The Indian Constitution summary in hindi

The Indian Constitution विषय की जानकारी, कहानी | The Indian Constitution Summary in hindi

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क्या आप एक आठवी कक्षा के छात्र हो, और आपको NCERT के Civics ख़िताब के chapter “The Indian Constitution” के बारे में सरल भाषा में सारी महत्वपूर्ण जानकारिय प्राप्त करनी है? अगर हा, तो आज आप बिलकुल ही सही जगह पर पहुचे है। 

आज हम यहाँ उन सारे महत्वपूर्ण बिन्दुओ के बारे में जानने वाले जिनका ताल्लुक सीधे 8वी कक्षा के नागरिकशास्र के chapter “The Indian Constitution” से है, और इन सारी बातों और जानकारियों को प्राप्त कर आप भी हजारो और छात्रों की तरह इस chapter में महारत हासिल कर पाओगे।

साथ ही हमारे इन महत्वपूर्ण और point-to-point notes की मदद से आप भी खुदको इतना सक्षम बना पाओगे, की आप इस chapter “The Indian Constitution” से आने वाली किसी भी तरह के प्रश्न को खुद से ही आसानी से बनाकर अपने परीक्षा में अच्छे से अच्छे नंबर हासिल कर लोगे।

तो आइये अब हम शुरु करते है “The Indian Constitution” पे आधारित यह एक तरह का summary या crash course, जो इस topic पर आपके ज्ञान को बढ़ाने के करेगा आपकी पूरी मदद।

The Indian Constitution Summary in hindi

क्या आपने कभी सोचा है कि हमें संविधान की आवश्यकता क्यों है, या क्या आपने कभी सोचा है कि संविधान कैसे लिखा गया या इसे किसने लिखा? इस अध्याय में आपको इन प्रश्नों के उत्तर मिलेंगे। साथ ही आप भारतीय संविधान की प्रमुख विशेषताएं भी जानेंगे। यह अध्याय उन सिद्धांतों की चर्चा से शुरू होता है, जो एक उदार संविधान को रेखांकित करते हैं, और साथ ही बाद में इसमें, भारतीय संविधान की प्रमुख विशेषताओं पर विस्तार से चर्चा की गई है।

समाज में संवैधानिक नियम होते हैं, जो इसे बनाते हैं और इसे अन्य प्रकार के समाजों से अलग करते हैं। बड़े समाजों में जहां विभिन्न समुदायों के लोग एक साथ रहते हैं, संवैधानिक नियम सर्वसम्मति के माध्यम से बनाए जाते हैं, और आधुनिक देशों में यह सर्वसम्मति लिखित रूप में उपलब्ध है, जिसे हम संविधान कहते हैं।

किसी देश को संविधान की आवश्यकता क्यों है?

सभी लोकतांत्रिक देशों में एक संविधान होने की संभावना है, लेकिन दूसरी ओर, यह आवश्यक नहीं है कि जिन देशों में संविधान है वे सभी लोकतांत्रिक हों। संविधान नीचे सूचीबद्ध कई उद्देश्यों को पूरा करता है।

  • संविधान हमें बताता है कि हमारे समाज का मूल स्वरूप क्या है।
  • एक संविधान नियमों और सिद्धांतों के एक समूह के रूप में कार्य करने में मदद करता है, जिस पर किसी देश के सभी व्यक्ति उस तरीके के आधार पर सहमत हो सकते हैं, जिससे वे देश पर शासन करना चाहते हैं।

3 महत्वपूर्ण कारण कि हमें संविधान की आवश्यकता क्यों है

  • लोकतांत्रिक समाजों में, संविधान अक्सर ऐसे नियम बनाता है जो हमारे राजनीतिक नेताओं द्वारा सत्ता के दुरुपयोग से रक्षा करते हैं।
  • संविधान यह सुनिश्चित करता है कि एक प्रमुख समूह अपनी शक्ति का उपयोग कम शक्तिशाली लोगों या समूहों के खिलाफ नहीं करता है।
  • संविधान हमें उन निर्णयों से बचाने में मदद करता है, जो उन बड़े सिद्धांतों पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकते हैं जिन पर देश विश्वास करता है।

भारतीय संविधान: प्रमुख विशेषताएं

1946 में 300 लोगों का एक समूह संविधान सभा का सदस्य बना और तब भारत का संविधान लिखा गया। भारतीय संविधान लिखते समय, इन सदस्यों ने विभिन्न समुदायों को ध्यान में रखा जो अलग-अलग भाषाएँ बोलते हैं, अलग-अलग धर्मों से संबंधित हैं और जिनकी अलग-अलग संस्कृतियाँ हैं।

नीचे सूचीबद्ध भारतीय संविधान की प्रमुख विशेषताएं हैं –

संघवाद (Federalism)

