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गगनयान मिशन क्या है, निबंध, परिचय? | What is gaganyaan mission in hindi

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आज भारत की अंतरिक्ष एजेंसी दुनिया के साथ कदम से कदम मिलाकर चल रही है | समय-समय पर यह space agency पूरी दुनिया में अपना लोहा मानवत रही है | अपने अद्भुत और असाधारण experiments के साथ-साथ यह एजेंसी अपने सस्ते space missions के लिए भी काफी जानी जाती है | और कम बजट में बहतरीन काम करने के लिए पूरी दुनिया से इसे काफी वाह-वाही मिलती रही है | 

इसी नाम को आगे बढ़ाते हुए अब भारत की अंतरिक्ष एजेंसी ISRO अपने पहले मानव अंतरिक्ष यान की और आगे बढ़ रही है, जिसका नाम “Gaganyaan” रखा गया है | तो आइये अब हम जानते इसी यान के बारे में कुछ खाश बाते, जिसके बारे में सायद ही आपको मालूम हो |

मूल देश भारत
ऑपरेटर इसरो (ISRO)
चालक दल की क्षमता 3 से 4 
शुष्क द्रव्यमान3,735 Kg 
आयाम व्यास3.5 मीटर (11 फीट)
ऊंचाई3.58 मीटर (11.7 फीट)

Table of Contents

क्या है गगनयान मिशन? (gaganyaan mission explaination in hindi)

Gaganyaan भारतीय अंतरिक्ष संगठन (ISRO) द्वारा 2022 तक पांच से लेकर सात दिनों की अवधि के लिए तीन सदस्यीय दल को अंतरिक्ष में भेजने का एक मिशन है, जो की भारतीय अंतरिक्ष जगत ले लिए एक बड़ी उपलब्धि होगी | और इस मिशन की प्रमुख ISRO में साइंटिस्ट के पद पर नियुक्त V. R. Lalithambika है |

कब हुई थी गगनयान मिशन की शुरुवात? (When gaganyaan mission was announced) 

Gaganyaan अंतरिक्ष मिशन की घोषणा पहली बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 2018 में राष्ट्र के नाम अपने दिए गए स्वतंत्रता दिवस के संबोधन में की गयी थी।

क्या है इस मिशन का प्लान? (Gaganyaan mission plan)

इस अंतरिक्ष मिशन के तहत भारतीय अंतरिक्ष संगठन (ISRO) द्वारा कुछ प्लान्स बनाये गए है, जो की है –

  • मानव मिशन से पहले, ISRO ने Gaganyaan मिशन के एक हिस्से के रूप में दो मानव रहित मिशन अंतरिक्ष में भेजने की योजना बनाई है।
  • इसके तहत पहले मानव रहित मिशन को दिसंबर 2020 में भेजा जाना था, और दूसरा मिशन को जून 2021 के लिए निर्धारित किया गया था।
  • हालाँकि, कोरोना वायरस महामारी के कारण पहले मिशन में देरी हुई, जिस कारण schedule को आगे बढ़ाना पड़ा | 
  • और इस Gaganyaan अंतरिक्ष यान को 300 से 400 किलोमीटर ऊपर पृथ्वी की निचली कक्षा (LEO) में रखा जाएगा।

क्यों है ये मिशन इतना खाश? (Importance of gaganyaan mission).

Gaganyaan मिशन इतना महत्वपूर्ण इसलिए है क्योंकि यह पहला स्वदेशी मिशन है जो भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष में भेजेगा। और इसकी सफलता भारत को ऐसा करने वाले चौथे देश में शामिल कर देगा, जिसमे अभी अमेरिका, रूस और चीन जैसे देश शामिल है | Gaganyaan की सफलता से space flight missions के साथ-साथ और भी कई प्रयोग हो सकते हैं। 

और यह अपना खुद का अंतरिक्ष स्टेशन स्थापित करने के भारत के सपने को भी ज्यादा गति देगा। ISRO इस अंतरिक्ष यान का विकास कर रहा है और रूस अंतरिक्ष यात्रियों के प्रशिक्षण में मदद कर रहा है, और इसमें अपनी भागीदारी दे रहा है |

कितना होगा गगनयान मिशन पे खर्चा? (Gaganyaan mission cost)

भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी अपने किफायती missions के लिए काफी जानी जाती है | ISRO के बाकि missions के तरह ही gaganyaan mission भी काफी किफायती होगा | और इस कार्यक्रम का कुल लागत 10000 करोड़ रुपये से कम होने की उम्मीद है। 

