दुनिया के काफी सारे देश हिस्सा ले रहे थे । युद्ध में जाने वाले सैनिकों के रहने के स्थान काफी तंग होते थे, और उन जगहों पर ज्यादा सफाई की भी व्यवस्था नहीं होती थी।
इसी कारण किसी एक को यह फ्लू होने से, इसे बाकियों में फैलने से रोकना काफी ज्यादा मुश्किल था। साथ ही युद्ध के कारण सैनिक अलग-अलग देशो में जा रहे थे, जिस कारण यह महामारी सभी जगहों पर बुरी तरह से फ़ैल गयी ।
ऐसा माना जाता है की इस फ्लू की पहली लहर आ चुकी थी, मगर इसकी दूसरी लहर ज्यादा खतरनाक साबित हुई, जिसके फैलने में एक बड़ा कारण सैनिकों की टुकड़ी का एक जगह से दूसरी जगह जाना था।
इस फ्लू की पहली लहर ज्यादा खतरनाक नहीं थी । यह सिर्फ आम मौसमी सर्दी-खांसी जैसी थी, जो अक्सर आती रहती है । मगर इसकी दूसरी लहर ज्यादा खतरनाक साबित हुई, खासकर तब जब इसने कम उम्र के लोगों को अपना शिकार बनाना शुरू किया । यह इतना खतरनाक बन चुका था की, तेज़ बुखार होने के सिर्फ 24 घंटे के अंदर ही लोग इससे दम तोड़ रहे थे।
Spanish flu के कैसे थे लक्षण? (symptoms of Spanish flu)
इस खतरनाक बीमारी के कारण लोगों को काफी ज्यादा मुश्किलों से गुजरना पड़ रहा था । इससे उनकी हालत काफी ज्यादा बिगड़ जाती थी। तो आइए अब जानते है इस फ्लू के लक्षण कैसे थे, जिसने करोड़ो लोगों को अपनी चपेट में ले लिया था –
- कई cases में मरीज़ को पहले काफी तेज़ बुखार होता था।
- इसके बाद उनके नाक से खून भी निकलने लगता था।
- फिर न्यूमोनिया के कारण उनके फेफड़ों में तरल भर जाता था।
- यह सब के कारण उन्हें सांस लेने में काफी ज्यादा तकलीफ होने लगती थीं।
- इतनी तकलीफ सहन ना कर पाने के कारण, लोग अपना दम तोड़ देते थे।
उस समय चिकित्सकों को भी इस नई बीमारी के बारे में कुछ ज्यादा नहीं मालूम था। इसी कारण उन्हें लोगों का इलाज करने में भी काफी ज्यादा परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था। उस समय ब्रिटेन के कुछ चिकित्सकों का ये कहना था की, इस फ्लू के कारण लोगों के फेफड़ों में इतना ज्यादा नुकसान हो रहा है, जिसे देखकर ऐसा लगता है की यह किसी रासायनिक युद्ध का शिकार हुए है।
फेफड़े क्यों हुए इतने ख़राब? (Why lungs were effected in spanish flu)
आज हम जानते है की हमारे शरीर में एक प्रक्रिया होती है, जिसे “cytokine explosion” कहा जाता है । यह मूल रूप से शरीर के प्रतिरक्षा प्रणाली यानी की immune system की एक बचाव प्रतिक्रिया होती है । यह किसी व्यक्ति की मदद करने के लिए तब सक्रिय होती है, जब शरीर में किसी वायरस द्वारा हमला किया गया हो।
मगर कभी-कभी यह हद से ज्यादा सक्रिय हो जाती है, और ज्यादा मात्रा में “cytokine” नामक messenger प्रोटीन को फेफड़ो में भेज देती है, जिस कारण वहा एक विस्फोट सा हो जाता है । इस कारण फेफड़ो में काफी सूजन हो जाता है, और उनमे तरल भरने लगता है । इन्ही कारणों से फेफड़ो को इतना ज्यादा नुकसान झेलना पड़ता है।
साथ ही यह भी एक कारण है, जिसकी वजह से इस फ्लू ने कम उम्र के लोगों की ज्यादा जान ली थी। क्युकी कम उम्र के लोगों का immune system ज्यादा मजबूत होता है, जिस कारण उनके शरीर में ज्यादा मात्रा में cytokine तैयार हुआ जो उनके फेफड़ो के लिए ज्यादा खतरनाक साबित हुआ।
Spanish flu के समय नहीं थी अच्छी टेक्नोलॉजी?
