Manufacturing Industries विषय की जानकारी, कहानी | Manufacturing Industries summary in hindi
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क्या आप एक दसवी कक्षा के छात्र हो, और आपको NCERT के geography ख़िताब के chapter “Manufacturing Industries” के बारे में सरल भाषा में सारी महत्वपूर्ण जानकारिय प्राप्त करनी है? अगर हा, तो आज आप बिलकुल ही सही जगह पर पहुचे है।
आज हम यहाँ उन सारे महत्वपूर्ण बिन्दुओ के बारे में जानने वाले जिनका ताल्लुक सीधे 10वी कक्षा के भूगोल के chapter “Manufacturing Industries” से है, और इन सारी बातों और जानकारियों को प्राप्त कर आप भी हजारो और छात्रों इस chapter में महारत हासिल कर पाओगे।
साथ ही हमारे इन महत्वपूर्ण और point-to-point notes की मदद से आप भी खुदको इतना सक्षम बना पाओगे, की आप इस chapter “Manufacturing Industries” से आने वाली किसी भी तरह के प्रश्न को खुद से ही आसानी से बनाकर अपने परीक्षा में अच्छे से अच्छे नंबर हासिल कर लोगे।
तो आइये अब हम शुरु करते है “Manufacturing Industries” पे आधारित यह एक तरह का summary या crash course, जो इस topic पर आपके ज्ञान को बढ़ाने के करेगा आपकी पूरी मदद।
Table of Contents
Manufacturing Industries का मतलब क्या है?
कच्चे माल से processing के बाद बड़ी मात्रा में माल का उत्पादन ही manufacturing कहलाता है। इस्पात कारखानों, कार, breweries, कपड़ा उद्योग, बेकरी आदि में कार्यरत श्रमिक secondary गतिविधियों में आते हैं। और यह secondary sector के अंतर्गत आता है।
Manufacturing का महत्व (Importance of Manufacturing)
manufacturing क्षेत्र को निम्नलिखित कारणों से विकास की रीढ़ माना जाता है –
- Manufacturing उद्योग कृषि के आधुनिकीकरण में मदद करते हैं, क्योंकि यह secondary और tertiary क्षेत्रों में रोजगार प्रदान करता है।
- यह बेरोजगारी और गरीबी के उन्मूलन (eradication) में मदद करता है।
- Manufactured वस्तुओं का निर्यात व्यापार और वाणिज्य का विस्तार करता है, और देश के लिए बहुत आवश्यक विदेशी मुद्रा लाता है।
- साथ ही यह अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देकर देश को समृद्ध बनाने में भी मदद करता है।
राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में Industry का योगदान
पिछले एक दशक में manufacturing क्षेत्र में विकास दर की प्रवृत्ति लगभग 7 प्रतिशत प्रति वर्ष रही है।
औद्योगिक स्थान (Industrial Location)
Industrial स्थान निम्न की उपलब्धता से प्रभावित होते हैं –
- कच्चा माल
- श्रम
- राजधानी
- शक्ति
- बाज़ार
- सरकारी नीतियां, आदि।
Manufacturing गतिविधि सबसे उपयुक्त स्थान पर स्थित होती है, जहां औद्योगिक स्थान के सभी कारक या तो उपलब्ध होते हैं या कम लागत पर व्यवस्थित किए जा सकते हैं।
कृषि आधारित उद्योग (Agro-based Industries)
कपास, जूट, रेशम, ऊनी वस्त्र, चीनी और खाद्य तेल आदि उद्योग कृषि कच्चे माल पर आधारित हैं। अब आइए हम एक-एक करके उनमें से प्रत्येक के बारे में जानते हैं।
वस्त्र उद्योग (Textile Industry)
यह भारत का एकमात्र उद्योग है, जो मूल्य श्रृंखला में आत्मनिर्भर और पूर्ण है, यानी कच्चे माल से लेकर उच्चतम मूल्य वर्धित उत्पादों तक। साथ ही यह औद्योगिक उत्पादन, रोजगार सृजन और विदेशी मुद्रा आय में भी काफी योगदान देता है।
सूती वस्त्र (Cotton Textiles)