गगनयान में कौन सा अंतरिक्ष यान और प्रक्षेपण यान होगा इस्तेमाल? (Gaganyaan Spacecraft and Launch Vehicle)

किसी भी अंतरिक्ष यान में एक “service module” और एक “crew module” होता है, जिसे सामूहिक रूप से “Orbital Module” के रूप में भी जाना जाता है। Gaganyaan मिशन के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला  launch vehicle “Geosynchronous Satellite Launch Vehicle” (GSLV Mk III) होगा। यह “GSLV Mk III’ एक कामयाब launch vehicle है, जिसमे मिशन के लिए आवश्यक पेलोड की क्षमता है। 

कैसी होगी गगनयान अंतरिक्ष यात्रियों की ट्रेनिंग? (Gaganyaan training for the astronauts)

आइये अब हम जानते है Gaganyaan mission से जुड़े अंतरिक्ष यात्रियों की training की कुछ महत्वपूर्ण बाते, जो की है –

  • ISRO ने मिशन के लिए चुने गए भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को तैयार करने के लिए ROSCOSMOS (रूसी अंतरिक्ष एजेंसी) की एक सहायक कंपनी “Glavkosmos” के साथ एक अनुबंध पर हस्ताक्षर किए हैं।
  • यह प्रशिक्षण रूस में एक वर्ष के लिए होगा जिसके बाद अंतरिक्ष यात्री भारत में अपना मॉड्यूल-विशिष्ट प्रशिक्षण प्राप्त करेंगे।
  • सभी उम्मीदवार अंतरिक्ष यात्री भारतीय वायु सेना के पायलट हैं। और वायु सेना द्वारा उन्हें लगभग 25 पायलटों में से शॉर्टलिस्ट किया गया था।
  • चार चयनित अंतरिक्ष यात्री चिकित्सा और शारीरिक प्रशिक्षण के अलावा रूसी भाषा भी सीखने, जिसे अंतरिक्ष संचार की महत्वपूर्ण भाषाओं में से एक माना जाता है।
  • अंतरिक्ष यात्री उम्मीदवारों को spaceflight के दौरान G-force, hypoxia और pressure drops जैसी स्थितियों के लिए तैयार करने के लिए एक अपकेंद्रित्र और एक hyperbaric कक्ष (दबाव वाले कमरे) में simulations में भी प्रशिक्षित किया जाएगा।
  • गुरुत्वाकर्षण बदलने से रक्तचाप में उतार-चढ़ाव हो सकता है, विशेष रूप से पृथ्वी पर पुनः प्रवेश या landing के दौरान, और कभी-कभी बेहोशी जैसी स्थिति भी उत्पन्न हो सकती है। और अंतरिक्ष में भारहीनता का अनुभव करते हुए अंतरिक्ष यात्रियों को motion sickness का भी सामना करना पड़ सकता है।
  • और यह प्रशिक्षण काफी कठिन होगा, क्योंकि उन्हें गुरुत्वाकर्षण परिवर्तनों के लिए अभ्यस्त होना होगा, जो आगे चलके शारीरिक परिवर्तनों का कारण बनेंगे।
gaganyaan-vyommitra

ऊपर दिए गए चित्र में ISRO द्वारा विकशित Vyommitra रोबोट है, जिसे की gaganyaan के मानव रहित मिशन में module के साथ अंतरिक्ष में भेजा जायेगा |

गगनयान का मानव रहित मिशन (Gaganyaan unmanned missions)

जैसा कि ऊपर बताया गया गया है, मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशन से पहले, दो मानव रहित मिशनों की योजना बनाई गई है। मानव रहित मिशन से पहले ISRO को कई परीक्षण पूरे करने होंगे, जिनमें सबसे महत्वपूर्ण हैं – 

  • परीक्षण वाहन का सफल उड़ान परीक्षण।
  • पैराशूट प्रणाली के लिए airdrop परीक्षण जो एक अंतरिक्ष में परिक्रमा करने वाले अंतरिक्ष capsule को सफलतापूर्वक पुनर्प्राप्त करने की क्षमता को प्रदर्शित करेगा।
  • और लॉन्च पैड पर आपात स्थिति के मामले में चालक दल के भागने को प्रदर्शित करने के लिए परीक्षण किया जायेगा।
  • इन सब के अलावा ISRO द्वारा पहले मानव रहित अंतरिक्ष मिशन पर किए जाने वाले छह परीक्षणों को शॉर्टलिस्ट किया गया है। 
  • इनमे कुछ जैविक परीक्षण हैं, जिनमें “drosophila melanogaster” (सामान्य फल मक्खी) में गुर्दे की पथरी के गठन में परिवर्तन पर एक अध्ययन किया जायेगा |
  • साथ ही इसमें “SIRT1” जीन का अध्ययन, सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण स्थितियों के तहत माइक्रोबियल संदूषण और सह-क्रिस्टलीकरण भी शामिल है।

