Computer Networking interview viva questions in hindi

Computer Networking के 50 इंटरव्यू प्रश्न और उत्तर | 50 Computer Networking interview, viva questions in hindi

पोस्ट को share करें-

Computer Networking के प्रश्न और उत्तर, [Computer Networking Mcq], BCA के notes, computer notes, कंप्यूटर notes, Computer Networking के mcq, Computer Networking के नए प्रश्न, Computer Networking for fresher, Computer Networking for experienced, btech computer notes in hindi.

क्या आप भी एक Computer Networking specialist बनना चाहते है, और इसके लिए इंटरव्यू की तैयारियों में लगे हुए है? या फिर आप एक student है, जो अपने Computer Networking के concept को काफी मजबूत करना चाहते है, और इसमें और अच्छा बनना चाहते है?

इन दोनों में से आप भी कोई भी क्यों ना हो,आज आप बिल्कल सही जगह पे आए है, जहाँ हम Computer Networking से समन्धित कुछ ऐसे topics के बारे में जानने वाले है, जो अमूमन interview या किसी viva में पूछे जाते आए है।

यहां, हर एक interview के साथ ही बड़ी कंपनियों में भी पूछे जाने वाले वास्तविक प्रश्न मिलेंगे, जो आपकी तैयारियों को और भी ज्यादा मजबूत करेंगे। और साथ ही यहाँ हर एक प्रश्न के साथ उसके उत्तर भी दिए गए है, ताकि तैयारी के समय की बचत हो सके।

यह आर्टिकल आपको अपने Computer Networking के कौशल को और ज्यादा साफ़ करने और अपना आत्मविश्वास वापस पाने और किसी नौकरी के लिए तैयार होने में काफी मदद करेगी। साथ ही यह उन छात्रों की भी काफी ज्यादा मदद करेगी जो, इस विषय में अपने ज्ञान को और बढ़ाना चाहते है। 

तो आइये अब हम जानते है,ऐसे ही प्रश्नों के बारे में जो experts और teacher द्वारा इस विषय में काफी ज्यादा पूछे जाते है –

Table of Contents

Network/Computer Networking क्या होता है?

  • एक network उन उपकरणों का एक set होता है, जो की किसी physical media link लिंक से जुड़े हुए होते हैं। 
  • एक network में, दो या दो से अधिक nodes किसी physical लिंक से जुड़े हुए होते है, या फिर दो या दो से अधिक networks एक या एक से अधिक nodes के द्वारा जुड़े हुए होते है।
  • एक network डेटा के share करने की अनुमति देने के लिए एक-दूसरे से जुड़े devices का एक collection यानि की संग्रह होता है।
  • नेटवर्क का एक बड़ा उदाहरण इंटरनेट है, जो की दुनिया भर के लाखों लोगों को एक दूसरे से जोड़ता है।

एक नेटवर्क दो या दो से अधिक कंप्यूटरों का एक connection सेटअप  होता है,जो की सीधे किसी physical माध्यम जैसे की ऑप्टिकल फाइबर या coaxial केबल, आदि से जुड़ा हुआ होता है। और एक connection के इस physical माध्यम को ही “link” के रूप में जाना जाता है। साथ ही जिन कंप्यूटरों से यह जुड़ा हुआ होता है, उन्हें ही “nodes” कहा जाता है।

Network topology का मतलब क्या होता है?

नेटवर्क टोपोलॉजी कंप्यूटर नेटवर्क के layout को निर्दिष्ट करता है। साथ ही नेटवर्क टोपोलॉजी  यह दिखाता है कि, किसी network में devices और cables एक दूसरे से किस तरीको से जुड़े हुए हो सकते है।

Network topology कितने प्रकार के होते है?

नेटवर्क टोपोलॉजीज छह प्रकार के होते हैं, जो की है –

Bus topology (बस टोपोलॉजी)

बस टोपोलॉजी एक नेटवर्क टोपोलॉजी होता है, जिसमें सभी nodes एक ही केबल से जुड़े हुए होते हैं, जिसे की central केबल या BUS कहा जाता है।

bus topology kya hai
Fig – Bus topology

यह सिस्टम एक shared संचार माध्यम के रूप में कार्य करता है, अर्थात, यदि कोई उपकरण अन्य उपकरणों को data भेजना चाहता है, तो वह डेटा को BUS के ऊपर भेज देगा जो आगे बदले में सभी attached उपकरणों तक उस डेटा को भेज देगा।

बस टोपोलॉजी कम संख्या में इस्तेमाल हो रहे उपकरणों के लिए काफी उपयोगी होता है। हालाँकि अगर BUS का मुख्य लाइन खराब हो जाता है, तो पूरा network ही फेल हो जाता है।

Star topology (स्टार टोपोलॉजी)