इस उद्योग का कृषि के साथ घनिष्ठ संबंध है और यह किसानों, सूत बीनने वालों, कताई, बुनाई, रंगाई, डिजाइनिंग, पैकेजिंग, और सिलाई में लगे श्रमिकों को जीविका प्रदान करता है। यह कई अन्य उद्योगों का समर्थन भी करता है, जैसे, की रसायन और रंग, पैकेजिंग सामग्री और इंजीनियरिंग कार्य।
जूट कपड़ा (Jute Textiles)
भारत कच्चे जूट और जूट के सामानों का सबसे बड़ा उत्पादक है। इसकी अधिकांश मिलें पश्चिम बंगाल में स्थित हैं, मुख्यतः हुगली नदी के किनारे।
चीनी उद्योग (Sugar Industry)
भारत चीनी के विश्व उत्पादक के रूप में दूसरे स्थान पर है लेकिन गुड़ और खांडसारी के उत्पादन में पहला स्थान रखता है। यह उद्योग seasonal होता है।
खनिज आधारित उद्योग (Mineral-based Industries)
ऐसे उद्योग जो खनिजों और धातुओं को कच्चे माल के रूप में उपयोग करते हैं, खनिज आधारित उद्योग कहलाते हैं। अब आइए हम कुछ ऐसे उद्योगों पर चर्चा करें, जो इस श्रेणी के अंतर्गत आते हैं।
लोहा और इस्पात उद्योग (Iron and Steel Industry)
लोहा और इस्पात बुनियादी उद्योग है क्योंकि अन्य सभी heavy, medium और light उद्योग अपनी मशीनरी के लिए इस पर ही निर्भर करते हैं। इसको एक भारी उद्योग के रूप में माना जाता है, क्योंकि सभी कच्चे माल, साथ ही तैयार माल, भारी और भारी परिवहन लागत में शामिल हैं।
भारत विश्व में एक महत्वपूर्ण लोहा और इस्पात उत्पादक देश है, फिर भी हम अपनी पूरी क्षमता के साथ प्रदर्शन करने में सक्षम नहीं हैं, और इसके मुख्य कारण है –
- उच्च लागत और कोकिंग कोल की सीमित उपलब्धता।
- श्रम की कम उत्पादकता।
- ऊर्जा की अनियमित आपूर्ति।
- खराब बुनियादी ढांचा।
एल्यूमिनियम गलाना (Aluminium Smelting)
एल्युमिनियम स्मेल्टिंग भारत में दूसरा सबसे महत्वपूर्ण धातुकर्म उद्योग है। इसका उपयोग विमान, बर्तन और तारों के निर्माण के लिए किया जाता है। और Bauxite स्मेल्टरों (smelters) में प्रयुक्त होने वाला कच्चा माल होता है।
एल्यूमीनियम गलाने ने कई उद्योगों में स्टील, तांबा, जस्ता और सीसा के विकल्प के रूप में लोकप्रियता हासिल की है। यह निम्नलिखित गुणों को प्रदर्शित करता है –
- वजन में हल्के होना।
- जंग के लिए प्रतिरोधी।
- गर्मी का एक अच्छा संवाहक।
- लचीला।
- और अन्य धातुओं के साथ मिलाने पर मजबूत हो जाना।
रासायनिक उद्योग (Chemical Industries)
- रासायनिक उद्योग में बड़े और छोटे दोनों पैमाने की निर्माण इकाइयाँ शामिल हैं। साथ ही inorganic और organic दोनों ही क्षेत्रों में तेज़वृद्धि दर्ज की गई है।
- Inorganic रसायनों में सल्फ्यूरिक एसिड, नाइट्रिक एसिड, सोडा ऐश और कास्टिक सोडा शामिल हैं।
- कार्बनिक रसायनों में पेट्रोकेमिकल्स शामिल हैं, जिनका उपयोग सिंथेटिक फाइबर, सिंथेटिक रबर, प्लास्टिक, डाई-सामान, दवाओं और फार्मास्यूटिकल्स के निर्माण के लिए किया जाता है।
उर्वरक उद्योग (Fertilizer Industry)
उर्वरक उद्योग नाइट्रोजन उर्वरकों (मुख्य रूप से यूरिया), फॉस्फेटिक उर्वरकों और अमोनियम फॉस्फेट (डीएपी) और जटिल उर्वरकों के उत्पादन के आसपास केंद्रित होते हैं, जिनमें नाइट्रोजन (N), फॉस्फेट (P), और पोटाश (K) का संयोजन होता है। गुजरात, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, पंजाब और केरल पूरे देश के उर्वरक उत्पादन में लगभग आधे का योगदान करते हैं।
सीमेंट उद्योग (Cement Industry)
सीमेंट निर्माण गतिविधियों जैसे घरों, कारखानों, पुलों, सड़कों, हवाई अड्डों, बांधों और अन्य व्यावसायिक प्रतिष्ठानों के निर्माण के लिए आवश्यक है। इस उद्योग को चूना पत्थर, सिलिका और जिप्सम जैसे भारी कच्चे माल की आवश्यकता होती है।
