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Mineral water से जुड़े 10 रोचक, अनजाने तथ्य | 10 cool facts about mineral water in hindi

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हम सभी जिन्होंने कभी ना कभी बाहर सफ़र किया होगा, Mineral water यानी बोतलबंद पानी का इस्तेमाल जरुर किया होगा। सफ़र के अलावा भी कई सारे ऐसे लोग है, जो अपने घर के नल की जगह mineral water पीना ज्यादा पसंद करते है। यह एक तरह का पानी होता है, जिसमें विभिन्न खनिज होते हैं, जैसे नामक और सल्फर यौगिक। इसमें इस्तेमाल होने वाले पानी को ज्यादा तर पहाड़ो की झीलों और नदियों से लाया जाता है।

आज पूरी दुनिया में हजारो ऐसी कंपनी है, जो इन बोतलबंद पानी को तैयार करने पूरी दुनिया में बेच रही है। सरकारे भी इन कंपनियों के ऊपर अच्छी-खासी guidelines लगा कर रखती है, ताकि यह अपने customers को हमेशा अच्छे quality की पानी उपलब्ध करे। और अपना मुनाफा बढ़ाने के चक्कर में कभी किसी के स्वास्थ्य से ना खेले।

सेवारत शैलीबोतलबंद  
प्रकार स्टील या स्पर्क्लिंग
शुरुआत कहाँ हुईयूरोप
सामग्रीसोडियम, पोटेशियम, कैल्शियम, मैग्नीशियम, क्लोराइड, सल्फेट, हाइड्रोजन कार्बोनेट।

आज इसका इस्तेमाल काफी आम हो चूका है और काफी बड़ी संख्या में लोगों  द्वारा इसकी खपत की जाती है। मगर क्या आपको मालूम है, इसे बनाने से लेकर खत्म करने तक इससे जुड़े काफी सारे रोचक तथ्य होते है, जिन्हें सुनकर कोई भी हैरान हो सकता है। तो आइए आज हम जानते है mineral water के बारे में कुछ दिलचस्प बाते, जो शायद ही आपको मालूम हो।  

01-05 : Interesting facts about mineral water in hindi

mineral water bottle

1 : पिघलने में लगते है सालों 

एक mineral water की बोतल को पूरी तरह प्रकृति में समाने में लगभग 450 से लेकर 1000 साल तक लग सकते है। इसका एक पहलू यह भी है, कि यह बस scientists द्वारा लगाया गया एक अनुमान है। क्युकि वास्तव में इतने लंबे समय तक इसको observe करना नामुमकिन है, और ऐसा भी मुमकिन है की इन बोतलों को पिघलने में इससे भी ज्यादा समय लगे।

2 : लाखों का बिल

अगर हमलोग अपने रोज़मर्रा में लगने वाले पानी की जगह बोतल में मिलने वाले mineral water का इस्तेमाल करेंगे, तो हमे लाखों रुपयों का बिल भरना पड़ सकता है। एक दिलचस्प fact यह है की, ज्यादा पैसे खर्च होने के बावजूद भी अमेरिका के लोग अपनी बोतल को दोबारा भरने की जगह नई बोतल ख़रीदा पसंद करते है।

3 : बनायी जाती है करोड़ों बोतलें

आज पूरी दुनिया में mineral water की खपत काफी ज्यादा है। इसी कारण हर साल पूरी दुनिया में लगभग 200 बिलियन प्लास्टिक की बोतलें बनायीं जाती है। जिसका लगभग 21% यानी 42.6 बिलियन बोतलें सिर्फ अमेरिका में इस्तेमाल होती है। और यह अमेरिका को बोतलबंद पानी का सबसे बड़ा उपभोक्ता बनाता है।

4 : एक चौथाई होता है आम पानी 

बोतलबंद पानी में एक चौथाई यानि लगभग 25% सिर्फ आम नल का पानी होता है। बड़ी कंपनी द्वारा इस पानी को पहाड़ों की नदियों और झीलों से लाया जाता है। मगर इनके अलावा कई कंपनी ऐसी भी होती है, जो इस पानी को लोकल नगर पालिका के नल से ही ले लेती है, जिस कारण इनमें प्रदूषण का खतरा भी बढ़ जाता है।  

