कैसे बने एक जज? | How to become a judge, Judiciary services in hindi
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भारतीय Judiciary system यानि की न्यायपालिका प्रणाली में करियर बनाने के लिए, आवेदकों को भारत में विभिन्न प्राधिकरणों द्वारा आयोजित प्रवेश परीक्षाओं के लिए qualify करने की आवश्यकता होती है। Law के स्नातकों के लिए, प्रत्येक राज्य के लोक सेवा आयोग द्वारा निचली न्यायपालिका परीक्षा आयोजित की जाती है।
हालांकि, भारत में उच्च स्तरीय Judiciary परीक्षा में आवेदन करने के लिए, आवेदक के पास बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) के सदस्य के रूप में न्यूनतम सात साल की practice होना चाहिए। और इसके बगैर इन परीक्षाओं में बैठना संभव नही है।
राज्य के कानूनों में बदलाव के कारण हर राज्य का परीक्षा पैटर्न अलग-अलग होता है। हालाँकि, साधारण तौर पे प्रारंभिक स्तर की परीक्षा में बहुविकल्पीय प्रश्न शामिल होते हैं। दूसरी ओर, मुख्य स्तर की परीक्षा के प्रश्न पत्र में वर्णनात्मक यानि की descriptive प्रकार के प्रश्न शामिल होते हैं। और निचले स्तर की Judiciary परीक्षा पास करने के बाद आवेदकों को जिला मजिस्ट्रेट, अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट, ‘मुंसिफ’, या जिला अदालत के न्यायाधीश के रूप में रखा जाता है।
तो आइये आज हम जानते है, भारतीय न्यायिक/ Judiciary सेवा में करियर से संबंधित ऐसी ही कुछ बातों को, जैसे की इसका जॉब प्रोफाइल, जज बनने के लिए आवश्यक कौशल, जज की दक्षता और कौशल, जज के कर्तव्य और जिम्मेदारियां, नियुक्ति का स्तर, पात्रता मानदंड, परीक्षा की सूची, परीक्षा पैटर्न, भारत में न्यायपालिका परीक्षा के लिए परीक्षा आयोजित करने वाले राज्यों की सूची, प्रारंभिक और मुख्य पाठ्यक्रम, आदि जिनसे इस छेत्र में आगे जाने की इच्छा रखने वाले उम्मीदवारों को काफी मदद मिलेगी।
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भारत में एक न्यायाधीश के रूप में कैरियर? (Career as a Judge)
एक न्यायाधीश भारतीय न्यायपालिका प्रणाली में सबसे सम्मानित और महत्वपूर्ण पदों में से एक है। और एक न्यायाधीश देश में भारत के संविधान के अनुसार कानूनों को प्रशासित करने, प्रबंधित करने, नियंत्रित करने, व्याख्या करने और लागू करने के लिए जिम्मेदार होते हैं। एक जज बनने के लिए बहुत मेहनत, दृढ़ संकल्प, समर्पण और धैर्य की आवश्यकता होती है।
और भारत में ऐसे सभी निर्णय, जिनमें कानून का प्रश्न उठता है, Judiciary प्रणाली द्वारा ही लिए जाते हैं। और यह पेशा एक व्यक्ति के जीवन में कई सामाजिक और वित्तीय लाभ भी लाता है। भारत में ऐसे कई मामले हुए है, जिनमे भारतीय न्याय पालिका ने ऐतिहासिक निर्णय प्रदान किए है, और पूरी दुनिया को भारतीय न्यायपालिका प्रणाली की शक्ति का एहसास कराया है।
आज न्यायपालिका प्रणाली में भारत में पीड़ितों को न्याय प्रदान करने की शक्ति है, चाहे वो सामाजिक मुद्दे हो, या फिर किसी गंभीर अपराधों से संबंधित मामले हो।
न्यायिक सेवाओं के लिए पात्रता मानदंड? (Eligibility criteria for judiciary services)
भारत में न्यायिक सेवा परीक्षा दो स्तरों पर आयोजित की जाती है। और इन परीक्षाओं में बैठने के लिए पात्रता मानदंड भी अलग-अलग होते हैं। जैसे की –
निचले स्तर की न्यायपालिका परीक्षा (Lower Level Judiciary Exam)
- शैक्षणिक योग्यता – आवेदकों के पास भारत में किसी भी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से LL. B degree होना चाहिए।
- आवश्यक अनुभव – इसके लिए किसी अनुभव की आवश्यकता नहीं होती है।
