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Minerals and Energy Resources विषय की जानकारी, कहानी | Minerals and Energy Resources summary in hindi

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क्या आप एक दसवी कक्षा के छात्र हो, और आपको NCERT के geography ख़िताब के chapter “Minerals and Energy Resources” के बारे में सरल भाषा में सारी महत्वपूर्ण जानकारिय प्राप्त करनी है? अगर हा, तो आज आप बिलकुल ही सही जगह पर पहुचे है। 

आज हम यहाँ उन सारे महत्वपूर्ण बिन्दुओ के बारे में जानने वाले जिनका ताल्लुक सीधे 10वी कक्षा के भूगोल के chapter “Minerals and Energy Resources” से है, और इन सारी बातों और जानकारियों को प्राप्त कर आप भी हजारो और छात्रों इस chapter में महारत हासिल कर पाओगे।

साथ ही हमारे इन महत्वपूर्ण और point-to-point notes की मदद से आप भी खुदको इतना सक्षम बना पाओगे, की आप इस chapter “Minerals and Energy Resources” से आने वाली किसी भी तरह के प्रश्न को खुद से ही आसानी से बनाकर अपने परीक्षा में अच्छे से अच्छे नंबर हासिल कर लोगे।

तो आइये अब हम शुरु करते है “Minerals and Energy Resources” पे आधारित यह एक तरह का summary या crash course, जो इस topic पर आपके ज्ञान को बढ़ाने के करेगा आपकी पूरी मदद।

Table of Contents

Minerals and Energy Resources : एक खनिज क्या होता है?

खनिज को “एक निश्चित आंतरिक संरचना के साथ एक homogenous, और प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले पदार्थ” के रूप में परिभाषित किया गया है। खनिज प्रकृति में विभिन्न रूपों में पाए जाते हैं, जिनमें सबसे कठोर हीरे से लेकर सबसे नरम “talc” तक शामिल हैं। और चट्टानें homogeneous पदार्थों के संयोजन होते हैं, जिन्हें खनिज (minerals) कहा जाता है।

खनिजों की उपस्थिति का तरीका

खनिज आमतौर पर “ores” में पाए जाते हैं। “Ore” शब्द का प्रयोग अन्य तत्वों के साथ मिश्रित किसी भी खनिज के संचय का वर्णन करने के लिए किया जाता है। और खनिज आमतौर पर निम्नलिखित रूपों में पाए जाते हैं –

  • Igneous और metamorphic चट्टानों में, cracks, crevices, faults और joints में खनिज हो सकते हैं।
  • Sedimentary चट्टानों में, कई खनिज beds या layers में पाए जाते हैं।
  • Surface rocks के decomposition और soluble constituents को हटाने से भी खनिज बनते हैं।
  • और साथ ही समुद्र के पानी में भी भारी मात्रा में खनिज होते हैं।

खनिजों का वर्गीकरण (Classification of Minerals)

classification of minerals

लौह खनिज (Ferrous Minerals)

लौह खनिजों का धातु (metallic) खनिजों के उत्पादन के कुल मूल्य का लगभग तीन-चौथाई हिस्सा होता है।

लौह अयस्क (Iron Ore)
  • भारत iron ore के काफी प्रचुर संसाधनों से संपन्न है।
  • Magnetite सबसे अच्छा iron ore है, जिसमें बहुत अधिक मात्रा में लौह तत्व होता है, जो की लगभग 70% तक होता है। साथ ही इसमें उत्कृष्ट चुंबकीय गुण भी मौजूद हैं।
  • Hematite ore सबसे महत्वपूर्ण औद्योगिक iron ore है। और इसमें 50 से 60% आयरन होता है।

भारत में प्रमुख iron ore belts हैं –

  • ओडिशा-झारखंड बेल्ट।
  • दुर्ग-बस्तर-चंद्रपुर बेल्ट।
  • बल्लारी-चित्रदुर्ग-चिक्कमगलुरु-तुमकुरु बेल्ट।
  • महाराष्ट्र-गोवा बेल्ट।
मैंगनीज (Manganese)
  • इसका उपयोग मुख्य रूप से स्टील और ferro-manganese alloy धातु के निर्माण में किया जाता है।
  • 1 टन स्टील के निर्माण के लिए लगभग 10 किलो मैंगनीज की आवश्यकता होती है।
  • इसका उपयोग ब्लीचिंग पाउडर, कीटनाशकों और पेंट के निर्माण में भी किया जाता है।

