मंगल पर भेजे गए पहले helicopter Ingenuity की कुछ खास बातें
NASA ने अभी कुछ दिन पहले अपना एक Perseverance नामक रोवर मंगल कि सतह पर उतरा है। यह रोवर मंगल ग्रह का अध्ययन करने के लिए उतारा गया है। यह रोवर मंगल की सतह पर करीब दो साल का वक़्त बिताएगी, जिसमें यह गृह से तरह-तरह के नमूने इखट्टा करेगी, जिसे NASA का वापस पृथ्वी पर लाने की योजना है।
Rover के साथ ही NASA ने Ingenuity नाम का एक helicopter भी गृह पर भेजा है। यह NASA द्वारा मंगल गृह पर helicopter के परिक्षण करने का पहला प्रयास होगा। और अगर यह प्रयास सफल रहा, तो यह engineering का एक अद्भुत चमत्कार साबित होगा।
इस experiment के द्वारा engineers किसी दूसरे ग्रह पर किसी यान को कैसे सफलता पूर्वक उड़ाया जाए, इसकी खोज में है। क्योंकि दूसरे ग्रह पर वातावरण पृथ्वी के मुकाबले काफी अलग होता है, वहा किसी यान को उड़ने के लायक बनाना आज सबसे बड़ी चुनौती है। आज सभी engineers की निगाहें Ingenuity पर टिकी हुई है, ताकि इस जटिल सवाल का जवाब ढूंढा जा सके। अगर Ingenuity की उड़ान सफल रही, तो यह इंजीनियरिंग की दुनिया मे एक बार मील का पत्थर साबित होगी।
तो आएये जानते है इस Ingenuity helicopter से जुड़ी कुछ खास बाते।
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Ingenuity को फ्लाइट टेस्टिंग के लिए उतारा गया
Ingenuity सिर्फ एक technology demontration है। यह एक प्रोजेक्ट है, जिसका उद्देश्य केवल मंगल गृह पर इसकी उरान का परिक्षण करना है।
Ingenuity में चार कार्बन-फाइबर ब्लेड्स लगे हुए है, जिसे विशेष रूप से इस helicopter को मंगल ग्रह पर उराने के लिए बनाया गया है। इन ब्लेड्स को दो जोरी मोटरों में व्यवस्थित किया गया है, जो कि एक दुसरे से विपरीत दिशा में 2400 RPM की रफ्तार पर घुमती है, जो कि पृथ्वी के यात्री helicopter के कई गुना ज्यादा है।
इस helicopter में सोलर सेल्स, बैटरी और कई तरह के components है। हालांकि Ingenuity में कोई वैज्ञानिक उपकरण नहीं लगाए गए है, पर फिर भी यह mission का एक महत्वपूर्ण अंग है।
Ingenuity पहली ऐसी हवाई यान होगा, जिसे दूसरे गृह से रिमोट द्वारा नियंत्रित किया जाएगा
ग्रहों के बीच काफी दूरी होने के कारण संचार में बहुत देरी होती है, जिसके कारण Ingenuity को Joy Stick के सहारे उड़ान संभव नहीं है। इसलिए Jet Propulsion Laboratory (JPL) से उरान नियंत्रक, helicopter से मिले हुए डाटा के अनुसार अपने instructions इसे पहले से ही भेज देंगे। साथ ही Ingenuity को खुद फैसले लेने के लायक भी बनाया गया है, ताकि वह अपने intelligence की मदद से भी अपने फैसले ले सके।
मंगल का वातावरण पृथ्वी के मुकाबले 99 प्रतिशत कम घनत्व होता है, वहा की हवा इसनी पतली होती है कि वहां किसी helicopter को उड़ाना काफी मुस्किल होता है। इसकी तुलना पृथ्वी से की जाए तो यहाँ की हवा मंगल के मुकाबले काफी घनी होती है, जिससे यहाँ पर किसी हवाई जहाज को उड़ाना काफी आसान हो जाता है।
इस लिए Ingenuity को काफी हल्का बनाया गया है, और इसमें बड़े घुमाने वाले कार्बन फाइबर के ब्लेड लगाये गए है, जिसे पृथ्वी के helicopter के मुकाबले काफी तेज घुमाया जायेगा, जिससे यह उड़ सके।
