सिंधुताई सपकाल का जीवन परिचय | Sindhutai Sapkal biography in hindi
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Sindhutai Sapkal एक भारतीय सामाजिक कार्यकर्ता थीं। जिन्हें पूरी दुनिया में विशेष रूप से भारत में अपने अनाथ बच्चों की परवरिश में किये हुए कामो के लिए जाना जाता था। Sindhutai Sapkal ने अपना खुद का पूरा जीवन अनाथों के लिए समर्पित कर दिया था।
इस कारण अनाथ बच्चे और बाकि सारे लोग भी, उन्हें प्यार से “माई” कहकर पुकारा करते थे, जिसका आर्थ होता है “माँ”। Sindhutai Sapkal ने अपने पुरे जीवन में 1,500 से भी अधिक अनाथ बच्चों का पालन-पोषण किया है।
नाम (Name) | सिंधुताई सपकाल |
अन्य नाम (Other name) | माई या मदर टेरेसा |
जन्म तारीख (Date of birth) | 14 नवंबर 1947 |
जन्म स्थान (Place of born ) | वर्धा ,महाराष्ट्र , भारत |
गृहनगर (Hometown) | वर्धा, महाराष्ट्र, भारत |
पिता का नाम (Father) | अभिमनजी साठे |
शिक्षा (Education) | चौथी कक्षा पास |
पेशा (Profession) | सामाजिक कार्यकर्ता |
प्रसिद्दि (Famous for) | अनाथों की माँ |
उम्र( Age) | 73 वर्ष (मृत्यु के समय) |
वैवाहिक स्थिति (Marital Status) | विवाहित |
पति का नाम (Husband) | श्रीहरि सपका |
मृत्यु की तारीख Date of Death | 4 जनवरी 2022 |
मृत्यु का कारण (Death Cause) | हार्ट अटैक |
धर्म (Religion) | हिन्दू |
नागरिकता(Nationality) | भारतीय |
लम्बाई (Height) | 5 फ़ीट 3 इंच |
वजन (Weight) | लगभग 60 किलोग्राम |
आँखों का रंग (Eye Color) | काला |
बालो का रंग( Hair Color) | सफ़ेद एवं काला |
Sindhutai Sapkal को उनके कामो के लिए आजतक 700 से भी अधिक पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है। और उन्होंने जीती हुई सारी पुरस्कार राशि का इस्तेमाल अनाथ बच्चों के लिए घर बनाने के लिए जमीन खरीदने में कर दिया था। साथ ही उन्हें साल 2021 में सामाजिक कार्य श्रेणी में “पद्म श्री” पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था।
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सिंधुताई सपकाल का जन्म और शुरुआती जीवन (Sindhutai Sapkal birth and early life)
Sindhutai Sapkal का जन्म 14 नवंबर साल 1947 को महाराष्ट्र के वर्धा जिले के ‘पिंपरी मेघे’ नामक गांव में हुआ था। उनके पिता का नाम “अभिमान साठे” था, जो की एक चरवाहा थे। एक लड़की होने के कारण सिंधुताई को हमेशा घर में सभी लोग नापसंद किया करते थे, क्युकी उन्हें एक पुत्र चाहिए था, और इसलिए उन्हें घर में हर समय ‘चिन्धी’ कहा जाता था, जिसका आर्थ होता है “कपड़े का फटा हुआ टुकड़ा”।
सिंधुताई सपकाल की शिक्षा (Sindhutai Sapkal education)
घर में सभी Sindhutai Sapkal को नापसंद किया करते थे, मगर उनके पिता हमेशा सिंधु को पढ़ाना चाहते थे, और इसलिए वे सिंधु की मां के खिलाफ जाकर सिंधु को स्कूल भी भेजते थे।
हालाँकि, माता के विरोध और घर की आर्थिक स्थिति के कारण Sindhutai Sapkal की शिक्षा बाधित होती रही। और जब उन्होंने चौथी कक्षा की परीक्षा पास की, तो उन्हें आर्थिक स्थिति, घरेलू जिम्मेदारियों और उनका बाल विवाह हो के कारण स्कूल छोड़ना पड़ा।
सिंधुताई सपकाल का विवाह (Sindhutai Sapkal marriage)
Sindhutai Sapkal जब सिर्फ 10 साल की थीं, तबही उनका बाल विवाह 30 वर्षीय ‘श्रीहरि सपका’ सेकरवा दिया गया था। और 20 साल की होने तक वह 3 बच्चों की मां बन चुकी थीं। इतने बड़े आदमी से शादी होने के कारण उनका जीवन चुनौतियों से भरा हुआ था, क्युकी तब वो खुद एक बच्ची थी, जिन्हें रोज-मर्रा काफी सारी मुश्किलों का सामना करना परता था।
सिंधुताई सपकाल का संघर्ष (Sindhutai Sapkal struggle)