अलौह खनिज (Non-Ferrous Minerals)

अलौह खनिजों में तांबा, बॉक्साइट, सीसा, जस्ता और सोना शामिल हैं। ये खनिज कई धातुकर्म, इंजीनियरिंग और विद्युत उद्योगों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

ताँबा (Copper)
  • यह लचीला, ductile और गर्मी और बिजली का अच्छा conductor होता है।
  • मुख्य रूप से विद्युत केबल, इलेक्ट्रॉनिक्स और रासायनिक उद्योगों में उपयोग किया जाता है।
  • मध्य प्रदेश में बालाघाट खदानें, राजस्थान में खेतड़ी खदानें और झारखंड के सिंहभूम जिले तांबे के प्रमुख उत्पादक हैं।
बाक्साइट (Bauxite)
  • बॉक्साइट deposits एल्यूमीनियम silicates में समृद्ध विभिन्न प्रकार की चट्टानों के decomposition से बनते हैं।
  • एल्युमिनियम बॉक्साइट से प्राप्त होता है। और साथ ही एल्यूमिनियम में अच्छी चालकता और अच्छा लचीलापन भी है।
  • इसके deposits मुख्य रूप से अमरकंटक पठार, मैकाल पहाड़ियों और बिलासपुर-कटनी के पठारी क्षेत्र में पाए जाते हैं।

गैर-धातु खनिज (Non-Metallic Minerals)

  • Mica एक खनिज है जो प्लेटों या पत्तियों की एक श्रृंखला से बना होता है। यह स्पष्ट, काला, हरा, लाल, पीला या भूरा हो सकता है।
  • Mica विद्युत और इलेक्ट्रॉनिक उद्योगों में उपयोग किया जाने वाला सबसे अनिवार्य खनिज है।
  • इसमें उत्कृष्ट dielectric strength, कम बिजली की हानि, insulating गुण और साथ ही यह उच्च वोल्टेज का प्रतिरोध भी है।
  • छोटा नागपुर पठार के उत्तरी किनारे पर Mica के deposits पाए जाते हैं

रॉक मिनरल्स (Rock Minerals)

  • चूना पत्थर, कैल्शियम कार्बोनेट या कैल्शियम और मैग्नीशियम कार्बोनेट से बनी चट्टानों में पाया जाता है।
  • यह सीमेंट उद्योग के लिए बुनियादी कच्चा माल है, और साथ ही यह blast furnace में iron ore को गलाने के लिए आवश्यक है।

खनिजों का संरक्षण (Conservation of Minerals)

खनिज एक non-renewable संसाधन हैं। खनिजों के निर्माण और concentration में हजारों वर्ष लगते हैं। अयस्कों के निरंतर extraction से खनिजों का ह्रास होता है। इसलिए, यहाँ आवश्यक कदम उठाना महत्वपूर्ण है, ताकि खनिज संसाधनों का नियोजित और टिकाऊ तरीके से उपयोग किया जा सके।

ऊर्जा संसाधन (Energy Resources)

