Water resources विषय की जानकारी, कहानी | Water resources summary in hindi
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क्या आप एक दसवी कक्षा के छात्र हो, और आपको NCERT के geography ख़िताब के chapter “water resources” के बारे में सरल भाषा में सारी महत्वपूर्ण जानकारिय प्राप्त करनी है? अगर हा, तो आज आप बिलकुल ही सही जगह पर पहुचे है।
आज हम यहाँ उन सारे महत्वपूर्ण बिन्दुओ के बारे में जानने वाले जिनका ताल्लुक सीधे 10वी कक्षा के भूगोल के chapter “water resources” से है, और इन सारी बातों और जानकारियों को प्राप्त कर आप भी हजारो और छात्रों इस chapter में महारत हासिल कर पाओगे।
साथ ही हमारे इन महत्वपूर्ण और point-to-point notes की मदद से आप भी खुदको इतना सक्षम बना पाओगे, की आप इस chapter “water resources” से आने वाली किसी भी तरह के प्रश्न को खुद से ही आसानी से बनाकर अपने परीक्षा में अच्छे से अच्छे नंबर हासिल कर लोगे।
तो आइये अब हम शुरु करते है “water resources” पे आधारित यह एक तरह का summary या crash course, जो इस topic पर आपके ज्ञान को बढ़ाने के करेगा आपकी पूरी मदद।
Table of Contents
Water resources का मतलब क्या है?
इस अध्याय की शुरुआत पृथ्वी पर ताजे पानी की उपलब्धता और पानी की कमी की स्थिति कैसे उत्पन्न होती है, से होती है। और इस अध्याय में नदियों पर बांध बनाने के फायदे और नुकसान पर चर्चा की गई है। अंत में, अध्याय जल संरक्षण के साधन के रूप में वर्षा जल संचयन के बारे में भी बात करता है।
पानी (Water)
पृथ्वी की सतह का तीन-चौथाई (3/4) भाग पानी से ढका हुआ है, लेकिन इसका केवल एक छोटा सा हिस्सा ही मीठे पानी का है, जिसका उपयोग पीने के लिए किया जा सकता है। और साथ ही पानी एक renewable resource होता है।
पानी की कमी और पानी संरक्षण और प्रबंधन की आवश्यकता
जल संसाधनों की उपलब्धता स्थान और समय के अनुसार बदलती रहती है –
- पानी की कमी विभिन्न सामाजिक समूहों के बीच इसके over-exploitation, अत्यधिक उपयोग और पानी की unequal पहुंच के कारण होती है।
- आज dry-season वाली कृषि के लिए irrigated क्षेत्रों का विस्तार करने के लिए जल संसाधनों का over-exploited किया जा रहा है।
- कुछ क्षेत्रों में लोगों की जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त पानी उपलब्ध है। लेकिन, पानी की खराब गुणवत्ता के कारण वे क्षेत्र अभी भी पानी की कमी से जूझ रहे हैं।
अपने जल संसाधनों का संरक्षण और प्रबंधन करना आज समय की मांग है, क्युकी –
- स्वास्थ्य के खतरों से खुद को बचाने के लिए।
- खाद्य सुरक्षा, हमारी आजीविका और उत्पादक गतिविधियों को जारी रखना सुनिश्चित करने के लिए।
- हमारे प्राकृतिक ecosystems तंत्र के degradation को रोकने के लिए।
Multi-Purpose नदी परियोजनाएं और Integrated जल संसाधन प्रबंधन
प्राचीन काल में, हम sophisticated hydraulic structures जैसे की पत्थर के dams, जलाशयों या झीलों, तटबंधों और सिंचाई के लिए नहरों से बने बांधों का निर्माण करके पानी का संरक्षण करते थे। और हमने अपने अधिकांश नदी घाटियों में बांध बनाकर आधुनिक भारत में भी इस परंपरा को जारी रखा है।
बांध (Dams)
एक बांध बहते पानी में एक बाधा होता है, जो उसके प्रवाह को बाधित, निर्देशित या बंद करता है, अक्सर एक जलाशय, झील या अवरोध का निर्माण करता है। और “बांध” संरचना के बजाय जलाशय (reservoir) को संदर्भित करता है।
बांध के उपयोग (Uses of dams)
- बिजली उत्पादन के लिए।
- नदियों और वर्षा जल को रोकना जो बाद में कृषि क्षेत्रों की सिंचाई के लिए उपयोग किया जा सकता है।