बाल विवाह के चंगुल का शिकार होने के बाद भी Sindhutai Sapkal अपने जीवन के प्रति काफी आशावादी थी। जिसके बाद उनमे बल्कि, कमजोर और दुर्व्यवहार करने वालों के खिलाफ पिरितो की मदद करने का उत्साह और भी ज्यादा बढ़ गया।
अपने पति के घर में आने के बाद, वह जमींदारों और वन अधिकारियों द्वारा महिलाओं के शोषण के खिलाफ खड़ी हुई। मगर उन्हें यह नही मालूम था की, उनकी यह लड़ाई उनकी जिंदगी को पूरी तरह से बदल देगी।
जब वह बीस साल की उम्र में गर्भवती थी, तब एक क्रोधित जमींदार ने उनके खिलाफ बेवफाई की एक घृणित अफवाह फैला दी, जिसके कारण Sindhutai Sapkal को अपने ही समुदाय से अस्वीकार कर दिया गया, और उनके पति को सिंधुताई को 9 महीने की गर्भवती होने पर भी घर से बाहर निकालने के लिए उकसाया।
ऐसा होने के बाद Sindhutai Sapkal ने उसी रात गाय और भैसों के एक तबेले में एक बेटी को जन्म दिया। इसके बाद जब वह अपनी माँ के घर गई, तो उनकी माँ ने उन्हें अपने घर में रखने से मना कर दिया, और उस समय तक उसके पिता की भी मृत्यु हो गई थी।
इसके बाद सिंधुताई अपनी बेटी के साथ रेलवे स्टेशन पर ही रह रही थी और खुद को और अपनी बेटी को सुरक्षित रखने, और पेट पलने के लिए रात को श्मशान में रहने की भीख भी मांगती थी। और अपने इस संघर्ष में उन्होंने यह महसूस किया कि देश में कितने अनाथ हैं, जिन्हें आज मां की जरूरत है।
तभी से ही उन्होंने तय यह कर लिया था कि अबसे जो भी कोई अनाथ उनके पास में आएगा, वही उनकी मां बनेगी। साथ ही उन्होंने अपनी ही बेटी को ‘श्री दगडूशेठ हलवाई, पुणे, महाराष्ट्र” के एक ट्रस्ट में गोद लिया ताकि वह सभी अनाथों की मां बन सके।
सिंधुताई सपकाल की कहानी (Story of Sindhutai Sapkal in hindi)
जैसा की हमसब ने जाना की, Sindhutai Sapkal ने अपना पूरा जीवन अनाथों को समर्पित कर दिया था। इसलिए उन्हें “माई” (माँ) भी कहा जाता है। उन्होंने अपने जीवन में लगभग 1500 अनाथों को गोद लिया है। और आज उनके परिवार में 207 दामाद और 36 बहुएं हैं। इनके अलावा भी इनके परिवार में 1000 से भी अधिक पोते-पोतियां शामिल हैं।
Sindhutai Sapkal की अपनी बेटी खुद एक अच्छी वकील है, साथ ही उनके गोद लिए गए कई बच्चे आज डॉक्टर, इंजीनियर, वकील, आदि बन चुके है, और खुद अपना अनाथालय भी चलाते हैं। सिंधुताई को महिलाओं और बच्चों के लिए काम करने वाले सामाजिक कार्यकर्ता के लिए महाराष्ट्र राज्य सरकार द्वारा “अहिल्याबाई होक्कर पुरस्कार” से सम्मानित किया गया था। इसके अलावा उन्हें राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार मिलाकर 273 अवार्ड मिल चुके है।
अपने इन पुरस्कारों से प्राप्त सभी पैसों का उपयोग सिंधुताई सिर्फ अपने अनाथालयों के लिए किया करती है। उनका अनाथालय पुणे, वर्धा, सासवड (महाराष्ट्र) में स्थित है। साथ ही साल 2010 में, Sindhutai Sapkal के जीवन पर आधारित एक मराठी फिल्म “मी सिंधुताई सपना” बनाई गई थी, जिसे 54वें लंदन फिल्म समारोह के लिए भी चुना गया था।
जब सिंधुताई का पति 80 वर्ष का हुआ, तो वह भी उनके साथ रहने आ गया था। जिसके बाद सिंधुताई ने अपने पति को भी एक पुत्र के रूप में ही स्वीकार किया और उन्हें यह कहा की अब वह केवल सिर्फ एक माँ है। और इसके बाद वे सबको गर्व के साथ यह कहने लगी की उनका पति अब उनका सबसे बड़ा बेटा है।
अपने सामाजिक कार्यो के अलावा Sindhutai Sapkal कविता भी लिखती हैं, और उनकी कविताओं में जीवन का पूरा सार होता था। साथ ही वह अपनी मां का आभार इसलिए व्यक्त करती हैं, क्योंकि उनका यह मानना था कि अगर अपने पति के घर से निकाले जाने के बाद उनकी मां ने घर में उनका साथ दिया होता, तो आज वह इतने बच्चों की मां नहीं बन पाती।