- आयु – आवेदक की आयु 21 से 35 वर्ष के बीच होनी चाहिए
- नागरिकता – आवेदकों के पास भारत की नागरिकता होनी चाहिए।
उच्च स्तर की न्यायपालिका परीक्षा (High Level Judiciary Exam)
- शैक्षणिक योग्यता – आवेदकों के पास भारत में किसी भी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से LL. B degree होना चाहिए। और साथ ही उन्हें राज्य बार काउंसिल में सदस्यता के साथ अधिवक्ता अधिनियम 1961 के तहत एक वकील के रूप में नामांकित भी होना चाहिए।
- आवश्यक अनुभव – आवेदक के पास कम से कम सात साल का मुकदमा चलाने का अभ्यास होना चाहिए।
- आयु – उम्र अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग हो सकती है।
- नागरिकता – आवेदकों के पास भारत की नागरिकता होनी चाहिए।
न्यायिक सेवाओं में करियर के लिए योग्यताएं और कौशल? (Skills required for judiciary jobs)
जो लोग अपने अंधर एक सफल जज बनने की इच्छा रखते है, उन्हें कुछ प्रकार के विशिष्ट गुण, कौशल और योग्यताएं होनी आवश्यक होती है, जैसे की –
श्रवण कौशल (Listening Skills) – न्यायाधीशों में परीक्षण और सुनवाई के दौरान प्रतिवादियों के बयानों को ध्यान से सुनने में सक्षम होना चाहिए।
आलोचनात्मक सोच (Critical Thinking) – न्यायाधीशों में किसी भी तरह के निर्णय लेते समय प्रदान किए गए साक्ष्य का बुद्धिमानी से मूल्यांकन करने की क्षमता होनी चाहिए।
मौखिक संचार कौशल (Oral Communication skills) – सुनवाई या परीक्षण के दौरान न्यायाधीश जो निर्देश प्रदान करते हैं, वे स्पष्ट और संक्षिप्त होने चाहिए।
लेखन कौशल (Writing skills) – न्यायाधीशों को यह पता होना चाहिए, कि अपने फैसले, और निर्देश किस प्रकार से लिखने है।
पठन ज्ञान (Reading knowledge) – न्यायाधीशों को जटिल दस्तावेजों को समझने में सक्षम होना चाहिए।
समस्या-समाधान (Problem-solving) – न्यायाधीशों को समस्याओं की पहचान करने, उनका पता लगाने और उन्हें हल करने में सक्षम होना चाहिए।
न्यायिक सेवाओं में अलग-अलग जॉब प्रोफाइल (Job profiles in judiciary services)
भारत में judiciary सेवाओं से संबंधित विभिन्न जॉब प्रोफाइल होते है, जैसे की –
- महान्यायवादी (Attorney General)
- महाधिवक्ता (Advocate General)
- शपथ आयुक्त (Oath Commissioner)
- नोटरी (Notary)
- उप-मजिस्ट्रेट (Sub-Magistrate)
- मजिस्ट्रेट (Magistrate)
- जिला एवं सत्र न्यायाधीश (District and Sessions Judge)
- सरकारी वकील (Public Prosecutor)
- वकील (Solicitors)
न्यायिक सेवाओं में कर्तव्य और जिम्मेदारियां? (Duties and responsibilities in judiciary services)
कानून में स्नातक पूरा करने के बाद, आवेदक भारत में होने वाले अधिकांश Judiciary परीक्षाओं के लिए आवेदन करने के योग्य हो जाते हैं। और चूंकि यह भारत में सर्वोच्च प्रतिष्ठित और अधिकृत पदों में से एक है, यह पद अपने साथ कई तरह की जिम्मेदारियों और कर्तव्यों को अपने साथ लाती है। भारत में न्यायाधीशों के कई प्रकार के कर्तव्य होते हैं, जैसे की –
- उनके पास वकील द्वारा प्रस्तुत प्रस्तावों पर “डिक्री” यानि की किसी भी तरह का आदेश लिखने का अधिकार होता है।
- न्यायाधीश साक्ष्य की स्वीकार्यता का निर्धारण करते हैं।
- वे आवश्यक साक्ष्य को सुनते हैं।
- वे अभियोजन पक्ष और बचाव पक्ष के आरोपों को भी सुनते हैं।
- Civil cases के मामलों में, न्यायाधीशों को दायित्व या हर्जाने का निर्धारण करने के लिए अधिकृत किया जाता है।
- उन्हें गवाहों से पूछताछ करने का अधिकार होता है।
- वे तलाशी और गिरफ्तारी वारंट को स्वीकार करने और स्वीकृत करने के लिए भी जिम्मेदार होते हैं।