गगनयान मिशन में लगने वाली नई तकनीके? (Gaganyaan mission new technologies)

गगनयान कार्यक्रम के लिए कई तरह की नई और प्रमुख टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जायेगा, जैसे की –

  • मानव-रेटेड लॉन्च वाहन
  • यात्रियों के रहने योग्य कक्षीय मॉड्यूल
  • लाइफ सपोर्ट सिस्टम
  • क्रू एस्केप सिस्टम
  • क्रू का चयन और उनके प्रशिक्षण के लिए नई तकनीके  

गगनयान कार्यक्रम के लिए अंतरिक्ष यात्री (Gaganyaan program astronauts)

Gaganyaan कार्यक्रम के पहले चालक दल के मिशन के लिए, अंतरिक्ष यात्री प्रशिक्षुओं का चयन परीक्षण पायलटों के पूल से किया जायेगा, जो की ISRO और भारतीय वायु सेना द्वारा संयुक्त रूप से परिभाषित चयन मानदंडों के आधार पर किया जायेगा, जिसमें मानवशास्त्रीय मापदंडों सहित उड़ान अनुभव, फिटनेस, मनोवैज्ञानिक छमता, aeromedical मूल्यांकन, आदि जैसे मापदंड शामिल होंगे।

इस Gaganyaan मिशन के लिए चार भारतीय वायु सेना अधिकारियों का चयन किया गया है और उन्होंने रूस में प्रशिक्षण के अपने विदेशी चरण को पूरा भी कर लिया है। उन्होंने वहा सामान्य अंतरिक्ष उड़ान प्रशिक्षण लिया और जिसके बाद भारतीय चरण में उन्हें उन सभी स्थितियों से परिचित करवाया जायेगा, जो उड़ान के दौरान उन सभी को मह्सुश हो सकती हैं।

इसमें चालक दल को parabolic path के साथ विशेष विमान में उड़ान भरकर भारहीनता की स्थिति में प्रशिक्षण से गुजरना होगा, और यह खास विमान यात्रियों को लगभग 25 से 30 सेकंड तक की भारहीनता का अनुभव देगा।

साथ ही मिशन abort करने की परिस्थितियों से बचाव दल को परिचित कराने के लिए, उन्हें समुद्र, बर्फ, पहाड़ और रेगिस्तानी परिस्थितियों में भी विशेष survival प्रशिक्षण से गुजरना जायेगा।

कैसी होगी गगनयान यात्रियों के सूट? (Gaganyaan astronaut space suit)

Gaganyaan के यात्रियों का सूट orange कलर का होगा | और अंतरिक्ष यात्रियों के इस नारंगी अंतरिक्ष सूट को “विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र”, तिरुवनंतपुरम द्वारा बनाया गया है। साथ ही इस सूट में एक ऑक्सीजन सिलेंडर भी होगा, जो की अंतरिक्ष यात्रियों को एक घंटे के लिए अंतरिक्ष में सांस लेने में मदद करेगा |

गगनयान का मानव मिशन (Gaganyaan manned missions)

इस mission में मानव अंतरिक्ष यान को पृथ्वी की निचली कक्षा तक पहुंचने में लगभग 16 मिनट का समय लगने की उम्मीद है। इसके अलावा gaganyaan के मानव मिशन से जुड़ी कुछ खाश बाते है –

  • तीन से चार अंतरिक्ष यात्रियों को crew module में अंतरिक्ष के लिए रवाना किया जायेगा |
  • और इस module का व्यास 3.7 मीटर और ऊंचाई 7 मीटर होगी |
  • यह मानवयुक्त मिशन हर 90 मिनट में पृथ्वी की परिक्रमा करेगा।
  • इसके अंदर अंतरिक्ष यात्री सूर्योदय और सूर्यास्त देख सकेंगे |
  • साथ ही हर 24 घंटे में अंतरिक्ष से भारत को भी देख सकेंगे |
  • और प्लान के अनुसार microgravity पर अपना प्रयोग भी करेंगे।

कैसी होगी गगनयान की वापसी? (How gaganyaan returned to earth)

वापसी यात्रा में gaganyaan अंतरिक्ष यान को लगभग 36 घंटे का समय लगेगा, और यह गुजरात तट से दूर अरब सागर में उतरेगा। और इस मिशन को अंजाम तक पहुंचाने के लिए और सफल बनाने के लिए, ISRO ने महत्वपूर्ण तकनीकों जैसे crew escape system, re-entry mission capability, thermal protection system, crew module configuration, deceleration and flotation system, and subsystems of life support systems पर भी अच्छा-खाशा काम किया है।

इसरो के साथ सहयोग कर रही एजेंसियां (Agencies collaborating with ISRO)

ISRO के साथ गगनयान के लिए प्रमुख सहयोगी भागीदारों में शामिल हैं –

  • भारतीय सशस्त्र बल
  • DRDO (Defence Research Development organisation)
  • भारतीय मौसम विभाग
  • भारतीय समुद्री एजेंसियां – भारतीय नौसेना, भारतीय तटरक्षक बल, भारतीय नौवहन निगम, राष्ट्रीय समुद्र विज्ञान संस्थान, राष्ट्रीय महासागर प्रौद्योगिकी संस्थान
  • CSIR (Council Of Scientific And Industrial Research) लैब 
  • शैक्षणिक संस्थान (Academic institutes)
  • उद्योग भागीदार (Industry partners)

भारत का Gaganyaan मिशन 2024 में लॉन्च होने की संभावना

केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने मंगलवार को कहा कि भारत का पहला मानव अंतरिक्ष-उड़ान मिशन गगनयान 2024 में लॉन्च होने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि सरकार ने 2022 में ही भारत की आजादी की 75 वीं वर्षगांठ के मौके पर मानव अंतरिक्ष उड़ान की योजना बनाई थी, लेकिन यह कार्यक्रम COVID-19 महामारी के कारण गड़बड़ा गया।

उन्होंने कहा, “कोविड -19 महामारी ने रूस के साथ-साथ भारत में अंतरिक्ष यात्रियों के प्रशिक्षण काफी दिक्कते डाली , हालाँकि गगनयान मिशन की पहली परीक्षण-उड़ान 2022 के अंत में होने वाली है।

सिंह ने कहा कि पहली परीक्षण उड़ान के बाद ह्यूमनॉइड रोबोट व्योम मित्र को अगले साल बाहरी अंतरिक्ष में भेजा जाएगा।

भारतीय वायु सेना ने मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशन के लिए संभावित चालक दल के रूप में चार लड़ाकू पायलटों की पहचान की थी। संभावित चालक दल ने रूस में बुनियादी प्रशिक्षण प्राप्त किया था।

सिंह ने कहा कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) दो कक्षीय परीक्षण उड़ानों के परिणाम का आकलन करने के बाद ही 2024 में कम से कम दो अंतरिक्ष यात्रियों को पृथ्वी की निचली कक्षा में भेजेगा।

FAQ (Frequently asked questions)

गगनयान मिशन किस अंतरिक्ष एजेंसी द्वारा किया जा रहा है?

यह mission भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी (ISRO) द्वारा किया जा रहा है |

गगनयान मिशन में भारत की मदद कौन-कौन से देश कर रहे है?

इस मिशन में भारत की मदद फ्रांस और रूस जैसे देश कर रहे है |

गगनयान मिशन में कौन से launch vehicle का इस्तेमाल किया जायेगा?

इस मिशन में “GSLV Mk III” launch vehicle का इस्तेमाल किया जायेगा |

गगनयान मिशन के लिए Astronauts की ट्रेनिंग कहा हुई है?

इस मिशन के लिए astronauts की ट्रेनिंग रूस (Russia) में हुई है |

गगनयान मिशन में कितने अंतरिक्ष यात्री जाने वाले है?

इस मिशन में तीन से चार अंतरिक्ष यात्री जाने वाले है |

गगनयान मिशन का प्रमुख कौन है?

इस मिशन की प्रमुख ISRO में इंजिनियर और साइंटिस्ट के पद पे नियुक्त V. R. Lalithambika है|

गगनयान मिशन का launch date कब है?

इस मिशन को 2024 के अंत तक launch किया जाना है |

गगनयान मिशन में कितना खर्चा होगा?

इस मिशन को 10000 करोड़ के बजट में किया जायेगा |

आशा करता हूं कि आज आपलोंगों को कुछ नया सीखने को ज़रूर मिला होगा। अगर आज आपने कुछ नया सीखा तो हमारे बाकी के आर्टिकल्स को भी ज़रूर पढ़ें ताकि आपको ऱोज कुछ न कुछ नया सीखने को मिले, और इस article को अपने दोस्तों और जान पहचान वालो के साथ ज़रूर share करे जिन्हें इसकी जरूरत हो। धन्यवाद।

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गगनयान मिशन की हेड V. R. Lalithambika की जीवनी


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3 Comments

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