Perseverance को Ingenuity के साथ Jezero Crater में उतारा गया है, जहाँ का तापमान -90 डिग्री celcius तक गिर जाता है। हालांकि Ingenuity के टीम ने इसे मंगल के तापमान के अनुसार टेस्ट किया है, पर फिर भी इतनी ज्यादा ठण्ड helicopter के भागो को नुकसान पंहुचा सकती है। इसलिए Ingenuity को इस तरह बनाया गया है, ताकि ये खुद को गर्म रखने के लिए किसी और जगह उड़ के जा सके।
Ingenuity नाम किसने रखा
Northport, Alabama के हाई स्कूल में पढ़ने वाली “Vaneeza Rupani” ने इस helicopter का नाम Ingenuity रखा था। NASA के सामने प्रस्ताव रखने पर उन्होंने इसे स्वीकार कर लिया।
Rupani का कहना है कि “Interplanetary यात्रा की चुनौतियों से पार पाने के लिए कड़ी मेहनत करने वाले लोगों की सरलता और प्रतिभा हम सभी को अंतरिक्ष अन्वेषण के चमत्कार का अनुभव करने की अवसर देती हैं। Ingenuity वह है, जो लोगों को आश्चर्यजनक चीजों को पूरा करने की अवसर प्रदान करती है।“
Ingenuity की अभियांत्रिकी उपलब्धिया
Ingenuity ने पहले ही काफी इंजीनियरिंग उपलब्धिया हासिल कर ली है। JPL के engineers ने एक ऐसा हल्का हवाई जहाज बनाया है, जो ना केवल मंगल के वातावरण में उरान भरने के लिए शक्ति उत्पन्न कर सकता है, बल्कि वहां के तापमान में खुद को बचा भी सकता है।
इस helicopter ने Perseverance के साथ मंगल कि यात्रा से पहले ही अपने अंतिम उरान के मूल्यांकन को पास कर लिया। इनमे से किसी टेस्ट को पास ना करने पर, यह प्रयोग पूरा होने से रुक जाता।
Ingenuity का mission
Ingenuity के कुछ माइलस्टोन है, जिसके पूरा होने पर इस यह प्रयोग सफल होगा –
- पृथ्वी से लांच होने से ले कर मंगल पर लैंड करने तक बचे रहना।
- Perseverance से बहार निकालकर सतह पर उतरना।
- सोलर पैनल से खुद को चार्ज करना।
- मंगल के कड़ी ठण्ड में खुद को गर्म रखना।
इन सबके बाद Ingenuity अपने पहले उरान का प्रयास करेगी, जिसके सफल होने के बाद ये 30 मंगल दिनों(31 पृथ्वी दिनों) के अन्दर चार और प्रयास करेगी।
इसकी सफलता एडवांस फ्लाइंग रोबोट को मंगल पर भेजने में मदद करेगी
Ingenuity को मंगल गृह पर उरान भरने के लिए जो प्रौद्योगिकी की आवश्यकता है, उसका अध्धयन करने के लिए भेजा गया है। इस प्रोद्योगिकी के सफल होने पर यह और कई उरने वाले उन्नत रोबोट को मंगल पर भेजना का रास्ता खोल देगी। जिससे ये मंगल का ऐसा चित्र प्रदान कर सकेगी, जो अभी के रोवर या लैंडर से प्राप्त करना संभव नहीं है। यह गृह पर उरान भरकर उसका हाई डेफिनेशन फोटो खीच कर भेज सकेगी।
JPL में Ingenuity के प्रजेक्ट मैनेजर “MiMi Aung” ने कहा कि “Ingenuity टीम ने पृथ्वी पर हेलीकॉप्टर का परीक्षण करने के लिए सब कुछ किया है, और हम मंगल के वास्तविक वातावरण में अपने प्रयोग की उड़ान भरने की आशा कर रहे हैं। हम सभी तरह से सीख रहे हैं, और यह हमारी टीम के लिए अंतिम इनाम होगा कि हम भविष्य में अन्य दुनिया का पता लगाने के तरीके में एक और आयाम जोड़ सकें।“
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