स्टार टोपोलॉजी एक नेटवर्क टोपोलॉजी है, जिसमें सभी nodes एक ही device से जुड़े होते हैं, जिसे की सेंट्रल device कहा जाता है। स्टार टोपोलॉजी को अन्य तरह से टोपोलॉजी की तुलना में अधिक cable की आवश्यकता होती है। इसलिए, यह अधिक मजबूत भी होता है, क्योंकि एक केबल में खराबी होने पर, केवल उस केबल से जुड़े हुए  कंप्यूटर ही networking सिस्टम से disconnect होंगे।

star topology kya hai
Fig – Star topology
Ring topology (रिंग टोपोलॉजी)

रिंग टोपोलॉजी एक नेटवर्क टोपोलॉजी है, जिसमें nodes दो या दो से अधिक nodes से जुड़े हुए होते हैं और इस प्रकार, डेटा ट्रांसमिशन के लिए एक continuous यानि की निरंतर path  बनाते हैं। साथ ही इसमें nodes के बीच connectivity को नियंत्रित करने के लिए किसी central server की आवश्यकता भी नहीं होती है।

ring topology kya hai
Fig – Ring topology

हालाँकि, यदि इसमें कोई single node क्षतिग्रस्त होता है, तो पूरा नेटवर्क ही फेल हो जाता है। रिंग टोपोलॉजी का उपयोग बहुत ही कम किया जाता है, क्योंकि यह काफी महंगा होता है, और साथ ही इसे install और manage करना भी काफी मुश्किल होता है। रिंग टोपोलॉजी के उदाहरण SDH नेटवर्क, SONET नेटवर्क, आदि।

Tree topology (ट्री टोपोलॉजी)

ट्री टोपोलॉजी स्टार और बस टोपोलॉजी का एक combination होता है। और इसे expanded स्टार टोपोलॉजी के रूप में भी जाना जाता है। ट्री टोपोलॉजी में, सभी स्टार नेटवर्क एक ही BUS से जुड़े हुए होते हैं। और इस टोपोलॉजी में ethernet प्रोटोकॉल का प्रयोग किया जाता है।

tree topology kya hai
Fig – Tree topology

इसमें पूरे नेटवर्क को स्टार नेटवर्क के नाम से जाने जाने वाले segments में बांटा जाता है, जिसे की आसानी से maintain किया जा सकता है। यदि इसमें कोई एक segment में खराबी होती है, तो इसका अन्य segments पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। ट्री टोपोलॉजी “main bus” पर निर्भर करती है, और अगर इस main लाइन में कोई खराबी आती है, तो यह पूरा नेटवर्क ही क्षतिग्रस्त हो जाता है।

Mesh topology (मेश टोपोलॉजी)

मेश टोपोलॉजी एक नेटवर्क टोपोलॉजी है, जिसमें सभी nodes individually यानि की व्यक्तिगत रूप से अन्य सभी nodes से जुड़े हुए होते हैं। यहाँ nodes के बीच connectivity को नियंत्रित करने के लिए इसे किसी सेंट्रल switch या hub की आवश्यकता भी नही होती है।

मेश टोपोलॉजी दो प्रकार के होते है –

  • Fully connected mesh topology – इस टोपोलॉजी में सभी nodes एक दूसरे से जुड़े हुए होते हैं।
  • Partially connected mesh topology – इस टोपोलॉजी में, सभी nodes एक दूसरे से जुड़े हुए नहीं होते हैं।
mesh topology kya hai
Fig – Mesh topology

यह टोपोलॉजी काफी मजबूत है, क्योंकि एक cable में किसी तरह विफलता केवल उस cable से जुड़े निर्दिष्ट कंप्यूटर को ही disconnect करेगी। हालाँकि, मेश टोपोलॉजी का उपयोग शायद ही कभी किया जाता है, क्योंकि connectivity अधिक होने पर installation और configuration करना भी काफी मुश्किल हो जाता है। साथ ही इसमें cable बिछाने की लागत भी अधिक है, क्योंकि इसके लिए bulk wiring की आवश्यकता होती है।

Hybrid topology (हाइब्रिड टोपोलॉजी)

हाइब्रिड टोपोलॉजी विभिन्न टोपोलॉजी का एक combination होता है। यदि स्टार टोपोलॉजी को किसी अन्य स्टार टोपोलॉजी से जोड़ा जाता है, तो यह स्टार टोपोलॉजी बनी रहती है। मगर, यदि स्टार टोपोलॉजी को अलग-अलग टोपोलॉजी से जोड़ा जाए तो यह हाइब्रिड टोपोलॉजी बन जाती है।

hybrid topology kya hai
Fig – Hybrid topology

Network reliability क्या होती है?

Network reliability का अर्थ किसी नेटवर्क की क्षमता जो जानना होता है, जैसे की किसी computer networking से communication करने की क्षमता को समझना। साथ ही network functionality में भी यह काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। और किसी नेटवर्क को reliable बनाने के लिए network monitoring systems और devices की भी आवश्यकताएं होती है। 

नेटवर्क monitoring सिस्टम नेटवर्क में आने वाली सभी तरह की समस्याओं की पहचान करता है, जबकि नेटवर्क device यह सुनिश्चित करते हैं, कि डेटा appropriate यानि की उचित destination तक पहुंचना चाहिए।

Network reliability को कैसे measured किया जाता है?