उस वक़्त के चिकित्सकों को यह तक मालूम नही था की यह वायरस है क्या । उस समय उनके पास इस नए फ्लू की जांच करने के लिए अच्छे उपकरणों की भी काफी कमी थी । साथ ही डॉक्टरों के पास आज की तरह electron microscopes भी नही थे, जिससे वह इस वायरस की study कर पाए।
इन सभी कारणों ने इस बीमारी को रोकने में काफी बाधा डाली, जिस कारण यह फ्लू पूरी दुनिया में बुरी तरह से फ़ैल गयी । आज के समय चिकित्सकों के पास काफी आधुनिक उपकरण मौजूद होते है। साथ ही वे लोग किसी जानलेवा virus को सीमित करने के काफी तरीके भी निकाल लेते है।
आज काफी उत्तम गुणवत्ता के electron microscopes मौजूद है, जिससे किसी नए virus की genetic sequence का पता लगाया जा सकता है। जिनकी मदद से अच्छे vaccines बनाने में मदद ली जा सकती है । मगर स्पेनिश फ्लू के समय ऐसा कुछ भी मौजूद नहीं था।
उस वक़्त किसी को इस बीमारी के लक्षण होने पर भी उनका सही तरीके से टेस्ट करना काफी मुश्किल था । आज contact tracing की मदद से एक-एक संक्रमित व्यक्ति का पता लगाया जाता है, जिससे संक्रमण को रोकने में मदद मिले सके।
साथ ही आज चिकित्सकों और अस्पतालों में काम करने वालों के पास अच्छे सुरक्षित साधन मौजूद है, और उन्हें समय-समय पर जरूरी जानकारियां भी मिलती रहती है । इन सब के कारण आज किसी जानलेवा बीमारी को काफी हद तक काबू कर लिया जाता है । मगर 1918 में ऐसी कोई सुविधा मौजूद नहीं थी। इन्ही कारणों से यह महामारी इतनी ज्यादा फ़ैल गयी और इतनी जानलेवा साबित हुई।
Spanish flu में क्यों नहीं हुआ लॉकडाउन? (Why no lockdown in Spanish flu)
यह कहना गलत नही होगा की उस वक़्त एक कड़े लॉकडाउन से इस महामारी के प्रकोप से काफी हद तक बचा जा सकता है। तो ऐसा उस वक़्त क्यों नही किया गया? इसका जवाब है विश्व युद्ध । उस वक़्त अधिकारियों को भी यह मालूम था की एक संक्रमित व्यक्ति दूसरो में भी यह फ्लू फैला सकता है, मगर उन्होंने इसे रोकने के लिए कोई कड़े कदम नही उठाए।
यूरोप के लोगों और बाकी दुनिया को भी सर्वव्यापी महामारी के बारे में सब कुछ मालूम था, और उन्हें यह भी मालूम था की किसी संक्रमित व्यक्ति को बाकियों से दूर रखने की जरुरत है। ब्रिटेन के चीफ मेडिकल ऑफिसर “Arthur Newsholme” को भी यह अच्छे से मालूम था की एक कड़ा लॉकडाउन इस फ्लू को फैलने से रोक सकता है।
मगर उन्होंने फिर भी लॉकडाउन का सहारा नही लिया। इसका बड़ा कारण उस समय चल रहा युद्ध था, जिस कारण वे लोग ना ही लोगों को एक जगह से दूसरी जगह जाने से रोक सकते थे, और ना ही युद्ध के लिए गोला-बारूद बनाने वाली फैक्ट्रियों को बंद करवा सकते थे।
हालाँकि ऐसा भी नही था की लोग पूरी तरह से लापरवाह थे । उस वक़्त लोगों को भीर-भार से बचने की कड़ी चेतावनी दी गयी थी । दुकानों के दरबाजो पर इस जानलेवा फ्लू की चेतावनी देने के लिए बोर्ड भी लगवाए गए थे।