- साथ ही उनके अधिकारों में आपराधिक अदालत में, आपराधिक प्रतिवादियों के अपराध या बेगुनाही का निर्धारण करना और दोषी पाए गए प्रतिवादियों पर सजाएं लागू करना भी है।
- वे एक परीक्षण के साथ आगे बढ़ने के तरीके को निर्दिष्ट करने के लिए कानून की व्याख्या करने के लिए भी जिम्मेदार हैं।
- इनके अलावा, न्यायाधीश मामलों, दावों और विवादों के संबंध में अपनी राय, निर्णय और निर्देश लिखते हैं।
- वे निर्णय लेने के लिए कानूनों या उदाहरणों की व्याख्या करते और उन्हें लागू करते हैं।
- वे दो पक्षों के बीच विवादों को सुलझाने या अन्य प्रकार के मुद्दों के परिणाम का निर्धारण करने के लिए जिम्मेदार होते हैं।
- वे प्रतिवादियों को उनके संवैधानिक अधिकारों के बारे में सूचित करते हैं।
- जज अपने जूनियर्स को ट्रायल में पेश किए गए सबूतों से तथ्यों पर विचार करने का निर्देश देते हैं।
- वे प्रशासनिक सुनवाई की अध्यक्षता करते हैं और विरोधी के तर्क भी पढ़ते हैं।
- वे किसी जूरी को निर्देश देने के लिए भी अधिकृत होते हैं।
- साथ ही वे आपराधिक मामलों में प्रारंभिक कार्यवाही भी करते हैं। आदि।
न्यायिक सेवाओं में नियुक्ति का स्तर (Level of appointment in judiciary services)
भारत के संविधान के अनुसार, राज्य में त्रिस्तरीय न्यायिक प्रणाली होती है, जिसमें भारत का सर्वोच्च न्यायालय, विभिन्न राज्यों में उच्च न्यायालय और अधीनस्थ यानि की Subordinate न्यायालय शामिल हैं। इस प्रकार, भारत में विभिन्न प्राधिकरणों द्वारा इन तीन स्तरों पर न्यायाधीशों की नियुक्ति की जाती है। भारत में judiciary प्रणाली की पदानुक्रम है –
सुप्रीम कोर्ट का क्षेत्राधिकार (Supreme Court Jurisdiction)
भारत का सुप्रीम कोर्ट त्रिस्तरीय न्यायिक प्रणाली का सर्वोच्च न्यायालय होता है। और भारत के संविधान के अनुसार, यह अपील की अंतिम अदालत होती है। भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) भारत के सर्वोच्च न्यायालय में सबसे वरिष्ठ और सर्वोच्च पद के न्यायाधीश होते हैं, और वे देश में सबसे प्रमुख न्यायिक पद धारण करते हैं।
भारत के सर्वोच्च न्यायालय के अधिकार क्षेत्र में भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) और 30 अतिरिक्त न्यायाधीश शामिल हैं। CJI की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालय की एक अन्य न्यायपालिका से परामर्श करने के बाद की जाती है। और सुप्रीम कोर्ट जज के पद के लिए अधिकतम आयु सीमा 65 वर्ष की होती है।
उच्च न्यायालय का क्षेत्राधिकार (High Court Jurisdiction)
राज्य उच्च न्यायालय के प्रत्येक न्यायाधीश की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा भारत के मुख्य न्यायाधीश, उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश और राज्य के राज्यपाल के परामर्श से की जाती है। और एक राज्य में उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की संख्या राज्य के अनुसार भिन्न होती है।
यहाँ न्यायाधीशों की कुल संख्या दो कारकों पर निर्भर करती है, जैसे कि उस हाई कोर्ट में प्रति न्यायाधीश प्रति वर्ष मामलों के वितरण की औसत दर, या पिछले पांच वर्षों के दौरान मुख्य मामलों के औसत दर का राष्ट्रीय औसत से विभाजित। और एक हाई कोर्ट के न्यायाधीश के पद के लिए अधिकतम आयु सीमा 62 वर्ष की होती है।
जिला न्यायालय का क्षेत्राधिकार (District Court Jurisdiction)