Computer networking में एक नेटवर्क की reliability को निम्नलिखित factors द्वारा मापा जा सकता है, जो की है –

  • Failure Frequency : यह वह frequency होती है, जब यह अपने तय किये गए कामों को करने में विफल रहता है।
  • Downtime : यह किसी तरह की गरबरी के बाद नेटवर्क द्वारा खुद को दोबारा recover करने के समय को कहा जाता है।
  • Catastrophe : यह इशारा करता है, कि नेटवर्क पर किसी unexpected घटना जैसे की आग, भूकंप, आदि द्वारा खराबी आई है।

नेटवर्क की reliability को प्रभावित करने के factors क्या है?

Computer networking में किसी network की reliability को दो तरह के factors से प्रभावित किया जा सकता है, जो की है –

  • विफलता की आवृत्ति (Frequency of failure)
  • विफलता के बाद नेटवर्क के ठीक होने का समय (Recovery time of a network after a failure)

Distributed Processing के फायदे क्या-क्या है?

इसके कई तरह के फायदे होते है, जैसे की –

  • यह Encapsulation को सपोर्ट करता है।
  • इसमें Distributed database कस इस्तेमाल होता है। 
  • इसमें समस्या का समाधान तेजी से होता है।
  • इसमें Collaborative Processing होती है। 
  • यह काफी सुरक्षित होता है।    आदि।   

नेटवर्क की security को प्रभावित करने के factors क्या होते है?

किसी network की security को दो तरह के factors से प्रभावित किया जा सकता है, जो की है –

  • Unauthorised Access
  • Viruses

नेटवर्क की performance को प्रभावित करने के factors क्या होते है?

किसी network की performance को प्रभावित करने के कई factors हो सकते है, जैसे की –

  • उपयोगकर्ताओं की एक बड़ी संख्या।
  • संचरण माध्यम का प्रकार।
  • सॉफ्टवेयर।
  • हार्डवेयर।    आदि।

Network को effective और efficient कैसे बनाया जा सकता है?

Computer networking में मुख्य रूप से किसी नेटवर्क को प्रभावी और कुशल बनाने के चार factors होते है, जो की है – 

  • प्रदर्शन (Performance) – नेटवर्क के प्रदर्शन को कई तरीकों से मापा जा सकता है, जैसे संचारण का समय, प्रतिक्रिया का समय, आदि।
  • विश्वसनीयता (Reliability) – विश्वसनीयता को विफलता की frequency से मापा जाता है।
  • मजबूती (Robustness) – यह एक नेटवर्क के मजबूत और अच्छी स्थिति में होने की quality या condition को निर्दिष्ट करती है।
  • सुरक्षा (Security) – यह निर्दिष्ट करता है, कि डेटा को unauthorized पहुंच और वायरस से कैसे बचाया जाए।

Bandwidth किसे कहते है?

प्रत्येक signal में एक ऊपरी सीमा range और एक निचली सीमा की range मौजूद होती है। और इसकी इसी ऊपरी और निचली range के बीच मौजूद किसी नेटवर्क की सीमा को ही Bandwidth कहा जाता है।

Gateway क्या होता है? 

एक node जो की दो या दो से अधिक नेटवर्क से जुड़ा हुआ होता है उसे ही आमतौर पर “gateway” के रूप में जाना जाता है। इनके अलावा इसे “router” के नाम से भी जाना जाता है। और इसका उपयोग संदेशों को एक नेटवर्क से दूसरे नेटवर्क पर forward करने के लिए किया जाता है। Gateway और router दोनों ही नेटवर्क में ट्रैफिक को रेगुलेट करने के काम आते हैं।

Gateway और Router में क्या अंतर है?

किसी gateway और router के बीच का अंतर यह होता है की, एक router दो समान नेटवर्क के बीच डेटा को भेजता है, जबकि एक gateway दो अलग-अलग नेटवर्क के बीच डेटा को भेजता है।

Computer networking में DNS क्या होता है?

DNS का मतलब “डोमेन नेम सिस्टम” होता है, और इसकी शुरुआत साल 1983 में अमेरिकी कंप्यूटर साइंटिस्ट “Paul Mockapetris” और “Jon Postel” ने की थी। यह इंटरनेट पर सभी तरह के resources के लिए एक नामकरण प्रणाली है, जिसमें physical nodes और applications भी शामिल हैं। इसका उपयोग नेटवर्क पर आसानी से resources का पता लगाने के लिए किया जाता है।

DNS एक तरह का इंटरनेट ही है, जो की domain के नामों को उनके संबंधित IP addresses पर map करता है। और DNS के बिना, अगर उपयोगकर्ताओं को किसी वेब पेज को access करना हो, तो उन्हें उस वेब पेज का IP address जानना जरुरी होगा।

DNS कैसे काम करता है?