5 : हो सकती है घातक बीमारी 

कई प्लास्टिक की पानी की बोतलों में phthalates नामक रसायन होता हैं, जिसके कारण कई गंभीर बीमारियां होने का खतरा हो सकता है। आम तौर पर phthalates टेस्टोस्टेरोन और अन्य hormone को बाधित करने के लिए जाना जाता है, जिससे असामान्य यौन विकास, पुरुष बांझपन, समय से पहले स्तन विकास, कैंसर और गर्भपात होने का खतरा बढ़ सकता है। इसी कारण काफी लोग इसे पीना ज्यादा पसंद नही करते, खासकर छोटे बच्चों को इससे दूर ही रखते है।

05-10 : Crazy facts about mineral water in hindi

water pouring in glass

6 : पूरी तरह हो गया बंद 

जहाँ एक तरफ आज काफी लोग mineral water को इस्तेमाल करना ज्यादा पसंद करते है, वही साल 2009 में New South Wales के एक टाउन Bundanoon में बोतलबंद पानी यानी mineral water का इस्तेमाल पूरी तरह से बंद कर दिया गया। वहां के लोगों ने mineral water की जगह नल के पानी को ज्यादा तवज्जो दी, और ऐसा करने वाला यह दुनिया का पहला शहर बन गया।

7 : लगती है ज्यादा बिजली 

आम तौर पर नल के पानी की तुलना में एक बोतलबंद पानी को तैयार करने के लिए ज्यादा बिजली की खपत होती है।  किसी mineral water की बोतल को बनाने के लिए नल के मुकाबले 2000 गुना तक ज्यादा बिजली लग सकती है। और इस कारण पर्यावरण में भी काफी प्रदूषण होता है। साथ ही आज Plastic की बोतलो को पर्यावरण में फैले प्रदुषण का सबसे बड़ा कारण माना जाता है।

8 : बनाने में लगता है ज्यादा पानी

यह सुनने में काफी अजीब सा लग सकता है, मगर एक बोतलबंद पानी को तैयार करने में उसके अंदर मौजूद पानी की तुलना में काफी ज्यादा पानी का इस्तेमाल किया जाता है। इन्हें बनाने वाली कंपनियों कहती है की एक bottle को बनाने में 1.40 लीटर पानी का इस्तेमाल होता है, मगर वह पूरे process को नही जोड़ती। असलियत में 1 लीटर के बोतल को बनाने में लगभग 3 लीटर पानी का इस्तेमाल किया जाता है।

9 : अच्छा नहीं होता स्वाद

आम तौर पर बोतलबंद पानी का स्वाद ज्यादा बढ़िया नही होता। इसका कारण इनमें पानी को साफ़ करने वाले chemicals को मिलाना भी होता है। इसी कारण काफी लोग बोतलबंद पानी की जगह नल का पानी पीना ज्यादा पसंद करते है।

10 : नहीं होती ख़राब

एक बोतलबंद पानी कभी ख़राब नही होता। बोतल पर लिखी गई expiry date उस बोतल में मौजूद पानी की नही होती, बल्कि उस plastic के bottle की होती जिसमे वह पानी होता है। समय के साथ plastic bottle में मौजूद chemicals का अंधर रखे पानी में मिलने की संभावना होती है। इसी कारण बोतल पर कुछ समय बाद की expiry date छापी जाती है, ताकि उसके बाद कोई इस पानी को ना पिए।  

आशा करता हूं कि आज आपलोंगों को कुछ नया सीखने को ज़रूर मिला होगा। अगर आज आपने कुछ नया सीखा तो हमारे बाकी के आर्टिकल्स को भी ज़रूर पढ़ें ताकि आपको ऱोज कुछ न कुछ नया सीखने को मिले, और इस articleको अपने दोस्तों और जान पहचान वालो के साथ ज़रूर share करे जिन्हें इसकी जरूरत हो। धन्यवाद।

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