भारत में जिला अदालतें सत्र न्यायाधीशों और जिला न्यायाधीशों द्वारा शासित होती हैं। यहाँ आपराधिक मामलों को सँभालने वाले न्यायाधीश को सत्र न्यायाधीश के रूप में जाना जाता है, और किसी civil मामले की अध्यक्षता करने वाले न्यायाधीश को जिला न्यायाधीश के रूप में जाना जाता है।
इन्हें उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के बाद राज्य में सर्वोच्च अधिकारी माना जाता है। इनके अलावा राज्य में अतिरिक्त जिला न्यायाधीश और सहायक जिला न्यायाधीश भी होते हैं, और इनकी संख्या किसी राज्य में मामलों की संख्या पर निर्भर करता है।
जिला न्यायाधीशों की नियुक्ति राज्यपाल द्वारा राज्य उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश से परामर्श के बाद की जाती है। और जिला न्यायाधीश बनने के लिए, आवेदकों को एक वकील के रूप में कम से कम सात साल तक का अभ्यास पूरा करना होगा।
मजिस्ट्रेट या मुंसिफ (Magistrates or Munsiff)
इनकी नियुक्ति केंद्र या राज्य सरकार द्वारा संबंधित राज्य के उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के साथ परामर्श के बाद की जाती है। और इस पद को हासिल करने के लिए, आवेदक को बार काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा अधिकृत कानून में डिग्री धारक होना चाहिए। इसके अलावा एक योग्य उम्मीदवार होने के लिए अच्छा चरित्र और स्वस्थ स्वास्थ्य भी काफी महत्वपूर्ण है।
न्यायिक सेवाओं के लिए राज्यों की सूची (List of states for judiciary services)
भारत में कुल 24 राज्य न्यायिक सेवा परीक्षा आयोजित करते हैं। और इनमे पात्रता मानदंड, परीक्षा पैटर्न, वेतनमान, और भर्ती प्रक्रिया राज्यों के हिसाब से अलग-अलग होती है। इन्ही राज्यों की सूची है –
मिजोरम | छत्तीसगढ़ | बिहार |
गोवा | राजस्थान | उत्तराखंड |
दिल्ली | केरल | मणिपुर |
मध्य प्रदेश | सिक्किम | हरियाणा |
उड़ीसा | पश्चिम बंगाल | हिमाचल प्रदेश |
नागालैंड | उत्तर प्रदेश | अरुणाचल प्रदेश |
पंजाब | जम्मू और कश्मीर | झारखंड |
कर्नाटक | महाराष्ट्र | असम |
न्यायिक सेवाओं में परीक्षाओं की सूची (List of exams in judiciary services)
भारत में Judiciary परीक्षा राज्य के अधिकारियों द्वारा विभिन्न पदों के लिए आयोजित की जाती है। न्यायपालिका/Judiciary परीक्षा में उपस्थित होने के लिए, न्यूनतम पात्रता मानदंड किसी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से कानून में स्नातक यानि की ग्रेजुएशन डिग्री पूरा करना है। जिला, सत्र न्यायाधीश, मजिस्ट्रेट और उप मजिस्ट्रेट के रूप में भारत में न्यायिक पदों के लिए विभिन्न अधिकारियों द्वारा आयोजित परीक्षाओं में से कुछ है –
संगठनों की सूची | परीक्षा श्रेणी |
कर्नाटक राज्य शपथ आयुक्त | उच्च न्यायालय कर्नाटक परीक्षा |
बिहार जिला न्यायाधीश | उच्च न्यायालय पटना परीक्षा |
गुजरात सिविल जज | हाई कोर्ट ऑफ गुजरात परीक्षा |
झारखंड सिविल जज (जूनियर डिवीजन) | झारखंड लोक सेवा आयोग (JPSC) |
छत्तीसगढ़ जिला न्यायाधीश | उच्च न्यायालय छत्तीसगढ़ परीक्षा |
कर्नाटक राज्य जिला न्यायाधीश | उच्च न्यायालय कर्नाटक परीक्षा |
राजस्थान न्यायालय आयोग | राजस्थान उच्च न्यायालय सिविल न्यायाधीश परीक्षा |
दिल्ली न्यायिक सेवा | दिल्ली उच्च न्यायालय परीक्षा परिषद |
बिहार प्रांतीय सिविल सेवा | बिहार PCS परीक्षा |
कर्नाटक सिविल जज | उच्च न्यायालय कर्नाटक परीक्षा |
दिल्ली जूनियर न्यायिक सहायक | कार्यालय जिला एवं सत्र न्यायाधीश, दिल्ली |
हिमाचल प्रदेश प्रशासनिक सेवाएं | संयुक्त प्रतियोगी परीक्षा |
मध्य प्रदेश जिला न्यायाधीश (प्रवेश स्तर) | मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय (MPHC) |
राजस्थान प्रशासक सेवा परीक्षा | राज्य स्तरीय प्रशासक परीक्षा |