तो आइये अब हम जानते है DNS के काम करने का तरीका, जैसे की यदि आप “hindikhoji” की वेबसाइट पर जाना चाहते हैं, तो यूजर पहले वेब ब्राउज़र के address bar में “https://www.hindikhoji.com” टाइप करेगा। फिर एक बार डोमेन नाम दर्ज करने के बाद, domain name की प्रणाली डोमेन नाम को IP address में बदल देगी, जिसे की कंप्यूटर द्वारा आसानी से interpret यानि की व्याख्या किया जा सकता है। फिर IP address का उपयोग करके, कंप्यूटर आसानी से अपने यूजर द्वारा requested वेब पेज का पता लगा सकता है।

DNS forwarder क्या होता है?

एक forwarder का उपयोग DNS सर्वर के साथ तब किया जाता है, जब उसे ऐसी DNS queries प्राप्त होती हैं, जिन्हें उसके द्वारा तुरंत हल नहीं किया जा सकता है। तो यह उन requests के समाधान के लिए ही बाहरी DNS सर्वरों को इसे forward कर देता है।

साथ ही एक DNS सर्वर जो एक forwarder के रूप में configured किया गया है, वह उस DNS सर्वर से अलग व्यवहार करेगा, जो कि एक forwarder के रूप में configured नहीं किया गया है।

जब DNS एक forwarder के रूप में configured किया जाता है, तो वह निम्नलिखित तरीके से व्यवहार करता है –

  • जब DNS सर्वर query प्राप्त करता है, तो यह cache का उपयोग करके उस query को हल करता है।
  • यदि DNS सर्वर किसी query को हल करने में सक्षम नहीं है, तो यह query को दूसरे DNS सर्वर को forward कर देता है।
  • यदि forwarder उपलब्ध नहीं है, तो वह root hint का उपयोग करके query को हल करने का प्रयास करेगा।

Computer networking में NIC क्या होता है?

NIC का मतलब “Network Interface Card” होता है। और यह किसी एक नेटवर्क से जुड़ने के लिए PC से जुड़ा हुआ एक peripheral कार्ड होता है। प्रत्येक NIC का अपना एक MAC address होता है, जो की नेटवर्क पर किसी PC की पहचान करता है। साथ ही यह “लोकल एरिया नेटवर्क” को वायरलेस कनेक्शन प्रदान करता है। और NIC का प्रयोग मुख्य रूप से desktop कंप्यूटर में किया जाता था।

Computer networking में NOS क्या होता है?

NOS का मतलब “Network Operating System” होता है। यह एक तरह के विशेष सॉफ्टवेयर होता है, जिसका इस्तेमाल कंप्यूटर को नेटवर्क connectivity प्रदान करने के लिए किया जाता है, ताकि उसका अन्य कंप्यूटरों और उससे जुड़े हुए उपकरणों के साथ communication संभव हो सके।

NOS वह सॉफ्टवेयर है, जो किसी device को संचार करने, और उसे अन्य उपकरणों के साथ फाइल शेयर करने की अनुमति देता है। नेटवर्क ऑपरेटिंग सिस्टम “Novel NetWare” था जिसे की साल 1983 में release किया गया था। NOS के कुछ अन्य उदाहरण भी है, जैसे की Windows 2000, Windows XP, Linux, आदि।

10Base-T का क्या मतलब होता है?

इसका उपयोग डेटा ट्रांसफर के rate को specify करने के लिए किया जाता है। “10Base-T” में, डेटा ट्रांसफर rate 10 होता है, यानी की इसमें डेटा का ट्रांसफर 10 mbps के rate से होता हैं। इसमें “base” शब्द broadband के विपरीत baseband को specify करता है, और “T” cable के प्रकार को specify करता है जो की एक twisted pair होता है।

Computer networks के अलग-अलग प्रकार क्या है?

वितरण यानि की distribution के क्षेत्र के आधार पर नेटवर्क के अलग-अलग प्रकार होते है, जैसे की –

  • LAN (लोकल एरिया नेटवर्क) – इसका उपयोग कार्यालय, अस्पताल, स्कूल आदि जैसे छोटे भौगोलिक स्थान के लिए किया जाता है।
  • PAN (पर्सनल एरिया नेटवर्क) – इसकी range लिमिट लगभग 10 मीटर तक की होती है। इसे व्यक्तिगत उपयोग के लिए बनाया गया है। आम तौर पर, व्यक्तिगत उपकरण इस नेटवर्क से जुड़े हुए होते हैं। उदाहरण के लिए कंप्यूटर, टेलीफोन, फैक्स मशीन, प्रिंटर आदि।
  • WAN (वाइड एरिया नेटवर्क) – इसका उपयोग एक wide यानि की विस्तृत भौगोलिक स्थान पर किया जाता है, जो की शहरों और देशों को जोड़ने के लिए हो सकता है।
  • MAN (मेट्रोपॉलिटन एरिया नेटवर्क) – इसका उपयोग उन उपकरणों को जोड़ने के लिए किया जाता है, जो की एक विस्तृत भौगोलिक क्षेत्र में किसी महानगरीय शहरों जैसे बड़े शहरों में फैले हुए होते हैं।
  • HAN (हाउस एरिया नेटवर्क) – यह वास्तव में एक तरह का LAN ही है, जिसका उपयोग घर के भीतर किया जाता है और घरेलू उपकरणों जैसे की पर्सनल कंप्यूटर, फोन, प्रिंटर इत्यादि को जोड़ने के लिए इसका उपयोग होता है।
  • CAN (कैंपस एरिया नेटवर्क) – यह एक परिसर यानि की campus क्षेत्र के भीतर उपकरणों का एक कनेक्शन होता है, जो की उसी campus के भीतर organization के अन्य विभागों से जुड़ा हुआ होता है।
  • GAN (ग्लोबल एरिया नेटवर्क) – यह global यानि की वैश्विक स्तर पर उपकरणों को जोड़ने के लिए इस्तेमाल किया जाता है, और इसमें satellites का उपयोग किया जाता है।