ऑटोमोबाइल उद्योग (Automobile Industry)
यह उद्योग ट्रकों, बसों, कारों, मोटरसाइकिलों, स्कूटरों, तिपहिया और बहु-उपयोगी वाहनों के निर्माण से संबंधित है। ये उद्योग ज्यादातर दिल्ली, गुरुग्राम, मुंबई, पुणे, चेन्नई, कोलकाता, लखनऊ, इंदौर, हैदराबाद, जमशेदपुर और बेंगलुरु के आसपास स्थित हैं।
सूचना प्रौद्योगिकी और इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग (Information Technology and Electronics Industry)
इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग में ट्रांजिस्टर सेट से लेकर टेलीविजन, टेलीफोन, सेलुलर टेलीकॉम, टेलीफोन एक्सचेंज, रडार, कंप्यूटर और दूरसंचार उद्योग के लिए आवश्यक कई अन्य उपकरणों के उत्पादों की एक विस्तृत श्रृंखला शामिल होती है। और इस उद्योग ने भारत में काफी रोजगार पैदा किया है। और कर्नाटक राज्ये के बेंगलुरु को भारत की इलेक्ट्रॉनिक राजधानी के रूप में जाना जाता है।
औद्योगिक प्रदूषण और पर्यावरण क्षरण (Pollution and Degradation)
उद्योग 4 प्रकार के प्रदूषण के लिए जिम्मेदार होते हैं –
- हवा का प्रदुषण
- पानी का प्रदुषण
- भूमि का प्रदुषण
- शोर का प्रदुषण
वायु प्रदूषण सल्फर डाइऑक्साइड और कार्बन मोनोऑक्साइड जैसी undesirable गैसों के उच्च अनुपात की उपस्थिति के कारण होता है। रासायनिक और कागज कारखानों, ईंट भट्टों, रिफाइनरियों और गलाने वाले संयंत्रों से धुआं निकलता है और साथ ही जीवाश्म ईंधन के जलने से भी वायु प्रदूषण होता है। और यह मानव स्वास्थ्य, जानवरों, पौधों, इमारतों और पूरे वातावरण पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है।
जल प्रदूषण organic और inorganic औद्योगिक कचरे और नदियों में छोड़े गए हानिकारक कचरे के कारण होता है। जल प्रदूषण के लिए मुख्य रूप से जिम्मेदार उद्योग कागज, लुगदी, रसायन, कपड़ा और रंगाई, पेट्रोलियम रिफाइनरी, चर्मशोधन और विद्युत उद्योग हैं।
पानी में thermal प्रदूषण तब होता है, जब कारखानों और thermal plants के गर्म पानी को ठंडा करने से पहले नदियों और तालाबों में बहा दिया जाता है।
ध्वनि प्रदूषण मानव या पशु जीवन की गतिविधि पर हानिकारक प्रभाव के साथ ध्वनि का प्रसार है। इसके परिणामस्वरूप जलन, क्रोध, सुनने की दुर्बलता, हृदय गति और रक्तचाप में वृद्धि होती है।
पर्यावरण क्षरण का नियंत्रण (Control of Environmental Degradation)
यहां कुछ तरीके दिए गए हैं जिनसे औद्योगिक प्रदूषण को कम किया जा सकता है –
- जल की आवश्यकता को पूरा करने के लिए वर्षा जल का संचयन करना।
- Reusing और recycling करके पानी का उपयोग कम से कम करना।
- नदियों और तालाबों में छोड़ने से पहले गर्म पानी और effluents का उपचार करना।
- कारखानों में कोयले की जगह तेल या गैस के इस्तेमाल से धुआं कम किया जा सकता है।
- ऊर्जा दक्षता बढ़ाने और शोर को कम करने के लिए मशीनरी को फिर से डिजाइन किया जा सकता है। आदि।
FAQ (Frequently Asked Questions)
एक industry का काम क्या होता है?
वस्तुओं का उत्पादन किसी भी industry का मुख्य कार्य होता है।
भारत में सबसे अधिक फैक्ट्रियों वाला राज्य कौन सा है?
तमिलनाडु भारत का वह राज्य है जहां सबसे अधिक फैक्ट्रियां मौजूद हैं।
Off industry कितने प्रकार के होते हैं?
यह चार प्रकार के होते है –
1. प्राथमिक (Primary)
2. माध्यमिक (Secondary)
3. तृतीयक (Tertiary)
4. चतुर्धातुक (Quaternary)
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