Consumer Rights summary in hindi

Consumer Rights विषय की जानकारी, कहानी | Consumer Rights summary in hindi

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क्या आप एक दसवी कक्षा के छात्र हो, और आपको NCERT के economics ख़िताब के chapter “Consumer Rights” के बारे में सरल भाषा में सारी महत्वपूर्ण जानकारिय प्राप्त करनी है? अगर हा, तो आज आप बिलकुल ही सही जगह पर पहुचे है। 

आज हम यहाँ उन सारे महत्वपूर्ण बिन्दुओ के बारे में जानने वाले जिनका ताल्लुक सीधे 10वी कक्षा के इकोनॉमिक्स के chapter “Consumer Rights” से है, और इन सारी बातों और जानकारियों को प्राप्त कर आप भी हजारो और छात्रों इस chapter में महारत हासिल कर पाओगे।

साथ ही हमारे इन महत्वपूर्ण और point-to-point notes की मदद से आप भी खुदको इतना सक्षम बना पाओगे, की आप इस chapter “Consumer Rights” से आने वाली किसी भी तरह के प्रश्न को खुद से ही आसानी से बनाकर अपने परीक्षा में अच्छे से अच्छे नंबर हासिल कर लोगे।

तो आइये अब हम शुरु करते है “Consumer Rights” पे आधारित यह एक तरह का summary या crash course, जो इस topic पर आपके ज्ञान को बढ़ाने के करेगा आपकी पूरी मदद।

Consumer Rights Summary in hindi

बाजार में उपभोक्ता (Consumer in Marketplace)

हम बाजार में उत्पादकों और उपभोक्ताओं दोनों के रूप में भाग लेते हैं। वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादक के रूप में, हम कृषि, उद्योग या सेवाओं जैसे किसी भी क्षेत्र में काम कर सकते हैं।

उपभोक्ता बाजार में तब भाग लेते हैं, जब वे अपनी जरूरत का सामान और सेवाएं खरीदते हैं। और ये अंतिम वस्तुएँ होती हैं, जिनका उपयोग लोग उपभोक्ता के रूप में करते हैं।

और बाजार में उपभोक्ताओं की सुरक्षा के लिए rules और regulations की आवश्यकता होती है।

उपभोक्ता आंदोलन (Consumer Movement)

भारत में, एक ‘सामाजिक शक्ति’ के रूप में उपभोक्ता आंदोलन अनैतिक और अनुचित व्यापार प्रथाओं के खिलाफ उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा और बढ़ावा देने की आवश्यकता के साथ उत्पन्न हुआ।

इन सभी प्रयासों के कारण साल 1986 में भारत सरकार द्वारा एक महत्वपूर्ण पहल की गई। इसने Consumer Protection Act 1986 को लागू किया है, जिसे लोकप्रिय रूप से “COPRA” के नाम से जाना जाता है।

सुरक्षा सबका अधिकार है

उपभोक्ताओं को माल के विपणन और जीवन और संपत्ति के लिए खतरनाक सेवाओं के वितरण के खिलाफ सुरक्षा का अधिकार है। निर्माताओं को आवश्यक सुरक्षा नियमों और विनियमों का कड़ाई से पालन करने की आवश्यकता है।

माल और सेवाओं के बारे में जानकारी

जब आप कोई वस्तु खरीदते हैं, तो आपको पैकिंग पर दिए गए कुछ विवरण मिलेंगे जैसे कि –

  • प्रयुक्त सामग्री।
  • कीमत।
  • बैच संख्या।
  • उत्पादन की तारीख।
  • समाप्ति तिथि।
  • निर्माता का पता। आदि।

यह जानकारी प्रदर्शित की गई है, क्योंकि उपभोक्ताओं को उनके द्वारा खरीदी गई वस्तुओं और सेवाओं के बारे में जानकारी प्राप्त करने का अधिकार है। उपभोक्ता तब शिकायत भी कर सकते हैं, और मुआवजे या replacement के लिए भी कह सकते हैं यदि उत्पाद किसी भी तरह से दोषपूर्ण यानि की defective साबित होता है।

अक्टूबर 2005 में, भारत सरकार ने एक कानून बनाया, जिसे लोकप्रिय रूप से RTI (Right to Information) Act के रूप में जाना जाता है। यह कानून सुनिश्चित करता है, कि इसके नागरिकों को सरकारी विभागों के कार्यों के बारे में सभी जानकारी मिलती रहे।

जब पसंद से इनकार किया जाता है?