IP address क्या होता है?

IP address एक नेटवर्क सिस्टम में किसी कंप्यूटर का एक unique 32-bit सॉफ़्टवेयर address होता है।

Public IP address क्या होता है?

एक Public IP address इंटरनेट सेवा Provider द्वारा लिया गया एक पता होता है, जो इंटरनेट पर उसे communication की सुविधा प्रदान करता है।

Private IP address क्या होता है?

IP address की तीन श्रेणियां ऐसी होती हैं, जिन्हें IP addresses के लिए आरक्षित किया गया होता है। और यह इंटरनेट पर उपयोग के लिए मान्य नहीं होती हैं। यदि आप इन private IPs पर इंटरनेट का उपयोग करना चाहते हैं, तो आपको proxy सर्वर या NAT सर्वर का उपयोग करना होगा।

MAC address का मतलब क्या होता है?

MAC का मतलब “Media Access Control” होता है। और यह नेटवर्क Architecture के मीडिया एक्सेस कंट्रोल लेयर पर किसी device का पता होता है। यह एक अनूठा पता होता है, जिसका अर्थ यह ये होता है कि, किन्ही दो उपकरणों में समान MAC पते नहीं हो सकते हैं।

Computer networking में POP3 क्या है?

POP3 का मतलब “Post Office Protocol” version3 है। POP किसी client मशीन पर मेल सेवा तक पहुँचने के लिए ज़िम्मेदार होता है। साथ ही POP3 दो मॉडल जैसे की Keep mode और Delete mode पर काम करता है।

Computer networking में ADS क्या है?

ADS का मतलब “Active Directory Structure” होता है। ADS एक Microsoft द्वारा बनाई गयी तकनीक है, जिसका उपयोग कंप्यूटर और अन्य उपकरणों को manage करने के लिए किया जाता है। ADS नेटवर्क administrators को किसी नेटवर्क के भीतर domains, users और objects का manage करने की अनुमति देता है।

ADS में तीन मुख्य स्तर होते हैं, जो की है –

  • Domain – इसमें एक ही डेटाबेस का उपयोग करने वाले users को एक ही domain में grouped किया जाएगा।
  • Tree – एक से अधिक domain को एक ही tree में group किया जा सकता है।
  • Forest – एक से अधिक trees को एक ही forest में group किया जा सकता है।

Computer networking में RAID क्या है?

RAID एक से अधिक हार्ड डिस्क ड्राइव (HDD) का उपयोग करके Fault Tolerance प्रदान करने की एक method होता है।

Anonymous FTP क्या होता है?

Anonymous FTP का इस्तेमाल users को public सर्वर में मौजूद फ़ाइलों तक पहुँच प्रदान करने के लिए किया जाता है। जिन users को इन सर्वरों में डेटा तक पहुंच की अनुमति होती है, उन्हें अपनी पहचानने identify करवाने की आवश्यकता नहीं होती है, बल्कि इसके बजाय, वे लोग anonymous guest के रूप में log in कर सकते है।

Protocol किसे कहा जाता है?

Protocol नियमों का एक set होता है, जिसका उपयोग सूचना संचार के सभी aspects यानि की पहलुओं को नियंत्रित करने के लिए किया जाता है।

Protocol के मुख्य elements क्या होते है?

एक प्रोटोकॉल के मुख्य elements हैं –

  • Syntax – यह डेटा के structure और format को निर्दिष्ट करता है। साथ ही यह उस order को भी निर्दिष्ट करता है, जिसमें उन्हें present यानि की प्रस्तुत किया जाता है।
  • Semantics – यह bits के प्रत्येक section का अर्थ निर्दिष्ट करता है।
  • Timing – यह दो characteristics को निर्दिष्ट करता है, जो की है, डेटा कब भेजा जाना चाहिए और इसे कितनी तेजी से भेजा जा सकता है।

OSI reference model क्या होता है?

