Manual testing के 10 इंटरव्यू प्रश्न और उत्तर | Top 10 manual testing interview question in hindi
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आज भी बहुत से लोगों को यह भ्रम है कि आजकल कंपनियां को manual testing के लिए टेस्टर नहीं रखती हैं; और आजकल केवल उन्हें automation testers की ही आवश्यक होती है। पर ये बिलकुल भी सच नहीं है। इसमें कोई शक नहीं, चूंकि कंपनियां ऑटोमेशन की ओर बढ़ रही हैं, इसलिए ऑटोमेशन टेस्टर्स की बहुत अधिक मांग है, लेकिन किसी भी प्रोजेक्ट में, सभी चीजों को ऑटोमेटेड नहीं किया जा सकता है, और इसमें हमेशा इनमे manual testing की गुंजाइश होती है, और इसीलिए हर कंपनी को manual testers की आवश्यकता होती है।
साथ ही manual testing के लिए testers को testing types, test scenarios और इनसब के बिच के अंतर को अच्छे से जानने की आवश्यकता होती है। आज टेस्टिंग के कई सारे certifications मौजूद है, लेकिन एक beginner को उनके manual testing के अच्छे करियर के लिए ISTQB certification को पूरा करने की सहल दी जाती है, क्युकी यह कोर्स उम्मीदवारों को टेस्टिंग के मूल अवधारणाओं के बारे में गहन ज्ञान देता है।
यदि आप manual testing से संबंधित नौकरी की तलाश में हैं, तो आपको इसके अनुसार ही manual testing के इंटरव्यू प्रश्न की तैयारी करनी होगी। हालाँकि, यह सच है कि हर इंटरव्यू अलग-अलग जॉब प्रोफाइल के हिसाब से अलग होता है। इसीलिए आज हम इस लेख में वैसे कुछ सबसे महत्वपूर्ण manual testing के इंटरव्यू प्रश्नों के बारे में जानने वाले है, जो किसी इंटरव्यू में सफलता प्राप्त करने में आपकी पूरी सहायता करेंगे।
आज इस manual testing इंटरव्यू प्रश्न के लेख में, हम 10 सबसे महत्वपूर्ण और अक्सर पूछे जाने वाले manual testing के सवालो को जानेंगे, जिन्हें यहाँ दो भागों में विभाजित किया गया है।
Table of Contents
Manual Testing Interview Questions (Basic)
Verification और Validation सॉफ्टवेयर टेस्टिंग में क्या अंतर होता है?
Verification में दस्तावेजों, कोड और डिजाइन को verify करने की static प्रक्रिया शामिल होती है, ताकि यह जांचा जा सके कि एक सॉफ्टवेयर उसके दस्तावेजों (SRS) में उल्लिखित आवश्यकताओं के अनुरूप तैयार है या नहीं। और इसमें Walkthrough, Inspection, और Code Review जैसी प्रक्रिया शामिल होती है।
जबकि Validation एक dynamic प्रक्रिया है, जिसमें कोड को execute करना और यह जांचना शामिल है कि सॉफ्टवेयर expected तरीके से काम कर रहा है या नहीं। इस प्रक्रिया में bug को खोजना शामिल होता है, जो एक टेस्टिंग टीम द्वारा सॉफ्टवेर कोड को execute करके खोजा जाता है। और Black box टेस्टिंग , white box टेस्टिंग , और grey-box टेस्टिंग सॉफ्टवेयर Validation का हिस्सा होते है।
Test Driver और Test Stub में क्या अंतर होता है?