कोई भी उपभोक्ता जो किसी भी क्षमता में सेवा प्राप्त करता है, तो चाहे वह किसी भी उम्र, लिंग और सेवा की प्रकृति की परवाह किए बिना, उसे यह चुनने का अधिकार है कि उसे यह सेवा प्राप्त करना आगे भी जारी रखना है या नहीं।

उपभोक्ताओं को न्याय पाने के लिए कहां जाना चाहिए?

उपभोक्ताओं को अनुचित व्यापार प्रथाओं और शोषण के खिलाफ निवारण की मांग करने का अधिकार है। भारत में उपभोक्ता आंदोलन ने विभिन्न संगठनों का गठन किया है, जिन्हें consumer forums या consumer protection councils के रूप में जाना जाता है। और वे उपभोक्ताओं को consumer court में मामले दर्ज करने के तरीके के बारे में मार्गदर्शन करते हैं।

उपभोक्ता विवादों के निवारण के लिए जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर three-tier अर्ध न्यायिक तंत्र COPRA की स्थापना की गई थी।

  • जिला स्तर की अदालत जिसे District Forum भी कहा जाता है, जो 20 लाख रुपये तक के दावों से जुड़े मामलों से संबंधित है।
  • राज्य स्तरीय अदालत जिसे State Commission कहा जाता है, जो 20 लाख रुपये से 1 करोड़ रुपये के दावों से जुड़े मामलों से संबंधित है।
  • राष्ट्रीय स्तर की अदालत को National Commission के रूप में जाना जाता है, जो 1 करोड़ रुपये से अधिक के दावों वाले मामलों से संबंधित है। 
  • यदि कोई मामला जिला-स्तरीय अदालत में खारिज हो जाता है, तो उपभोक्ता राज्य में और बाद में राष्ट्रीय स्तर की अदालतों में भी इनके लिए अपील कर सकता है।

अच्छी तरह से सूचित उपभोक्ता बनना सीखना

COPRA के अधिनियमन ने केंद्र और राज्य सरकारों में उपभोक्ता मामलों के अलग-अलग विभागों की स्थापना की है। और ISI, Agmark या Hallmark अक्षरों वाला logo उपभोक्ताओं को सामान और सेवाओं को खरीदते समय गुणवत्ता का आश्वासन प्राप्त करने में मदद करता है।

उपभोक्ता आंदोलन को आगे ले जाना

भारत उन देशों में से एक है, जहां उपभोक्ता निवारण के लिए विशेष अदालतें हैं। 24 दिसंबर को भारत में राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस के रूप में मनाया जाता है। COPRA के लागू होने के 25 से अधिक वर्षों के बाद, हालांकि धीरे-धीरे ही सही, मगर अब हमारे देश में उपभोक्ता जागरूकता फैल रही है। और उपभोक्ता आंदोलन की speedy process के लिए हमें लोगों के voluntary effort और active participation की भी काफी आवश्यकता है।

FAQ (Frequently Asked Questions)

एक Consumer organisation’ क्या है?

एक Consumer organisation/association एक सदस्यता-आधारित गैर-सरकारी गैर-लाभकारी निकाय है जिसे वस्तुओं और सेवाओं के उपभोक्ताओं के हितों को बढ़ावा देने के लिए बनाया गया है।

“ISI” मार्क का क्या अर्थ है?

ISI मार्क भारतीय उपमहाद्वीप में अब तक का सबसे मान्यता प्राप्त प्रमाणन चिह्न है। आईएसआई नाम भारतीय मानक संस्थान का संक्षिप्त नाम है, जो भारतीय मानक ब्यूरो का पूर्व नाम भी है।

उपभोक्ताओं के मूल अधिकार क्या हैं?

उपभोक्ताओं के मूल अधिकार है –
1. सुरक्षा का अधिकार।
2 चुनने का अधिकार। 
3. सूचना पाने का अधिकार। 
4. उपभोक्ता शिक्षा का अधिकार।
5. सुनवाई का अधिकार। 
6. निवारण मांगने का अधिकार।
7. उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम।  आदि।

आशा करता हूं कि आज आपलोंगों को कुछ नया सीखने को ज़रूर मिला होगा। अगर आज आपने कुछ नया सीखा तो हमारे बाकी के आर्टिकल्स को भी ज़रूर पढ़ें ताकि आपको ऱोज कुछ न कुछ नया सीखने को मिले, और इस articleको अपने दोस्तों और जान पहचान वालो के साथ ज़रूर share करे जिन्हें इसकी जरूरत हो। धन्यवाद।

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