इसका तात्पर्य देश में एक से अधिक स्तर की सरकार के अस्तित्व से है। भारत में, हमारे पास राज्य स्तर पर, केंद्र में और ग्रामीण स्तर पर पंचायती राज की सरकारें हैं। 

संविधान (The Indian Constitution) में ऐसी सूचियाँ हैं जो उन मुद्दों का विवरण देती हैं जिन पर सरकार का प्रत्येक स्तर कानून बना सकता है। इसके अलावा, संविधान यह भी निर्दिष्ट करता है कि सरकार के प्रत्येक स्तर को उसके द्वारा किए जाने वाले कार्य के लिए धन कहां से मिल सकता है। 

भारत में सभी व्यक्ति सरकार के प्रत्येक स्तर द्वारा बनाए गए कानूनों और नीतियों द्वारा शासित होते हैं।

सरकार का संसदीय स्वरूप (Parliamentary Form of Government)

भारत के लोगों की अपने प्रतिनिधियों को चुनने में प्रत्यक्ष भूमिका होती है। साथ ही, देश का प्रत्येक नागरिक, चाहे उसकी सामाजिक पृष्ठभूमि कुछ भी हो, चुनाव लड़ सकता है।

शक्तियों का पृथक्करण ( Separation of Powers)

सरकार के 3 अंग हैं –

  • विधायिका (legislature) : यह लोगों द्वारा चुने गए प्रतिनिधियों को संदर्भित करती है।
  • कार्यपालिका (executive) : यह लोगों का एक छोटा समूह है जो कानूनों को लागू करने और सरकार चलाने के लिए जिम्मेदार होता है।
  • न्यायपालिका (judiciary) : यह भारत में अदालतों की प्रणाली को संदर्भित करता है।

ऊपर उल्लिखित प्रत्येक अंग सरकार के अन्य अंगों पर नियंत्रण के रूप में कार्य करता है। इससे तीनों के बीच शक्ति संतुलन सुनिश्चित होता है।

मौलिक अधिकार (Fundamental Rights)

संविधान राज्य के साथ-साथ अन्य व्यक्तियों के खिलाफ भी व्यक्तियों के अधिकारों की गारंटी देता है। यह बहुसंख्यकों के विरुद्ध अल्पसंख्यकों के अधिकारों की भी गारंटी देता है।

भारतीय संविधान में मौलिक अधिकारों में शामिल हैं –

  • समानता का अधिकार
  • स्वतंत्रता का अधिकार
  • शोषण के विरुद्ध अधिकार
  • धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार
  • सांस्कृतिक और शैक्षिक अधिकार
  • संवैधानिक उपचारों का अधिकार

मौलिक अधिकारों के दो उद्देश्य हैं –

  • प्रत्येक नागरिक को मौलिक अधिकारों का दावा करने की स्थिति में होना चाहिए।
  • मौलिक अधिकार हर उस प्राधिकारी के लिए बाध्यकारी होने चाहिए जिसे कानून बनाने की शक्ति प्राप्त है।
  • संविधान में राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांतों नामक एक खंड भी है, जो व्यापक सामाजिक और आर्थिक सुधार सुनिश्चित करता है, और स्वतंत्र भारतीय राज्य को कानून और नीतियां स्थापित करने के लिए एक मार्गदर्शक के रूप में कार्य करता है।

धर्मनिरपेक्षता (Secularism)

एक धर्मनिरपेक्ष राज्य वह है जिसमें राज्य आधिकारिक तौर पर किसी एक धर्म को राज्य धर्म के रूप में बढ़ावा नहीं देता है।

FAQ (Frequently Asked Questions)

भारतीय संविधान (The Indian Constitution) में कितने पृष्ठ मौजूद हैं?

भारतीय संविधान कुल मिलाकर 416 पृष्ठों का है।

भारतीय संविधान पुस्तक का क्या नाम है?

भारत का संविधान (IAST: Bhāratīya Saṃvidhāna) भारत का सर्वोच्च कानून है।

भारतीय संविधान (The Indian Constitution) में कितने अनुच्छेद मौजूद हैं?

भारतीय संविधान में कुल 395 अनुच्छेद मौजूद हैं।

आशा करता हूं कि आज आपलोंगों को कुछ नया सीखने को ज़रूर मिला होगा। अगर आज आपने कुछ नया सीखा तो हमारे बाकी के आर्टिकल्स को भी ज़रूर पढ़ें ताकि आपको ऱोज कुछ न कुछ नया सीखने को मिले, और इस articleको अपने दोस्तों और जान पहचान वालो के साथ ज़रूर share करे जिन्हें इसकी जरूरत हो। धन्यवाद।

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