- घरेलू और औद्योगिक उपयोग के लिए जलापूर्ति।
- बाढ़ नियंत्रण के लिए।
- Inland अंतर्देशीय नेविगेशन और मछली प्रजनन के लिए।
बांध बनाने के नुकसान (Disadvantage of dams)
- नदियों का विनियमन और बांध उनके प्राकृतिक प्रवाह को प्रभावित करते हैं।
- नदियों के जलीय जीवन के लिए आवासों की कमी।
- खंडित (Fragment) नदियाँ जलीय जीवों के प्रवास को कठिन बना देती हैं।
- बाढ़ के मैदानों पर बनाए गए बांध मौजूदा वनस्पति और मिट्टी को जलमग्न कर देते हैं जिससे समय के साथ इसका decomposition हो जाता है।
- बड़े बांधों का निर्माण ‘नर्मदा बचाओ आंदोलन’ और ‘टिहरी बांध आंदोलन’ आदि जैसे कई नए पर्यावरण आंदोलनों का कारण रहा है।
- कई बार स्थानीय लोगों को बांध के निर्माण के लिए अपनी जमीन, आजीविका और संसाधनों पर अपना नियंत्रण छोड़ना पड़ता है। आदि।
परियोजनाओं के लिए अधिकांश आपत्तियां उन उद्देश्यों को प्राप्त करने में विफलता के कारण उत्पन्न हुईं, जिनके लिए उनका निर्माण किया गया था। अधिकांश बांध बाढ़ को नियंत्रित करने के लिए बनाए गए थे, लेकिन इन बांधों ने बाढ़ को ही जन्म दिया है।
आज बांध भी व्यापक मिट्टी के कटाव का कारण बना है। पानी के अत्यधिक उपयोग के कारण भूकंप भी आए हैं, और साथ ही जल जनित रोग और कीट और प्रदूषण भी बड़े पैमाने पर हुआ है।
जल छाजन (Rain Water Harvesting)
वर्षा जल संचयन एक सरल विधि है, जिसके द्वारा भविष्य में उपयोग के लिए वर्षा के पानी एकत्र किया जाता है। एकत्रित वर्षा जल को संग्रहित किया जा सकता है, और फिर उसको विभिन्न तरीकों से उपयोग किया जा सकता है, या सीधे पुनर्भरण उद्देश्यों के लिए भी उपयोग किया जा सकता है।
वर्षा जल संचयन के लिए अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग तरीके अपनाए गए हैं –
- पहाड़ी क्षेत्रों में, लोगों ने कृषि के लिए पश्चिमी हिमालय के ‘गुल’ या ‘कुल’ जैसे डायवर्सन चैनल बनाए हैं।
- “रूफटॉप रेन वाटर हार्वेस्टिंग” आमतौर पर पीने के पानी को स्टोर करने के लिए प्रचलित है, खासकर राजस्थान में।
- बंगाल के बाढ़ के मैदानों में, लोगों ने अपने खेतों की सिंचाई के लिए जलप्लावन चैनल विकसित किए।
- शुष्क और अर्ध-शुष्क क्षेत्रों में, कृषि क्षेत्रों को वर्षा आधारित भंडारण संरचनाओं में बदल दिया गया, जिससे वहां पानी खड़ा हो गया और मिट्टी को गीला कर दिया गया जैसे जैसलमेर में ‘खादीन’ और राजस्थान के अन्य हिस्सों में ‘जोहड़’।
- टंके अच्छी तरह से विकसित छत वर्षा जल संचयन प्रणाली का हिस्सा हैं, और मुख्य घर या आंगन के अंदर बनाए गए हैं। यह मुख्य रूप से राजस्थान में, विशेष रूप से बीकानेर, फलोदी और बाड़मेर क्षेत्रों में वर्षा जल को बचाने के लिए किया जाता है।
- कई घरों ने गर्मी को मात देने के लिए “tanka” से सटे भूमिगत कमरों का निर्माण किया है क्योंकि यह कमरे को ठंडा रखता है।
तमिलनाडु भारत का पहला राज्य है जिसने पूरे राज्य के सभी घरों में छत पर वर्षा जल संचयन संरचना को अनिवार्य कर दिया है। और साथ ही इसके चूककर्ताओं को दंडित करने के लिए कानूनी का भी प्रावधान हैं।
FAQ (Frequently Asked Questions)
उचित जल प्रबंधन के लिए किन तरीकों का पालन किया जा सकता है?
इसके कई तरीके होते है, जैसे की –
1. वर्षा जल संचयन
2. भूजल पुनर्भरण
3. ड्रिप सिंचाई
4. ग्रेवाटर सिस्टम
5. सीवेज जल उपचार
जल की उत्पत्ति कहाँ से हुई है?
एक अध्ययन ने सुझाव दिया कि पानी की उत्पत्ति उन चट्टानों से हुई जिनसे पृथ्वी का निर्माण हुआ।
Condensation के विभिन्न प्रकार क्या हैं?
इसके कई प्रकार हैं –
1. कोहरा
2. धुंध
3. पाला
4. ओस
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