Test Driver और Test Stub मूल रूप से कोड का एक टुकड़ा होता है, जो की टेस्टिंग करने के लिए मूल undeveloped यानि की अविकसित कोड के विकल्प के रूप में काम करता है।
Drivers का उपयोग “bottom-up” approach में किया जाता है, जब किसी सॉफ्टवेयर का internal child module तैयार होता है, मगर उसका parent module तैयार नही होता, और उस समय driver कोड को एक parent module के तौर पे कॉल किया जाता है, याकि उसकी सही तरीके से टेस्टिंग की जा सके। जबकि Stubs का उपयोग “ top-down” approach में किया जाता है, जहां पर parent module तो तैयार होता है, मगर उसके internal child module तैयार नही होते है।
उदाहरण के लिए, अगर एक वेब एप्लिकेशन में 3 मॉड्यूल हैं, जो की है – Login, Home, और Users, और अगर इसमें Login module को तैयार किया जा चूका है, मगर अभी home और users तैयार नही है, तो यहाँ इनदोनो के बदले कॉल किये गए substitute कोड को “Stub” कहा जायेगा। वही अगर इसमें home और user module को तैयार किया जा चूका है, मगर अभी login module को तैयार नही किया गया है, तो यहाँ login के बदले कॉल किये जाने वाले substitute कोड को “driver” कहा जायेगा।
किसी web और mobile applications को टेस्ट करते समय हमे किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
किसी web और mobile एप्लीकेशन को टेस्ट करने के तरीके भ अलग-अलग होते है, इसीलिए इनकी टेस्टिंग के समय हमे अलग-अलग scenarios को ध्यान में रखने की आवश्यकता पड़ती है, जैसे की –
- किसी वेब एप्लीकेशन को अलग-अलग Browser सपोर्ट जसी की Chrome, Firefox, IE, आदि में चलाकर टेस्ट किया जाता है। वही मोबाइल एप्लीकेशन को अलग-अलग OS versions जैसे की Android 7, 8, 9, आदि में चलाकर टेस्ट किया जाता है।
- मोबाइल एप्लीकेशन को विभिन्न परिदृश्यों पर क्रैश होने या किसी अन्य एप्लीकेशन के चालू होने पर उनसे आने वाली दिक्कतों को खोजने के लिए टेस्ट किया जाता है। वही वेब एप्लीकेशन के मामले में उसके Session और Cookies से जुडी टेस्टिंग की जाती है।
- मोबाइल एप्लीकेशन को अलग-अलग screen size पर टेस्ट किया जाता है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके की, उसके सारे elements सही से aligned है की नही। वही वेब एप्लीकेशन को अलग-अलग desktop resolutions पर टेस्ट किया जाता है।
- किसी मोबाइल एप्लीकेशन में pinching, swiping, voice recognition, आदि जैसे Hand और Voice gestures की टेस्टिंग की जाती है। वही किसी वेब एप्लिकेशन में simple टाइपिंग और कॉपी-पेस्ट जैसी सुविधाओं का परीक्षण किया जाता है।
किसी एप्लिकेशन के किस point पर हमे उसकी testing शुरू करनी चाहिए?
एक बार कसी project में उसकी सारी आवश्यकताओं को इकट्ठा करने के बाद, से ही उसकी test planning, test strategy, और test cases को तैयार कर उसकी टेस्टिंग की शुरुवात कर देनी चाहिए।
आज लगभग सभी Agile methodology का पालन करती हैं, इसलिए किसी प्रोजेक्ट की शुरुआत में उसकी सारी आवश्यकताएं तय नहीं होती हैं, लेकिन एक particular release में लागू होने वाली नई सुविधाओं के लिए user stories testers को प्रदान की जाती हैं, तै वे उसके लिए अपनी टेस्टिंग शुरु कर सके।
इसलिए सॉफ्टवेयर के विकास के साथ-साथ टेस्ट प्लानिंग और टेस्ट केस creation या टेस्ट script creation (ऑटोमेशन टेस्टिंग के मामले में) शुरू कर दी जाती है। साथ ही आज अधिकांश कंपनियां सॉफ्टवेयर विकसित करने के लिए टेस्ट ड्रिवेन डेवलपमेंट (TDD) approach का पालन करती हैं, जिसमें test cases को कोड से पहले ही लिखा जाता है, और फिर developer द्वारा उन लिखे गए टेस्ट cases को पास करने लायक कोडिंग की जाती है।
क्या small projects की टेस्टिंग के लिए Agile model का इस्तेमाल करना चाहिए?
Agile सॉफ्टवेयर development के लिए एक incremental और iterative approach होता है, और यह flexible और बड़े projects के लिए अधिक उपयोगी होता है, जहां सॉफ्टवेयर की आवश्यकताएं समय के साथ बदलती रहती हैं। मगर छोटी परियोजनाओं के लिए जहां की उस प्रोजेक्ट की आवश्यकताएं बहुत बड़ी नहीं होती हैं, Agile को प्राथमिकता नहीं दी जानी चाहिए, क्योंकि इसमें अधिक project budget खर्च होगा क्योंकि इसमें एक साथ काम करने वाली विभिन्न टीमें शामिल होती हैं और इसी कारण यह सॉफ्टवेयर delivery के समय को भी बाधित कर सकती हैं।
Manual Testing Interview Questions (Advanced)
Software Testing Life Cycle क्या होता है?
Software Testing Life Cycle (STLC) में step-by-step प्रक्रिया शामिल होती है जिनका पालन किसी भी सॉफ़्टवेयर एप्लिकेशन की टेस्टिंग करते समय किया जाता है, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि वो सॉफ़्टवेयर expected रूप से काम करता है। STLC के विभिन्न चरण होते है, जो की है –
- Requirement Gathering
- Test Planning
- Test Analysis
- Test Design
- Test Environment Setup
- Test Execution
- Test Closure
Bug, defect, और failure में क्या अंतर होता है?
Defect, bug, और failure के बिच काफी छोटा सा अंतर होता है। यदि development के दौरान सॉफ्टवेयर का कोई feature सही से काम ना कर रहा हो, और उसके expected और actual रिजल्ट में अंतर आए, और तब उसे development के समय में ही ठीक कर लिया जाये, तो उसे defect कहा जाता है।
मगर अगर यही दिक्कत development phase से बाहर आकर टेस्टिंग के दौरान किसी टेस्टर के नजर में आए, तब उसे ही bug कहा जाता है।
साथ ही अगर किसी software के delivered हो जाने के बाद, end-user द्वारा उसे इस्तेमाल करते वक़्त उसमे किसी भी तरह की दिक्कत आए, तो उसे ही failure के नाम से जाना जाता है।
Negative testing क्या होता है, और इसे क्यों perform किया जाता है?