पटना न्यायाधीश निजी सहायक | उच्च न्यायालय पटना परीक्षा |
मध्य प्रदेश सिविल जज | मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय परीक्षा |
पश्चिम बंगाल में सिविल जज | पश्चिम बंगाल लोक सेवा आयोग (PSCWB) |
न्यायिक सेवाएं | दिल्ली उच्च न्यायालय परीक्षा |
तमिलनाडु जिला न्यायाधीश | मद्रास उच्च न्यायालय परीक्षा |
महाराष्ट्र के सिविल जज | महाराष्ट्र लोक सेवा आयोग (MPSC) |
उत्तराखंड सिविल जज | उत्तराखंड लोक सेवा आयोग (UKPSC) |
उत्तर प्रदेश जिला न्यायाधीश | इलाहाबाद उच्च न्यायालय परीक्षा |
तमिलनाडु सिविल जज | तमिलनाडु लोक सेवा आयोग (TNPSC) |
दिल्ली जूनियर न्यायिक सहायक | दिल्ली उच्च न्यायालय परीक्षा |
जम्मू और कश्मीर के सिविल जज | जम्मू और कश्मीर लोक सेवा आयोग (JKPSC) |
न्यायिक सेवाओं का परीक्षा पैटर्न (Judiciary services exam pattern)
भारत में न्यायाधीशों का चयन क्रमशः प्रारंभिक, मुख्य और व्यक्तिगत साक्षात्कार/Interview के रूप में तीन चरणों की परीक्षा के बाद किया जाता है। इन इन तीन rounds को qualify करने वाले आवेदकों को अधिकारियों के अनुसार जज के पद के लिए चुना जाता है। भारत में न्यायपालिका सेवा परीक्षा का पैटर्न कुछ इस तरह का है –
न्यायिक सेवाओं की प्रारंभिक परीक्षा (Judiciary Preliminary Examination)
- प्रारंभिक परीक्षा के पेपर एक स्क्रीनिंग टेस्ट के रूप में लिए जाते है, जिनमे objective प्रकार के प्रश्न शामिल होते हैं।
- और इनको पास करने के लिए योग्यता परीक्षा प्रतिशत राज्य परीक्षा आयोजित करने वाले निकाय के अनुसार भिन्न होते है।
न्यायिक सेवाओं की मुख्य परीक्षा (Judiciary Mains Examination)
- मुख्य परीक्षा को तीन या चार पेपरों में विभाजित किया जाता है, जिसमें subjective प्रकार के प्रश्न शामिल होते हैं।
- और इनमे भी योग्यता परीक्षा प्रतिशत राज्य परीक्षा आयोजित करने वाले निकाय के अनुसार भिन्न होते है।
न्यायिक सेवाओं की इंटरव्यू परीक्षा (Judiciary Interview/viva voce test)
- एक व्यक्तिगत साक्षात्कार/Interview और योग्यता परीक्षा में, आवेदकों का मूल्यांकन सामान्य ज्ञान, व्यक्तित्व और योग्यता के आधार पर किया जाता है।
- व्यक्तिगत साक्षात्कार/Interview के दौर में अधिकतम पचास अंक शामिल होते हैं, जिनमें से बीस अंक चयनित होने के लिए आवश्यक हैं।
न्यायिक सेवाओं में कितना पैसा मिलता है? (Salary in judiciary services)
प्रवेश स्तर पर, उच्च्य न्यायाधीश को लगभग 30,000 प्रति माह तक का वेतन मिल सकता है, जबकि एक जूनियर सिविल जज का वेतन लगभग 12 से लेकर 15 हज़ार प्रति माह तक हो सकता है। इनके अलावा, जूनियर सिविल जज/फर्स्ट क्लास मजिस्ट्रेट का शुरुआती वेतन 30 से 50 हज़ार रुपये तक हो सकता है, और सीनियर सिविल जज का वेतन लगभग 1 से 1.5 लाख रुपये और जिला जज का वेतन लगभग 1.5 लाख से शुरू होता है।
और तो और अच्छे वेतन के साथ Judiciary सेवाओ में और भी कई तरह के अन्य लाभ भी दिए जाते है, जैसे अच्छे आवास, सुरक्षा, सम्मान आदि जो इस नौकरी को और भी ज्यादा आकर्षक और शानदार बनाती है।
FAQ (Frequently Asked Question)
Q. भारत में न्यायपालिका/Judiciary परीक्षा किन पदों के लिए आयोजित की जाती है?
A. भारत में न्यायपालिका/Judiciary परीक्षा जिला न्यायाधीश, सत्र न्यायाधीश, जिला मजिस्ट्रेट और उप मजिस्ट्रेट के पदों के लिए आयोजित की जाती है।
Q. क्या भारत में न्यायिक/Judiciary परीक्षा में आवेदन करने के लिए बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) की सदस्यता आवश्यक है?