OSI reference मॉडल एक ISO standard है, जो सात layers में प्रोटोकॉल को लागू करने के लिए networking ढांचे को परिभाषित करता है। इन सात परतों को तीन श्रेणियों में बांटा जा सकता है, जो की है –

  • Network layer – परत 1, परत 2 और परत 3 नेटवर्क परत में शामिल हैं।
  • Transport layer – परत 4 एक ट्रांसपोर्ट लेयर है।
  • Application layer – परत 5, परत 6, और परत 7 इसमें शामिल होते हैं।

OSI model के 7 layers क्या है?

OSI reference model में 7 अलग-अलग layers मौजूद होते है, जो की है –

OSI Physical Layer
  • यह OSI reference मॉडल की सबसे निचली परत होती है।
  • इसका उपयोग physical माध्यम पर एक unstructured raw bit स्ट्रीम के transmission के लिए किया जाता है।
  • यह डेटा को electrical/optical या फिर mechanical रूप में प्रसारित करती है।
  • साथ ही इसका उपयोग मुख्य रूप से उपकरणों के बीच physical connection के लिए किया जाता है, और इस तरह के physical connection को twisted-pair cable, fiber-optic या wireless ट्रांसमिशन मीडिया का उपयोग करके बनाया जा सकता है।
  • इसका उपयोग डेटा को एक नोड से दूसरे नोड में transfer करने के लिए किया जाता है।
  • यह नेटवर्क लेयर से डेटा को प्राप्त करता है, और डेटा को डेटा फ़्रेम में convert करता है।
  • फिर इन frames को physical address से attach किया जाता है, जो फिर physical layer पर भेजे जाते हैं।
  • साथ ही यह एक नोड से दूसरे नोड में डेटा के error-free ट्रांसफर को सक्षम बनाता है।
  • डेटा-लिंक layer के कार्य है –
Frame synchronization – डेटा-लिंक लेयर डेटा को फ़्रेम में convert करती है, और यह सुनिश्चित करती है कि इसके destination को प्रत्येक फ़्रेम के प्रारंभ और अंत को पहचानना चाहिए।
Flow control – डेटा-लिंक लेयर नेटवर्क के भीतर डेटा flow को नियंत्रित करती है।
Error control – यह source से destination तक transmission के दौरान हुई किसी प्रकार के error का पता लगाता है, और उसे ठीक करता है।
Addressing – डेटा-लिंक लेयर physical address को डेटा फ्रेम के साथ जोड़ती है, ताकि individual मशीनों को आसानी से पहचाना जा सके।
Link management – डेटा-लिंक लेयर डेटा के effective आदान-प्रदान के लिए source और destination के बीच लिंक की initiation, maintenance और , termination का प्रबंधन करती है।
OSI Network Layer
  • नेटवर्क परत logical address को physical address में बदल देती है।
  • यह routing concept प्रदान करता है, इसका मतलब है कि यह डेटा पैकेट के source से destination तक यात्रा करने के लिए सबसे अच्छा मार्ग निर्धारित करता है।
  • नेटवर्क layer के कार्य है –
Routing – नेटवर्क लेयर source से destination तक का सबसे अच्छा मार्ग निर्धारित करती है। और इसी function को रूटिंग के रूप में जाना जाता है।
Logical addressing – नेटवर्क लेयर प्रत्येक device को विशिष्ट रूप से पहचानने के लिए addressing scheme को define करता है।
Packetizing – नेटवर्क लेयर अपने ऊपरी परत से डेटा प्राप्त करती है, और डेटा को पैकेट में बदलती है। इस प्रक्रिया को पैकेटिंग के रूप में जाना जाता है।
Internetworking – नेटवर्क लेयर एक बड़ा नेटवर्क बनाने के लिए विभिन्न प्रकार के नेटवर्क के बीच logical connection प्रदान करता है।
Fragmentation – यह डेटा पैकेट को टुकड़ों में विभाजित करने की एक प्रक्रिया होती है।
OSI model
Fig – OSI reference model
OSI Transport Layer

यह नेटवर्क के माध्यम से संदेश को deliver करता है, और साठी यह किसी तरह की error की जाँच भी करता है, ताकि डेटा के transfer के दौरान उसमे कोई error ना हो सके।

यह दो प्रकार की सेवाएं प्रदान करता है, जो की है –

  • Connection-oriented transmission – इस ट्रांसमिशन में, पैकेट प्राप्त होने के बाद receiver इसके sender को इसकी प्राप्ति सूचना यानि की acknowledgment भेजता है।
  • Connectionless transmission – इस ट्रांसमिशन में, receiver इसके sender को किसी तरह का प्राप्ति सूचना नहीं भेजता है।
OSI Session Layer
  • इस लेयर की मुख्य जिम्मेदारी उपकरणों के बीच संचार को शुरू करना, उसे बनाए रखना और उसे समाप्त करना होता है।
  • यह अपने ऊपरी परतों से आने वाली किसी तरह के डेटा error की भी रिपोर्ट करती है।
  • साथ ही, ये लेयर  दो users के बीच session की स्थापना और उसका रखरखाव करती है।
OSI Presentation Layer

इस लेयर को translation लेयर के रूप में भी जाना जाता है, क्योंकि यह डेटा को एक format से दूसरे format में ट्रांसलेट करती है।