Negative टेस्टिंग में किसी सॉफ्टवेयर एप्लीकेशन को unexpected conditions में टेस्ट किया जाता है। और इसे false टेस्टिंग और error path टेस्टिंग के नाम से भी जाना जाता है। किसी एप्लीकेशन की Positive टेस्टिंग हमे यह बताती है की एक एप्लीकेशन expected तरीके से काम कर रहा है की नही, जबकि negative टेस्टिंग हम यह पता लगा सकते है की एक एप्लीकेशन unexpected conditions में कैसा behave करता है। साथ ही यह एक एप्लीकेशन की स्थिरता को सुनिश्चित करने के लिए भी किया जाता है।
उदहारण के लिए, अगर किसी एप्लीकेशन में हम एक बार में 10 users को जोड़ सकते है, तो हम यहाँ इसमें 15 users एक बार में जोडके उस एप्लीकेशन की स्थिरता और उसके behaviour को check करेंगे, और इसे ही negative टेस्टिंग कहा जाता है।
Equivalence Partitioning Testing क्या होती है?
यह एक प्रकार का ब्लैक-बॉक्स टेस्टिंग होता है, जिसे यूनिट, इंटीग्रेशन और सिस्टम टेस्ट जैसे किसी भी स्तर पर लागू किया जा सकता है। इस टेस्टिंग में, इनपुट range को एक equivalent group में विभाजित किया जाता है, जिसके हर group से डेटा लेकर उसकी टेस्टिंग की जाती है, और किसी group से लिए गए डेटा के पास होने पर उस पुरे group को ही पास कर दिया जाता है। साथ ही अगर group से लिया गया कोई डेटा टेस्टिंग के दौरान fail हो जाता है, तो उस पुरे group को ही fail मान लिया जाता है।
अपेक्षा की जाती है। उदाहरण के लिए, यदि पासवर्ड textbox में 5-15 characters के बीच के मान को डाला जा सकता है, तो इसमें 5-15 तक के मान valid होंगे, वही 15 से अधिक जो मान है वो invalid होंगे, साथ ही 0-5 तक के मान भी invalid होंगे।
Test Coverage किसे कहते है, और क्या 100% test coverage हासिल करना संभव होता है?
Test coverage मूल रूप से एक quality metric होता है, जो test cases द्वारा कवर किए गए एप्लिकेशन कोड की मात्रा या बनाए गए test cases द्वारा किए गए एप्लीकेशन टेस्टिंग की मात्रा को represent करता है। औरक यह टेस्टिंग की गुणवत्ता की निगरानी करने में भी मदद करता है। एक सॉफ्टवेयर एप्लीकेशन के अधिकतम क्षेत्रों को कवर करने वाले अधिक test cases उसकी विफलता की संभावना को कम करते हुए उसमे अधिकतम test coverage प्राप्त करने में भी मदद करते हैं।
हालांकि 100% test coverage हासिल करना संभव नहीं होता है, मगर हमे यह सुनिश्चित करना चाहिए हैं कि कोड के अधिकतम क्षेत्रों को कवर करने के लिए एप्लीकेशन के प्रत्येक ब्रांच के लिए टेस्ट केस बनाये जाए।
FAQ (Frequently Asked Questions)
Software testing क्या होती है?
Software testing वो प्रक्रिया होती है, जिसमे यह सुनिश्चित किया जाता है की, एक सॉफ्टवेयर सिस्टम वैसा ही काम करे जिसके लिए उसे बनाया गया है। इसके अलावा भी इसके इस्तेमाल में, सॉफ्टवेयर सिस्टम में मौजूद किसी भी तरह की खामियों को हटाना, इसकी विकास लागत को कम करना और इसके प्रदर्शन में सुधार करना शामिल है।
Manual testing क्या होती है?
इस प्रकार की सॉफ्टवेर टेस्टिंग में किसी भी कंप्यूटर सिस्टम की सहायता के बिना, पुरे टेस्टिंग प्रक्रिया को किसी इंसान द्वारा manually perform किया जाता है। इसमें टेस्टर किसी सॉफ्टवेर के हर function की जाँच करता है, ताकि उसमे मौजूद किसी भी तरह की खामियों को ढूंडा जा सके।
आशा करता हूं कि आज आपलोंगों को कुछ नया सीखने को ज़रूर मिला होगा। अगर आज आपने कुछ नया सीखा तो हमारे बाकी के आर्टिकल्स को भी ज़रूर पढ़ें ताकि आपको ऱोज कुछ न कुछ नया सीखने को मिले, और इस article को अपने दोस्तों और जान पहचान वालो के साथ ज़रूर share करे जिन्हें इसकी जरूरत हो। धन्यवाद।
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