सिंधुताई सपकाल के संगठन (Sindhutai Sapkal organization)
आज देश में Sindhutai Sapkal के कई सारे संगठन सुचारू रूप से चल रहे है, जिनमे अनाथ बच्चो के लिए काम किया जाता है। उन्ही संगठनो के बारे में जानकारी निचे दी गयी है –
नाम (name) | स्थान (place) |
सनमती बाल निकेतन | भेलहेकर वस्ति, मंजरी, हडपसर, पुणे |
ममता बाल सदन | कुम्भरवलन, पुरंदर तालुका, महाराष्ट्र |
मदर ग्लोबल फाउंडेशन | पुणे, महाराष्ट्र |
अभिमन बाल भवन | वर्धा, महाराष्ट्र |
श्री मनशांति चतरालय | शिरुर, महाराष्ट्र |
गंगाधरबाबा छात्रालय | गुहा शिर्डी, महाराष्ट्र |
सावित्रीबाई फुले मुलिंचे वसातिग्रह (बालिका छात्रावास) | चिखलदरा , अमरावती, महाराष्ट्र |
सप्तसिंधु ‘महिला आधार, बालसंगोपन आनी शिक्षण संस्थान | पुणे, महाराष्ट्र |
वनवासी गोपाल कृष्ण बहुउद्देशीय मंडल | अमरावती, आंध्र प्रदेश |
सिंधुताई सपकाल पे बनी बायोपिक फिल्म (Sindhutai Sapkal biopic film)
साल 2010 में Sindhutai Sapkal पर आधारित एक मराठी फिल्म ‘मी सिंधुताई सपना’ बनाई गई थी, जो की उनकी सच्ची कहानी पर आधारित थी। और इस मराठी फिल्म को 54वे लंदन फिल्म फेस्टिवल के लिए भी चुना गया था।
सिंधुताई सपकाल के पुरस्कार (Sindhutai Sapkal awards)
Sindhutai Sapkal को उनके सामजिक कार्यो के लिए अब तक कई सारे अवार्ड से सम्मानित किया जा चुके है, जिनकी जानकारी निचे दी गयी है –
- साल 1992 : अग्रणी सामाजिक योगदानकर्ता पुरस्कार।
- साल 1996 : दत्तक माता पुरस्कार।
- साल 2008 : वुमन ऑफ द ईयर अवार्ड लोकसत्ता द्वारा दिया गया।
- सह्याद्री हिरकानी पुरस्कार।
- साल 2010 : अहिल्याबाई होल्कर, महाराष्ट्र सरकार द्वारा दिया गया पुरस्कार।
- शिवलीला महिला गौरव पुरस्कार।
- साल 2012 : सीएनएन – आईबीएन और रिलायंस फाउंडेशन की ओर से रियल हियर्स अवार्ड।
- साल 2013 : आयनिक मदर के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार ।
- साल 2013 : सामाजिक न्याय के लिए मदर टेरेसा पुरस्कार ।
- साल 2014 : बसवा भूषण पुरस्कार 2014 पुरस्कार बसवा सेवा, पुणे से और उसके साथ।
- साल 2015 : वर्ष 2014 के लिए अहमदिया मुस्लिम शांति पुरस्कार।
सिंधुताई सपकाल की मृत्यु, मौत (Sindhutai Sapkal death)
भारतीय सामाजिक कार्यकर्ता, और पद्म श्री पुरस्कार सहित कई अवार्ड से सम्मानित Sindhutai Sapkal की मौत पुणे में 04 जनवरी 2022 को रात के 8:10 बजे दिल का दौरा पड़ने से हो गयी। निधन के समय उनकी उम्र 74 वर्ष की थी, और उन्होंने पुणे के गैलेक्सी केयर अस्पताल में अंतिम सांस ली। जहाँ की उन्हें एक महीने से अधिक समय पहले ही भर्ती करवाया गया था।
FAQ (Frequently Asked Questions)
Q. सिंधुताई सपकाल कौन थी?
A. सिंधुताई सपकाल एक भारतीय सामाजिक कार्यकर्ता थीं। जिन्हें की विशेष रूप से भारत में अनाथ बच्चों की परवरिश में उनके योगदान के लिए अधिक जाना जाता था।
Q. सिंधुताई सपकाल की डेथ कैसे हुई?
A. सिंधुताई सपकाल की मौत हार्ट अटैक से हुई
Q. सिंधुताई सपकाल की मृत्यु कब हुई?
A. सिंधुताई सपकाल की मौत 04 जनवरी 2022 को पुणे के गैलेक्सी केयर अस्पताल में हुई थी।
Q. क्या सिंधुताई सपकाल की शादी हुई थी?
A. हां, उनका बाल विवाह हुआ था, और उनके पति का नाम “श्रीहरि सपका” था।
Q. सिंधुताई सपकाल का धर्म क्या था?
A. सिंधुताई सपकाल हिन्दू धर्म की थी।
आशा करता हूं कि आज आपलोंगों को कुछ नया सीखने को ज़रूर मिला होगा। अगर आज आपने कुछ नया सीखा तो हमारे बाकी के आर्टिकल्स को भी ज़रूर पढ़ें ताकि आपको ऱोज कुछ न कुछ नया सीखने को मिले, और इस articleको अपने दोस्तों और जान पहचान वालो के साथ ज़रूर share करे जिन्हें इसकी जरूरत हो। धन्यवाद।
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