Sender के तरफ, यह परत एप्लिकेशन लेयर द्वारा उपयोग किए गए डेटा format को सामान्य format  में ट्रांसलेट करती है, और receiver की तरफ, यह परत सामान्य format को एप्लिकेशन लेयर द्वारा उपयोग किए जाने वाले format में ट्रांसलेट करती है।

Presentation लेयर के कार्य होते है –

  • Character code का translation करना। 
  • डेटा का conversion करना।
  • डेटा का compression करना।
  • डेटा को encrypt करना।
OSI Application Layer
  • यह OSI मॉडल की सबसे ऊपरी परत होती है।
  • एप्लिकेशन लेयर users को नेटवर्क तक पहुंचने में सक्षम बनाती है।
  • एप्लिकेशन लेयर प्रोटोकॉल – फाइल ट्रांसफर प्रोटोकॉल, सिंपल मेल ट्रांसफर प्रोटोकॉल, डोमेन नेम सिस्टम आदि हैं।
  • सबसे व्यापक रूप से इस्तेमाल किया जाने वाला एप्लिकेशन प्रोटोकॉल “HTTP” (Hypertext transfer protocol) है। और एक user HTTP का उपयोग करके किसी वेब पेज के लिए request भेजता है।

OSI physical layer का क्या इस्तेमाल है?

इस लेयर का उपयोग डेटा bits को electrical signals और electrical signals को डेटा bits में बदलने के लिए किया जाता है। इस लेयर पर, नेटवर्क उपकरणों और केबल के types पर भी विचार किया जाता है, और फिर उन्हें set up किया जाता है।

OSI session layer का क्या इस्तेमाल है?

यह लेयर नेटवर्क पर मौजूद दो उपकरणों के लिए एक सत्र आयोजित करके एक दूसरे के साथ संचार करने के लिए protocol और साधन प्रदान करती है। साथ ही, यह लेयर session की स्थापना, session के दौरान सूचना के आदान-प्रदान के प्रबंधन और session की समाप्ति पर tear-down की प्रक्रिया के लिए भी जिम्मेदार होता है।

Computer networking में RIP क्या है?

  • Computer networking में RIP का मतलब “Routing Information Protocol” होता है। 
  • यह एक नेटवर्क से दूसरे नेटवर्क में डेटा भेजने के लिए routers द्वारा access किया जाता है।
  • RIP एक dynamic प्रोटोकॉल होता है, जो की hop count एल्गोरिथम का उपयोग करके नेटवर्क पर source  से destination तक का सबसे अच्छा मार्ग खोजता है।
  • साथ ही routers इस प्रोटोकॉल का उपयोग नेटवर्क टोपोलॉजी सूचनाओं के आदान-प्रदान के लिए करते हैं।
  • इस प्रोटोकॉल का उपयोग छोटे या मध्यम आकार के नेटवर्क द्वारा भी किया जा सकता है।

TCP/IP क्या होता है?

TCP/IP का मतलब “Transmission Control Protocol /Internet protocol” होता है। यह प्रोटोकॉल layers का एक सेट होता है, जिसे विभिन्न प्रकार के नेटवर्क पर डेटा के आदान-प्रदान के लिए design किया गया है।

TCP/IP में कितने layers होते है?

TCP/IP में चार basic लेयर मौजूद होते है –

  1. Application Layer
  2. Transport Layer
  3. Internet Layer
  4. Network Layer

TCP/IP model और OSI model में क्या अंतर होता है?

TCP/IP modelOSI model
इसका मतलब “transmission control protocol” होता है।इसका मतलब “Open System Interconnection” होता है।
इसमें 4 लेयर होती है। इसमें 7 लेयर होती है। 
यह protocol-dependent होता है यह protocol-dependent नही होता है।
TCP/IP मॉडल ने पहले प्रोटोकॉल और फिर मॉडल विकसित किया। OSI मॉडल ने पहले मॉडल और फिर प्रोटोकॉल विकसित किया।
OSI मॉडल की तुलना में TCP/IP अधिक reliable है। TCP/IP मॉडल की तुलना में OSI मॉडल कम reliable होता है।
यह horizontal approach का उपयोग करता है।यह vertical approach का उपयोग करता है।
यह application लेयर में session और presentation लेयर दोनों का इस्तेमाल करता है।OSI मॉडल अलग session और अलग presentation लेयर का उपयोग करता है।
Network लेयर में TCP/IP मॉडल सिर्फ connectionless communication को सपोर्ट करता है।Network लेयर में OSI मॉडल  connection-oriented और connectionless दोनों ही तरह के communication को सपोर्ट करता है।

Netstat क्या है?

Netstat एक कमांड-लाइन utility प्रोग्राम है। और यह किसी connection की वर्तमान TCP/IP setting के बारे में उपयोगी जानकारी प्रदान करता है।

Ping command का क्या मतलब होता है?