A. हां, भारत में न्यायपालिका/Judiciary परीक्षा में आवेदन करने के लिए, आवेदक को बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) का सदस्य होना चाहिए।
Q. भारत में निचले स्तर की न्यायपालिका परीक्षा में बैठने के लिए शैक्षिक योग्यता मानदंड क्या हैं?
A. भारत में निचले स्तर की न्यायपालिका परीक्षा में बैठने के लिए आवश्यक शैक्षणिक योग्यताएं किसी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से LL. B की डिग्री हासिल करना है।
Q. भारत में न्यायिक/Judiciary सेवाओं से संबंधित जॉब प्रोफाइल क्या-क्या हैं?
A. भारत में न्यायिक सेवाओं से संबंधित जॉब प्रोफाइल में एडवोकेट जनरल, अटॉर्नी जनरल, सॉलिसिटर, जिला और सत्र न्यायाधीश, मजिस्ट्रेट, नोटरी, शपथ आयुक्त, लोक अभियोजक, और सब-मजिस्ट्रेट जैसे पद शामिल हैं।
Q. न्यायपालिका के कर्तव्य क्या होते हैं?
A. न्यायपालिका/Judiciary की प्रमुख भूमिका कानून के शासन की रक्षा करना और कानून की सर्वोच्चता को सुनिश्चित करना होता है। यह पद व्यक्ति के अधिकारों की रक्षा करता है, कानून के अनुसार विवादों का निपटारा करता है, और साथ ही यह भी सुनिश्चित करता है, कि लोकतंत्र और व्यक्ति की आजादी को अच्छा बनाये रखा जा सके।
Q. क्या भारत में न्यायपालिका परीक्षा में बैठने के लिए नुन्यतम आयु सीमा क्या है?
A. भारत में न्यायपालिका की परीक्षा में बैठने के लिए आवेदक की आयु 21 से 35 वर्ष तक की होनी चाहिए।
Q.भारत में न्यायिक सेवाओं की परीक्षाओं को पास करने के लिए आवश्यक कौशल क्या हैं?
A. भारत में न्यायिक सेवाओं की परीक्षाओं को पास करने के लिए कुछ आवश्यक कौशल है, आलोचनात्मक सोच, सुनने का कौशल, लेखन कौशल, मौखिक संचार कौशल और दस्तावेजो को सही ढंग से पढ़ने का ज्ञान।
Q. भारत में न्यायपालिका/Judiciary की परीक्षा कितने चरणों में आयोजित की जाती है?
A. भारत में न्यायपालिका/ Judiciary की परीक्षा, प्रारंभिक, मुख्य और व्यक्तिगत साक्षात्कार/interview समेत तीन चरणों में आयोजित की जाती है।
Q. क्या न्यायिक सेवाओ की परीक्षा कठिन होती है?
A. निस्संदेह, न्यायिक सेवाओ की परीक्षा देश के सबसे कठिन प्रतियोगी परीक्षाओं में से एक होती है।
Q. भारत के संविधान के अनुसार त्रिस्तरीय न्यायिक प्रणाली क्या है?
A. भारत के संविधान के अनुसार, त्रि-स्तरीय न्यायिक प्रणाली में भारत का सर्वोच्च न्यायालय, विभिन्न राज्यों में उच्च न्यायालय और अधीनस्थ न्यायालय शामिल हैं।
आशा करता हूं कि आज आपलोंगों को कुछ नया सीखने को ज़रूर मिला होगा। अगर आज आपने कुछ नया सीखा तो हमारे बाकी के आर्टिकल्स को भी ज़रूर पढ़ें ताकि आपको ऱोज कुछ न कुछ नया सीखने को मिले, और इस articleको अपने दोस्तों और जान पहचान वालो के साथ ज़रूर share करे जिन्हें इसकी जरूरत हो। धन्यवाद।
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