ऊर्जा संसाधनों को इस प्रकार वर्गीकृत किया जा सकता है – 

  • पारंपरिक स्रोत : इसमें जलाऊ लकड़ी, मवेशियों के गोबर, कोयला, पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस और बिजली शामिल हैं।
  • गैर-पारंपरिक स्रोत : इसमें सौर, पवन, ज्वार, भूतापीय, बायोगैस और परमाणु ऊर्जा शामिल हैं
कोयला (Coal)
  • यह सबसे प्रचुर मात्रा में उपलब्ध जीवाश्म ईंधन है।
  • इसका उपयोग बिजली उत्पादन के लिए, उद्योग को ऊर्जा की आपूर्ति के साथ-साथ घरेलू जरूरतों के लिए भी किया जाता है।
  • Lignite एक निम्न श्रेणी का भूरा कोयला होता है, जो उच्च moisture content के साथ नरम होता है।
  • कोयला जो गहरा दब गया है, और बढ़े हुए तापमान के अधीन है, उसे bituminous कोयला कहा जाता है।
  • Anthracite कठोर कोयले की उच्चतम गुणवत्ता वाला कोयला है।
  • भारत में झरिया, रानीगंज, बोकारो महत्वपूर्ण कोयला क्षेत्र हैं।
पेट्रोलियम (Petroleum)
  • यह गर्मी और प्रकाश के लिए ईंधन, मशीनरी के लिए स्नेहक और कई विनिर्माण उद्योगों के लिए कच्चा माल प्रदान करता है।
  • पेट्रोलियम रिफाइनरियां सिंथेटिक कपड़ा, उर्वरक और कई रासायनिक उद्योगों के लिए “nodal industry” के रूप में कार्य करती हैं।
  • मुंबई हाई, गुजरात और असम भारत के प्रमुख पेट्रोलियम उत्पादन क्षेत्र हैं।
प्राकृतिक गैस (Natural Gas)
  • प्राकृतिक गैस एक महत्वपूर्ण और स्वच्छ ऊर्जा का संसाधन है। और इसे पर्यावरण के अनुकूल ईंधन माना जाता है।
  • बिजली और fertilizer उद्योग प्राकृतिक गैस के प्रमुख उपयोगकर्ता हैं।
  • तरल ईंधन को बदलने के लिए वाहनों में संपीड़ित प्राकृतिक गैस (CNG) का उपयोग किया जाता है।
  • कृष्णा-गोदावरी बेसिन में प्राकृतिक गैस के बड़े भंडार की खोज की गई है।
बिजली (Electricity)

बिजली मुख्य रूप से 2 तरह से उत्पन्न होती है –

  • बहते पानी से जो हाइड्रो बिजली पैदा करने के लिए हाइड्रो टर्बाइन चलाता है। यह ऊर्जा का renewable संसाधन है। और आज भारत में भाखड़ा नंगल, दामोदर घाटी निगम, कोपिली जलविद्युत परियोजना जैसी कई बहुउद्देश्यीय परियोजनाएं मौजूद हैं।
  • थर्मल पावर का उत्पादन करने के लिए टर्बाइनों को चलाने के लिए कोयला, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस जैसे अन्य ईंधनों को जलाया है। यह बिजली पैदा करने के लिए non-renewable जीवाश्म ईंधन का उपयोग करता है।

ऊर्जा के गैर-पारंपरिक स्रोत (Non-Conventional Sources of Energy)

सौर ऊर्जा, पवन, ज्वार, बायोमास और अपशिष्ट पदार्थ से ऊर्जा जैसे renewable ऊर्जा स्रोत गैर-पारंपरिक ऊर्जा स्रोत कहलाते हैं। 

परमाणु ऊर्जा (Nuclear energy)

परमाणु ऊर्जा परमाणुओं की संरचना में परिवर्तन करके प्राप्त की जाती है। और यूरेनियम और थोरियम का उपयोग परमाणु ऊर्जा पैदा करने के लिए किया जाता है।

सौर ऊर्जा (Solar Energy)

सौर ऊर्जा सूर्य के प्रकाश से उत्पन्न होती है। Photovoltaic तकनीक सूर्य के प्रकाश को सीधे बिजली में परिवर्तित करती है।

पवन ऊर्जा (Wind Power)

पवन ऊर्जा या बिजली पैदा करने के लिए हवा का उपयोग होता है। इसके लिए पवन टरबाइन का उपयोग किया जाता है। सबसे बड़ा पवन फार्म क्लस्टर तमिलनाडु के नागरकोइल से मदुरै तक स्थित है।

बायोगैस (Biogas)

बायोगैस एक प्रकार का जैव ईंधन है, जो प्राकृतिक रूप से जैविक कचरे के decomposition से उत्पन्न होता है। बायोगैस मवेशियों के गोबर का सबसे कुशल उपयोग है। और इससे खाद की गुणवत्ता में काफी सुधार होता है।