पिंग एक utility program है, जो की आपको नेटवर्क उपकरणों के बीच connectivity की जांच करने की अनुमति देता है। साथ ही आप उपकरणों को उनके IP address या नाम का उपयोग करके भी ping कर सकते हैं।

Sneakernet किसे कहते है?

Sneakernet नेटवर्किंग का सबसे earliest यानि की प्रारंभिक रूप है, जहां डेटा को removable योग्य media का उपयोग करके physical रूप से ले जाया जाता है।

Computer networking में congested switch क्या होता है?

एक switch किसी shared लिंक की तुलना में तेजी से डेटा पैकेट को प्राप्त करता है। फिर यह एक extended period के लिए इसे अपनी मेमोरी में accommodate और स्टोर कर सकता है, फिर switch अंततः buffer space से बाहर हो जाएगा, और जिस कारण कुछ डेटा पैकेट को drop करना होगा। और इस state को congested state कहा जाता है।

Computer networking में multiplexing क्या है?

Computer networking में, multiplexing तकनीकों का एक सेट होता है, जिसका उपयोग एक ही डेटा लिंक पर कई सारे संकेतों के एक साथ transmission की अनुमति देने के लिए किया जाता है।

Domain और workgroup में क्या अंतर है?

DomainWorkgroup
यह एक Client/Server नेटवर्क होता है। यह एक peer-to-peer कंप्यूटर नेटवर्क होता है। 
एक domain में 2000 कंप्यूटर तक हो सकते हैं।एक workgroup में अधिकतम 10 कंप्यूटर हो सकते हैं।
इसमें किसी एक कंप्यूटर में किया गया कोई भी परिवर्तन बाकि मौजूद सभी कंप्यूटरों में reflect करेगा।इसमें प्रत्येक कंप्यूटर को manual रूप से बदला जाना चाहिए।
इसमें कंप्यूटर किसी भी नेटवर्क पर या दुनिया में कहीं भी मौजूद हो सकता है।इसमें सभी कंप्यूटर एक ही लोकल area नेटवर्क पर होने चाहिए।
Domain और उसके संसाधनों को administer करने के लिए एक administrator होता है।यहाँ प्रत्येक user अपने PC पर व्यक्तिगत रूप से resources को manage कर सकता है। 

Address sharing का क्या advantage होता है?

यह routing के बजाय सुरक्षा लाभ प्रदान करता है। और ऐसा इसलिए है, क्योंकि इंटरनेट पर host PC कंप्यूटर पर केवल बाहरी interface का public IP देख सकते हैं, जो address translation प्रदान करता है, ना कि internal नेटवर्क पर मौजूद निजी IP पते।

FAQ (Frequently Asked Questions)

Computer network को किसने बनाया था?

साल 1961 में, Leonard Kleinrock ने सबसे शुरुआती कंप्यूटर नेटवर्क का प्रस्ताव दिया था, जो की ARPANET का एक idea था। फिर साल 1965 में, Donald Davies ने “packet” शब्द को introduced करवाया, जो किसी नेटवर्क पर कंप्यूटर के बीच डेटा को भेजने के तरीके का वर्णन करने के लिए इस्तेमाल किया गया था।

ARPANET का full form क्या होता है?

ARPANET का मतलब “Advanced Research Projects Agency Network” है। 

DNS का full form क्या होता है?

DNS का मतलब “Domain Name System” है। 

APIPA का मतलब क्या होता है?

APIPA का मतलब “Automatic Private IP Addressing” होता है। और यह सुविधा आमतौर पर माइक्रोसॉफ्ट के ऑपरेटिंग सिस्टम में पाई जाती है।

RAID का full form क्या होता है?

RAID का मतलब “Redundant Array of Independent Disks” होता है।

एक UTP cable के लिए allowed अधिकतम लंबाई क्या होती है?

UTP केबल की अधिकतम लंबाई 90 से 100 मीटर तक की होती है।

Peer-peer process क्या होता है?

प्रत्येक मशीन में एक निश्चित layer पर संचार करने वाली प्रक्रियाओं को ही पीयर-पीयर process कहा जाता है।

RSA Algorithm क्या होता है?

RSA का मतलब “Rivest-Shamir-Adleman” होता है। और इसका उपयोग ज्यादातर public-key encryption के लिए किया जाता है।

आशा करता हूं कि आज आपलोंगों को कुछ नया सीखने को ज़रूर मिला होगा। अगर आज आपने कुछ नया सीखा तो हमारे बाकी के आर्टिकल्स को भी ज़रूर पढ़ें ताकि आपको ऱोज कुछ न कुछ नया सीखने को मिले, और इस articleको अपने दोस्तों और जान पहचान वालो के साथ ज़रूर share करे जिन्हें इसकी जरूरत हो। धन्यवाद।  

Also read –

Operating System के 40 इंटरव्यू प्रश्न और उत्तर

JavaScript के 60 इंटरव्यू प्रश्न और उत्तर


पोस्ट को share करें-

Similar Posts

One Comment

  1. It’s really a great and helpful piece of info.
    I am happy that you just shared this helpful info with us.

    Please stay us up to date like this. Thanks for sharing.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *