black hole in hindi

Black hole क्या होता है, निबंध? | Black hole explanation, details in hindi

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एक black hole वास्तव में ‘ब्लैक होल’ नहीं होता है। ये यह कोई खाली छेद या स्थान भी नहीं है। वास्तव में ब्लैक होल अंतरिक्ष में मौजूद ऐसे बिंदु होते हैं, जो इतने घने होते हैं कि वे गहरे गुरुत्वाकर्षण सिंक (sinks) बनाते हैं। साथ ही एक ब्लैक होल से प्रकाश भी बचकर नही निकल सकता। Black hole का अत्यधिक गुरुत्वाकर्षण इसके चारों ओर की जगह को विकृत करता है, जो प्रकाश को echo यानि की “गूंज” करने की अनुमति देता है, जो की फिर पीछे की ओर झुकता है।

ब्लैक होल क्या है? (What is black hole in hindi)

Black hole अंतरिक्ष में मौजूद बेहद घने बिंदु होते हैं, जो गहरे गुरुत्वाकर्षण सिंक बनाते हैं जिससे की प्रकाश भी नहीं बच सकता। यह एक विशाल तारे की मृत्यु से बन सकता है। एक black hole अंतरिक्ष में शून्य स्थान लेता है लेकिन उसका भी एक द्रव्यमान होता है, जो कि पहले एक तारा हुआ करता था। ब्लैक होल समय के साथ अधिक विशाल हो जाते हैं, क्योंकि वे अपने आस-पास मौजूद पदार्थ का उपभोग करने लगते हैं।

वे जितने बड़े होते हैं, उनके पास “no return” का एक बड़ा क्षेत्र होता जाता है, जहां उनके क्षेत्र में प्रवेश करने वाली कोई भी चीज black hole में अपरिवर्तनीय रूप से खो जाती है। बिना वापसी के इस बिंदु को “event horizon” भी कहा जाता है।

जब एक विशाल तारा (सूर्य से लगभग 8 गुना बड़ा) अपने thermonuclear ईंधन को पूरा खत्म कर चूका होता है, तो तब उसके जीवन का अंत होता है, और तब उसका core अस्थिर हो जाता है। जिस कारण फिर इसका गुरुत्वाकर्षण ही इसके core को अपने आप में ही ढहा देता है।

फिर इसके संघटक पदार्थ का यह विशाल भार मरने वाले तारे को शून्य आयतन यानि की point of zero volume और अनंत घनत्व यानि की infinite density के एक बिंदु तक संकुचित कर देता है – जिसे की “singularity” कहा जाता है।

ब्लैक होल की खोज किसने किया था? (First concept of black hole)

यह concept महान भौतिक विज्ञानी “अल्बर्ट आइंस्टीन” ने साल 1915 में दिया था, लेकिन ‘ब्लैक होल’ शब्द साल 1960 के दशक में अमेरिकी भौतिक विज्ञानी “जॉन आर्चीबाल्ड व्हीलर” द्वारा गढ़ा गया था।

ब्लैक होल कितने प्रकार के होते है? (Black hole types, categories in hindi)

  • इसके एक प्रकार कुछ solar masses और दसियों solar masses के बीच होता है, और ऐसा माना जाता है कि जब बड़े तारे मरते हैं तो ये बनते हैं।
  • इसका दूसरा प्रकार supermassive ब्लैक होल है। साथ ही ये हमारे सौर मंडल में मौजूद सूर्य के सैकड़ों-हजारों से लेकर अरबों गुना तक बड़े हैं।

असल में एक ब्लैक होल को देखा नहीं जा सकता है, लेकिन केवल इसके आस-पास मौजूद पदार्थ पर इसके विशाल गुरुत्वाकर्षण क्षेत्रों के प्रभाव से ही इनका पता लगाया जा सकता है।

चूंकि ब्लैक होल में बहने वाला कोई भी पदार्थ तीव्र रूप से काफी गर्म हो जाता है, यह event horizon में प्रवेश करने और हमेशा के लिए गायब होने से पहले एक एक्स-रे विकिरण करता है। फिर हमारे द्वारा इन ही एक्स-रे का पता लगाया जाता है, और फिर radio images ब्लैक होल के हमारे विचार को परिभाषित करती हैं।

सुपरमैसिव ब्लैक होल

हमारे milky way सहित अधिकांश आकाशगंगाओं के केंद्र में एक सुपरमैसिव ब्लैक होल मौजूद होता है। कभी-कभी ये सुपरमैसिव ब्लैक होल अपने चारों ओर मौजूद गैस, धूल और तारकीय मलबे की एक डिस्क इकट्ठा करते हैं, जब यह उस ब्लैक होल में गिरते हैं। साथ ही इसकी गुरुत्वाकर्षण ऊर्जा को प्रकाश में भी बदला जा सकता है।

यह प्रक्रिया आकाशगंगाओं के केंद्रों को बहुत उज्ज्वल बनाती है, और इसे Active Galactic Nuclei (AGN) भी कहा जाता है। और कभी-कभी AGN अपने केंद्र से प्रकाश की गति से पदार्थ के जेट को बाहर निकालता है, जिसे की “quasar” कहा जाता है। जब कोई आकाशगंगा इस तरह oriented होती है कि ये जेट पृथ्वी की दिशा की ओर गोली की तरह आगे बढ़ते हैं, और तब इसे “blazar” कहा जाता है।

सरल शब्दों में कहे तो, quasar और blazar एक ही चीज़ होती हैं, लेकिन यह अलग-अलग angles पर pointed किए जाते हैं।

ब्लैक होल पर नई खोजे (Latest observations on black holes)

अप्रैल 2019 : इवेंट होराइजन टेलीस्कोप परियोजना के वैज्ञानिकों ने ब्लैक होल की पहली छवि दुनिया के सामने जारी की।

जनवरी 2021: ARIES संस्थान के भारतीय खगोलविदों ने 10 मिलियन प्रकाश-वर्ष दूर से “BL Lacertae” नामक ब्लेज़र से सबसे मजबूत लपटों में से एक की खोज की सूचना दी।

अगस्त 2021: भारतीय वैज्ञानिकों ने एक “triple Active Galactic Nucleus” बनाने के लिए कई आकाशगंगाओं से तीन सुपरमैसिव ब्लैक होल के विलय की खोज की है। इससे यह पता चलता है कि इस तरह के समूह विलय से भी ब्लैक होल का विकास हो सकता है।

नोट : एक प्रकाश वर्ष वह दूरी होती है, जो एक प्रकाश की किरण पृथ्वी के एक वर्ष के समान समय में यात्रा करता है। एक प्रकाश वर्ष लगभग 6 ट्रिलियन मील (9 ट्रिलियन किमी) होता है। प्रकाश 186,000 मील (या 300,000 किमी) प्रति सेकंड की गति से यात्रा करता है। हमारा सूर्य हमारे सबसे निकट का तारा है। यह हमसे लगभग 93 मिलियन मील दूर मौजूद है। 

अतः सूर्य के प्रकाश को हम तक पहुँचने में लगभग 8.3 मिनट का समय लगता है। इसका मतलब यह होता है कि हम हमेशा सूर्य को वैसे ही देखते हैं जैसे वह लगभग 8.3 मिनट पहले था, यानि की एक तरह से हम सूरज के past यानि की भूतकाल को देख रहे होते है।

FAQ (Frequently Asked Questions)

ब्लैक होल का सिद्धांत किस व्याज्ञानिक ने दिया था?

ब्लैक होल का सिद्धांत पहली बार भौतिक विज्ञानी “अल्बर्ट आइंस्टीन” साल 1915 में दिया था।

ब्लैक होल शब्द किस व्याज्ञानिक द्वारा दिया गया था?

ब्लैक होल शब्द पहली बार 1960 के दसक में अमेरिकी भौतिक विज्ञानी “जॉन आर्चीबाल्ड व्हीलर” द्वारा दिया गया था।

ब्लैक होल की तस्वीर पहली बार कब दुनिया के सामने आई?

ब्लैक होल की तस्वीर पहली बार अगस्त स्सल 2019 में दुनिया के सामने आई थी।

ब्लैक होल की तस्वीर किस telescope से ली गयी थी?

ब्लैक होल की पहली तस्वीर “Event Horizon Telescope” से ली गयी थी। 

आशा करता हूं कि आज आपलोंगों को कुछ नया सीखने को ज़रूर मिला होगा। अगर आज आपने कुछ नया सीखा तो हमारे बाकी के आर्टिकल्स को भी ज़रूर पढ़ें ताकि आपको ऱोज कुछ न कुछ नया सीखने को मिले, और इस articleको अपने दोस्तों और जान पहचान वालो के साथ ज़रूर share करे जिन्हें इसकी जरूरत हो। धन्यवाद।  

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