ज्वारीय ऊर्जा (Tidal Energy)

ज्वारीय ऊर्जा जलविद्युत का एक रूप है, जो ज्वार से प्राप्त ऊर्जा को शक्ति के उपयोगी रूपों, मुख्य रूप से बिजली में परिवर्तित करती है। भारत में, खंभात की खाड़ी, पश्चिमी तट पर गुजरात में कच्छ की खाड़ी और पश्चिम बंगाल के सुंदरबन क्षेत्रों में गंगा डेल्टा ज्वारीय ऊर्जा के उपयोग के लिए आदर्श स्थिति प्रदान करते हैं।

भू-तापीय ऊर्जा (Geothermal Energy)

जब पृथ्वी के आंतरिक भाग से heat का उपयोग करके ऊष्मा और बिजली का उत्पादन किया जाता है, तो इसे ही Geothermal ऊर्जा के रूप में जाना जाता है। भारत में भूतापीय ऊर्जा का उपयोग हिमाचल प्रदेश में मणिकर्ण के पास पार्वती घाटी और लद्दाख की पुगा घाटी से किया जाता है।

ऊर्जा संसाधनों का संरक्षण (Conservation of Energy Resources)

राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था के प्रत्येक क्षेत्र – कृषि, उद्योग, परिवहन, वाणिज्यिक और घरेलू  को ऊर्जा के आदानों की आवश्यकता होती है। ऊर्जा विकास के लिए एक स्थायी मार्ग विकसित करने की तत्काल आवश्यकता है। यहां निचे कुछ तरीके दिए गए हैं, जिनसे हम में से प्रत्येक व्यक्ति ऊर्जा संसाधनों को बचाने में अपना योगदान दे सकता है –

  • उपयोग में न होने पर बिजली बंद कर देना।
  • व्यक्तिगत वाहनों के बजाय सार्वजनिक परिवहन प्रणालियों का उपयोग करना।
  • बिजली की बचत करने वाले उपकरणों का उपयोग करना।
  • ऊर्जा के गैर-पारंपरिक स्रोतों का उपयोग करना।     आदि।

FAQ (Frequently Asked Questions)

भारत में पाए जाने वाले प्रमुख खनिज कौन से हैं?

भारत के प्रमुख खनिज संसाधनों में कोयला, लौह अयस्क, मैंगनीज अयस्क, अभ्रक और बॉक्साइट  जैसे खनिज शामिल हैं।

‘खनिज संसाधनों’ के क्या लाभ हैं?

खनिज “non–renewable” प्राकृतिक संसाधन हैं, जो निर्माण और ऊर्जा उद्योगों के लिए काफी महत्वपूर्ण हैं।

Tidal energy के क्या उपयोग हैं?

इसके कई तरह के उपयोग है, जैसे की –

1. Long term economy (दीर्घकालिक अर्थव्यवस्था)
2. Consistency (संगति)
3. Intermittence (आंतरायिक)
4. Startup costs (स्टार्टअप लागत)
5. Permanence (स्थायीता)

कौन से खनिज ऊर्जा के महत्वपूर्ण स्रोत हैं?

ऊर्जा खनिजों में कोयला, तेल, प्राकृतिक गैस और यूरेनियम शामिल हैं। साथ ही धातुओं का उपयोग कई तरीको से होता है। उदाहरण के लिए, लोहे (स्टील के रूप में) का उपयोग कारों में या इमारतों के फ्रेम के लिए किया जाता है, तांबे का उपयोग बिजली के तारों में किया जाता है, और एल्यूमीनियम का उपयोग विमान में और पेय के डिब्बे बनाने के लिए किया जाता है।

आशा करता हूं कि आज आपलोंगों को कुछ नया सीखने को ज़रूर मिला होगा। अगर आज आपने कुछ नया सीखा तो हमारे बाकी के आर्टिकल्स को भी ज़रूर पढ़ें ताकि आपको ऱोज कुछ न कुछ नया सीखने को मिले, और इस articleको अपने दोस्तों और जान पहचान वालो के साथ ज़रूर share करे जिन्हें इसकी जरूरत हो। धन्यवाद।

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