अमेरिका में कई बड़ी दुकानों को बंद तक करवा दिया गया था, ताकि वहां लोगों की भीड़ ना जुट सके। साथ ही सडकों पर लोगों को थूकने से रोकने के लिए scouts भी तैनात किए गए थे, ताकि इस फ्लू को फैलने से रोका जा सके।
Spanish flu के समय थी नर्स की कमी? (Nurse shortage during spanish flu)
इस महामारी के समय अमेरिका में नर्सों को भारी कमी थी । इन नर्सों के ऊपर फ्लू से ग्रसित मरीजों की अच्छे से देखभाल करने की काफी बड़ी जिम्मेदारी थी, क्युकी उस वक़्त इस बीमारी का कोई इलाज मौजूद नही था।
इसकी जगह वे लोग ग्रसित मरीजों और सैनिकों को अच्छे से नहलाते थे, उन्हें aspirin, cough syrup और Whiskey देते थे, उनके बिस्तरों को साफ़ रखा जाता था, उन्हें गरम सूप दिया जाता था और साथ में उनके पूर्ण आराम के लिए उन्हें अच्छे से bed rest दिया जाता था। और यह सारे तरीके इस फ्लू से लड़ने में काफी ज्यादा मदद कर रहे थे।
लगभग 9 हज़ार प्रशिक्षित नर्सों को यूरोप भेजा गया, ताकि वे लोग वहां संक्रमित सैनिकों की देखभाल कर सके । साथ ही हजारों और नर्स अमेरिका के सैन्य शिविरों में काम कर रही थी । मगर फिर भी इनकी संख्या इस खतरनाक फ्लू के सामने कम पड़ गयी । उस वक़्त जंग से ज्यादा अमेरिकी सैनिकों की मौत इस फ्लू के कारण हुई थी।
हालाँकि उस समय कई अफ्रीकी-अमेरिकी नर्स अपनी सेवाए देने को तैयार थी, मगर उन्हें यह कहकर आने से रोक दिया गया की वे छोटी जगहों से पढ़ी है, और वह इस काम के लिए पूरी तरह से योग्य नही है।
यह एक काफी बड़ी गलती थी, जिसका खामियाजा बाद में सबको भुगतना पड़ा । धीरे -धीरे जब फ्लू के मरीजों की संख्या अस्पतालो में बढ़नी शुरू हुई, तब वहां नर्सों की भारी कमी हो गयी । और इस कारण इस फ्लू ने भी काफी ज्यादा कहर भरपाया।
युद्ध के खत्म होने के बाद अमेरिकी मेडिकल association ने यह कहा की अब दुनिया में एक नए तरीके की चुनौती आ गयी है, जो की है संक्रामक रोग और उन्होंने इसे मानव जाती का सबसे बड़ा दुश्मन बताया।
Spanish flu कब हुआ ख़त्म? (When did spanish flu ended)
साल 1918 के अंत तक इस फ्लू के नए मरीजों का आना धीरे-धीरे कम होता गया, और यह महामारी लगभग ख़त्म हो गयी। इसके ख़त्म होने की एक theory यह थी की, चिकित्सकों ने इस फ्लू से निपटना अच्छे तरीके से सीख लिया था। वही एक और theory यह भी थी की इस फ्लू में वक़्त के साथ कुछ परिवर्तन आ गया था, जिस कारण यह पहले से काफी कम जानलेवा हो गयी थी।
साल 1919 के मध्य तक आधिकारिक रूप से इस महामारी के पूरी तरह से ख़त्म होने की घोषणा कर दी गयी। हालाँकि इसके बाद भी कई फ्लू महामारी आई, मगर कोई भी इस स्पेनिश फ्लू के जैसी खतरनाक साबित नही हुई।
आशा करता हूं कि आज आपलोंगों को कुछ नया सीखने को ज़रूर मिला होगा। अगर आज आपने कुछ नया सीखा तो हमारे बाकी के आर्टिकल्स को भी ज़रूर पढ़ें ताकि आपको ऱोज कुछ न कुछ नया सीखने को मिले, और इस articleको अपने दोस्तों और जान पहचान वालो के साथ ज़रूर share करे जिन्हें इसकी जरूरत हो। धन्यवाद।
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